रेलगाड़ी बनेगी कंपनियों के विज्ञापन का नया ठिकाना | |
शाइन जैकब / नई दिल्ली 04 10, 2017 | | | | |
► देश में करीब 10,000 रेलगाडि़यों पर लगाए जाएंगे विज्ञान
► इससे रेलवे को मिलेगा 2,000 करोड़ रुपये का अतिरिक्त राजस्व
► बोली प्रक्रिया के लिए रेलगाडि़यों की बनाई जाएंगी पांच श्रेणियां
अब जल्द ही भारतीय कंपनियों को विज्ञापन के लिए एक नया ठिकाना मिलने जा रहा है। यह ठिकाना कहीं और नहीं बल्कि भारतीय रेल होगा। भारतीय कंपनियां जल्द ही विज्ञापन (विनाइल रैपिंग) के इस नए माध्यम के लिए एक दूसरे से प्रतिस्पद्र्धा करती नजर आएंगी। इस संबंध में इस महीने के अंत में निविदा आमंत्रित की जाएगी। बोली प्रक्रिया में सफल कंपनियों को रेलगाडिय़ों के अंदर और बाहर विज्ञापन देने का अधिकार मिलेगा। इसके तहत देश में करीब 10,000 रेलगाडि़यों पर विज्ञापन दिखेंगे। इस नई पहल से भारतीय रेल को 2,000 करोड़ रुपये अतिरिक्त राजस्व की भी प्राप्ति होगी।
रेलगाडि़यों पर विज्ञापन के संबंध में तय नीति के तहत रेल डिब्बों की खिड़की सहित बाहरी और भीतर के हिस्सों पर विज्ञापन लगान का ठेका दिया जाएगा, जो 10 साल की अवधि के लिए होगा। इस मामले से जुड़े एक अधिकारी ने कहा, 'हमें निविदा की प्रक्रिया 2017-18 की पहली तिमाही में पूरी होने की उम्मीद है। बोली प्रक्रिया संचालित करने के लिए रेलवे ने अपनी सहायक इकाई राइट्स को नोडल एजेंसी नियुक्त किया है।' दूसरी तरफ राइट्स ने प्रोफेशनल मीडिया मार्केट इवेल्युएशन एजेंसी (पीएमएमईए) के लिए अन्स्र्ट ऐंड यंग की नियुक्ति की है।
सूत्रों के अनुसार बोली प्रक्रिया के लिए रेलगाडिय़ां पांच श्रेणियों में विभाजित की जाएंगी। इनमें राजधानी, शताब्दी, जन शताब्दी एवं डबल डेकर ट्रेनें, सुपरफास्ट, एसी सुपरफास्ट (स्पेशल) एवं मेल/एक्सप्रेस, उप नगरीय-ईएमयू-दिल्ली/ मुंबई/ कोलकाता /चेन्नई ट्रेन और गरीब ट्रेनें होंगी। इन पांच श्रेणियों के तहत 35,000 डिब्बे होंगे। इस संबंध में इस महीने निविदा जारी होगी। बोली प्रक्रिया में जो कंपनियां सफल होंगी, वे उन रेल मंडलों के साथ समझौता करेंगी, जिनके तहत ये रेलगाडियां संचालित होती हैं।
पिछले साल मध्य और पश्चिमी मंडल के तहत संचालित होने वाली 23 रेलगाडिय़ों पर विज्ञापन के लिए बोलियां आमंत्रित की गई थीं। इस बोली प्रक्रिया में पेटीएम, मीडिया ऑन ट्रैक, जेसीडीकॉक्स इंडिया और टीडीआई इंटरनैशनल इंडिया (प्राइवेट) लिमिटेड ने दिलचस्पी दिखाई थी। मंडल रेल शेष रेलगाडि़यों जैसे यात्री एवं स्थानीय ट्रेनों के लिए निविदाएं आमंत्रित करेंगी। रेलवे के अनुसार जिन कंपनियों को विज्ञापन लगाने के लाइसेंस दिए जाएंगे वे रेलवे द्वारा निर्धारित स्थान पर डिब्बों के अंदर 250 वर्गफुट तक में विज्ञापन लगा पाएंगे। इसकी जद में सुरक्षा एवं यात्री संबंधी निर्देश नहीं आएंगे। वातानुकूलित डिब्बों पर भी सशर्त विज्ञापन लगाने की अनुमति होगी।
अधिकारी ने कहा, 'दो सालों बाद लाइसेंस फीस प्रत्येक साल 10 प्रतिशत तक बढ़ सकती है। शुरू में लाइसेंस का आवंटन 5 सालों के लिए किया जाएगा, जिसकी अवधि पांच सालों बाद बोलीदाता के संतोषजक प्रदर्शन को देखते हुए बढ़ाई जाएगी। हालांकि रेलगाडिय़ों के नाम के आगे या पीछे कंपनियों के ब्रांड या नाम लगाने की इजाजत नहीं दी जाएगी।'
निविदा आमंत्रित करने वाली अधिसूचना को रेलवे के 13 मंडलों ने अनुमति दे दी है। यह अधिसूचना राइट्स की सिफारिशों के साथ अर्नस्ट ऐंड यंग ने तैयार की है। जल्द ही रेलवे 2,175 स्टेशनों पर केंद्रीकृत नेटवर्क वाले 100,000 स्क्रीनों पर विज्ञापन के लिए बोलियां आमंत्रित कर सकता है। रेलवे विभिन्न मंडलों में रोड-ओवर-ब्रिज, रोड-अंडर-ब्रिज और लेवल क्रॉसिंग पर आउटडोर विज्ञापन की संभावनाओं का लाभ उठाने पर भी विचार कर रहा है।
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