हमारी मन:स्मृति में महात्मा गांधी की जो भी तस्वीरें बसी हुई हैं, उसमें सबसे अमिट छवि कौन सी है?
एक विज्ञापन गुरु द्वारा बनाई गई छवि, सार्वजनिक स्थलों पर गांधी जी की अर्ध्द-प्रतिमा या फिर डाक टिकटों पर लाल और भूरे रंग की मिश्रण वाली छवि, कानूनी दस्तावेज व नोटों पर छपी छवि, महात्मा में तब्दील हुए मोहनदास की दानेदार छवि या फिर बेन किन्सले की गांधी जी की भूमिका वाली छवि?
सैफरॉनऑर्ट के मुख्य कार्यकारी अधिकारी दिनेश वजीरानी का कहना है कि 'अगर आप नजरें घुमा कर देंखें तो गांधी जी आपको हर जगह नजर आएंगे।' हालांकि मुख्यधारा की फिल्मों में भी उनका चित्रण किया गया लेकिन आमतौर पर कलाकार खामोशी से कलाकृति के इर्द-गिर्द रहे।
हालांकि इसका मतलब यह कतई नहीं है कि उनको गांधी जी से कोई दुराव है बल्कि इन कलाकारों ने समय-समय पर गांधी जी को प्रतीकात्मक चित्रों में उकेरा है, वे ही सारी सच्चाई बयां कर देते हैं। जब देश अंग्रेजों से आजादी की लड़ाई लड़ रहा था ।
तब भारत माता को एक स्वतंत्रता सेनानी के रूप में प्रदर्शित गया था। उस दौरान कलाकारों में भारत माता के उस पोस्टर में गांधी जी को एक मुख्य नायक की भूमिका में दर्शाया था। यह वही चित्रण था जिसने जनमानस की स्मृति में गांधी जी की अमिट छाप छोड़ी।
सैफरॉनआर्ट ने हाल ही में मुंबई स्थित अपनी आर्ट गैलरी में गांधी जी की विचारों पर बनी विभिन्न चित्रों को लेकर एक प्रदर्शनी लगाई है। इस प्रदर्शनी का नाम 'बापू' रखा गया है। यह प्रदर्शनी इसी महीने के 15 जनवरी से शुरू हो चुकी है और 15 फरवरी तक चलेगी।
इस प्रदर्शनी का मूल विचार गायत्री सिन्हा का था जिसके बाद वजीरानी ने इसका आयोजन किया। इस प्रदर्शनी में 12 कलाकारों के चित्रों का प्रदर्शन किया गया है, जोकि गांधी जी के विभिन्न विचारों को दर्शाते हैं।
कलाकारों ने मुख्य रूप से गांधी जी को चित्रों के माध्यम से इस तरह प्रदर्शित किया है कि वह उद्योग, समाजीकरण, राजनीतिक और नवोदित भारत को किस नजरिए से देखते थे।
इसके अलावा, देश में बदलते आर्थिक परिदृश्य पर गांधी जी के विचार जो कि सबसे ज्यादा महत्त्वपूर्ण थे, उन्हें भी कलाकारों ने चित्रों के माध्यम से प्रस्तुत किया है।
वजीरानी ने बताया कि यहां प्रदर्शित ज्यादातर तस्वीरें गांधी जी को एक बूढ़े इंसान के तौर पर दर्शाती है। इस प्रदर्शनी के बारे में गायत्री सिन्हा ने बताया कि इन कलाकारों की कलाओं का कोई जवाब नहीं है।
सिन्हा ने बताया कि कलाकारों ने गांधी जी के जीवन के विभिन्न पहलुओं को वास्तविकता के धरातल पर बखूबी उतारा है। इस प्रदर्शनी को पहले न्यू यॉर्क में आयोजित किया जाना था लेकिन मुंबई में 26 नवंबर को हुए आतंकी हमले के बाद सैफरॉनऑर्ट ने इस प्रदर्शनी को मुंबई में ही आयोजित करने का फैसला किया।
सैफरॉनऑर्ट ऐसा इसलिए भी चाहती थी क्योंकि आतंकी हमलों की गूंज के बीच गांधी जी का चित्रात्मक संवाद असर डाल सके। हालांकि इस प्रदर्शनी के सारे ऑर्ट की बिक्री भी की जाएगी।
यह संभावना जताई जा रही है कि इन चित्रों की कीमत 2 लाख रुपये से शुरू होगी। जगर्नाथ पांडा के कैनवास की कीमत 3 लाख रुपये है जबकि सुरेंद्रन नायर की 'तथागत' सबसे अधिक 70 लाख रुपये की है।