एसएमई को ऑनलाइन पर आने में मददगार नाउफ्लोट्स | रंजू सरकार / April 02, 2017 | | | | |
दिल्ली में परिधान व्यवसाय से जुड़ी सारा फैशंस हमेशा अपना कारोबार ऑनलाइन ले जाना चाहती थी, लेकिन उसे यह नहीं पता था कि कहां से शुरुआत की जाए। ऐसे में उसकी मददगार बनी हैदराबाद की स्टार्टअप नाउफ्लोट्स जो छोटे कारोबारों को एक ऐप डाउनलोड करके वेबसाइट बनाने में मदद करती है। यह ऐप उद्यमों के मालिकों को अपनी वेबसाइट अद्यतन बनाने में भी मदद करता है। यह ऐप कारोबारों को इसके लिए भी प्रोत्साहित करता है कि उन्हें अपनी वेबसाइट पर क्या बदलाव करने चाहिए।
ऐसे फीचर वाली स्टार्टअप नाउफ्लोट्स ने पिछले दो साल में 500 फीसदी वृद्धि दर्ज की है और इसका उपयोग इस समय 2,40,000 उद्यम कर रहे हैं, जिनके 1.3 करोड़ ग्राहक हैं। इस साल जनवरी में धन जुटाने की सीरीज-बी में नाउफ्लोट्स ने 1 करोड़ डॉलर जुटाए थे। यह धन आयरन पिलर, आईआईएफएल के दो वेंचर फंडों, ब्लूम वेंचर्स और ओमिडयार नेटवर्क से जुटाया गया था। ओमिडयार नेटवर्क ने सीरीज-ए में भी निवेश किया था। कंपनी में शुरुआती निवेश ब्लूम वेंचर्स, मुंबई ऐंजल्स और हैदराबाद ऐंजल्स द्वारा किया गया। आयरन पिलर के प्रबंध साझेदार आनंद कृष्णा कहते हैं, 'एसएमई, विशेष रूप से उभरते बाजारों के एसएमई के पास ऐसे उपयोगी टूल की कमी होती है, जो उन्हें ग्राहकों तक पहुंच बनाने और ऑनलाइन कारोबार हासिल करने में मदद कर सकते हैं। इसके लिए नाउफ्लोट्स के पास अच्छा उत्पाद है, जो बड़ा बाजार हासिल करने के द्वार खोलती है, विशेष रूप से उस स्थिति में जब आप इसे लंबी अवधि में एक प्लेटफॉर्म के रूप में देखते हैं।'
कृष्णा कहते हैं, 'सबसे अहम बात यह है कि यह एक टीम है और भारत में बने सास (सॉफ्टवेयर एज ए सर्विस) उत्पादों के जरिये बड़ी समस्या हल करने के उनके उत्साह ने हमें आकर्षित किया है। हम उत्पाद कंपनियों को पसंद करते हैं और मानते है कि विश्व के लिए ऐसी कंपनियां भारत में बन सकती हैं।' उन्होंने कहा, 'इसने अपने उत्पाद बनाने में अच्छा काम किया है और अब यह कारोबार और बिक्री परिचालन के क्षेत्र पर ध्यान दे रही है।'
अवसर
कंपनी के सह-संस्थापक जसमिंदर सिंह गुलाटी कहते हैं कि भारत में 5.1 करोड़ छोटे कारोबार हैं। अगर आप 4 करोड़ चायवालों और छोटे दुकानदारों को भी शामिल नहीं करते हैं तो भी आपके पास एक बड़ा बाजार बचता है। वह कहते हैं, 'इस क्षेत्र में 20 अरब डॉलर की कंपनी बनाने का अवसर मौजूद है।' इसका स्थानीय वेब डेवलपरों से सीधा मुकाबला है, जबकि जस्ट डायल (ऑन क्लासीफाइड), इंडिया मार्ट (बी2बी सर्च), गो डैडी (वेब होस्टिंग) और फेसबुक एवं गूगल के साथ अप्रत्यक्ष प्रतिस्पर्धा है। गौरतलब है कि फेसबुक और गूगल छोटे कारोबारों को मुफ्त वेबसाइट मुहैया करा रही हैं। अच्छी बात यह है कि इस स्टार्टअप के बहुत से ग्राहक कई प्लेटफॉर्म इस्तेमाल करते हैं और उन्हें नाउफ्लोट्स को जोडऩे में कोई दिक्कत नहीं है। बहुत से ग्राहक कंपनी से पहली बार जुड़े हैं, लेकिन उनमें से ज्यादातर निवेश पर प्रतिफल बढऩे की उम्मीद से आए हैं। वे यह जानना चाहते हैं कि एक निर्धारित फीस चुकाने के बाद उनके लाभ में कितना इजाफा होता है। यह पेयू और इंस्टामोजो जैसी भुगतान कंपनियों के साथ मिलकर काम करती है और अब एक के अधिग्रहण के बारे में विचार कर रही है ताकि वह ग्राहकों के पॉइंट ऑफ सेल के आंकड़े हासिल कर सके।
कारोबारी मॉडल
यह सास आधारित पुराना ग्राहक मॉडल अपनाती है, जिसमें मासिक नवीनीकरण फीस अगाऊ चुकानी होती है। यह उद्यमों से एक साल के लिए 25,000 रुपये लेती है। इसके बदले में कारोबारी को एक ऐप मिलता है, जिसका इस्तेमाल अपनी वेबसाइट बनाने और अद्यतन करने में किया जा सकता है। गुलाटी कहते हैं, 'यह ऐप न केवल आपको तुरंत एक वेबसाइट मुहैया कराता है बल्कि इसमें ऑटो एसईओ या सर्च इंजन ऑप्टिमाइजेशन की कुछ निश्चित खूबियां भी मिलती हैं।' गुलाटी कहते हैं कि ग्राहक ऑनलाइन क्या सर्च कर रहे हैं, उसके आधार पर यह स्टार्टअप मालिकों को इस बात के लिए प्रोत्साहित करती है कि उन्हें अपनी वेबसाइट पर क्या अद्यतन करना चाहिए। गुलाटी कहते हैं, 'अन्य कोई समाधान सृजन, अद्यतन और क्या अद्यतन किया जाना चाहिए, इसके बारे में प्रोत्साहन देने की कुव्वत एक साथ नहीं रखता है। इसके लिए हमने फेसबुक और गूगल के साथ करार कर रखा है। हमने चार से पांच अलग-अलग कारोबारों को मिश्रित किया है।'
प्रसन्ना कहते हैं, 'इसमें अरबों डॉलर का राजस्व कमाने की गुंजाइश है। कंपनी की ग्राहक बनाने की लागत (सीएलवी : सीएवी) अच्छी है, जिससे यह लघु और दीर्घ अवधि में अत्यधिक मुनाफे वाला कारोबार बन जाता है।'
सीएलवी : सीएसी के मुकाबले कस्टमर लाइफटाइम वैल्यू में किसी ग्राहक की लाइफटाइम वैल्यू और उस ग्राहक को जोडऩे की लागत के संबंध को मापा जाता है। यह सब्सक्रिप्शन आधारित कंपनियों के लिए एक अहम मानदंड है। ग्राहक की वैल्यू उसे हासिल करने की लागत से तीन गुना होनी चाहिए।
आगे की राह
कंपनी 10 लाख छोटे उद्यमों को अपनी सेवा देना चाहती है और 3 करोड़ ग्राहकों के आंकड़े पर पहुंचना चाहती है। इस समय कंपनी 2,40,000 कारोबारों को सेवाएं दे रही है और इन उद्यमों के ग्राहकों की कुल संख्या 1.3 करोड़ है। गुलाटी का मानना है कि कारोबारों के सामग्री और अद्यतन से काफी विकल्प मिलते हैं। उन्होंने कहा, 'अब हम यह जानते हैं कि लोग क्या ढूंढ रहे हैं। भविष्य में हम छोटे कारोबार पर अद्यतन आंकड़ों के सबसे बड़े संग्राहक बन सकते हैं और हम इन आंकड़ों का फायदा हासिल कर सकते हैं।' स्टार्टअप ने 650 से अधिक लोगों की मजबूत टीम खड़ी करने की योजना बनाई है, विशेष रूप से छोटे और मझोले शहरों में।
चुनौतियां
कंपनी को अपनी नवीनीकरण की दर सुधारकर 60 फीसदी करनी होगी, जो इस समय 48 फीसदी है। इसके लिए उसे एक बहुत ही पारदर्शी बिक्री एवं ऑन बॉर्डिंग प्रक्रिया, निवेश के प्रतिफल पर ध्यान देने और लगातार ग्राहकों से संबंध बनाए रखना होगा। कंपनी के नवीनीकरण की रफ्तार बढऩे तक उसे शुरुआती वर्षों में नए ग्राहक हासिल करने के लिए एक बिक्री टीम की जरूरत होगी। प्रसन्ना कहते हैं कि एक अन्य अहम चुनौती उत्पाद मानसिकता बनाए रखना और ग्राहकों की जरूरत को समझना है क्योंकि ग्राहक सेगमेंट अलग-अलग और विशेषीकृत होते जा रहे हैं।
विशेषज्ञ राय
देश में सूक्ष्म, लघु एवं मझोले उद्योग (एमएसएमई) 5 करोड़ होने का अनुमान है। ये भारतीय अर्थव्यवस्था का आधार हैं और यह तेज वृद्धि दर्ज करने वाला क्षेत्र है। आज छोटे से छोटे कस्बों में भी एमएसएमई के मालिकों के पास स्मार्टफोन हैं और वे कारोबार की वृद्धि और उत्पादकता के लिए तकनीक को अपना रहे हैं। नाउफ्लोट्स ऑनलाइन उपस्थिति और बिक्री टूल्स का बुनियादी सेट मुहैया कराती है, जिनसे एमएसएमई इंटरनेट से जुड़ जाता है और यह इंटरनेट सबसे कम बैंडविड्थ में काम करता है।
(आशिष महापात्र, एसएमई के मार्केटप्लेस ऑफबिज़नेस के सह-संस्थापक और बिक्री प्रमुख हैं)
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