डी-मार्ट आईपीओ: बैंकों ने लिया सबसे कम शुल्क | समी मोडक / मुंबई March 22, 2017 | | | | |
डी-मार्ट रिटेल चेन का परिचालन करने वाली एवेन्यू सुपरमाट्ïर्स ने अपनी आरंभिक सार्वजनिक पेशकश (आईपीओ) का प्रबंधन करने के लिए आठ निवेश बैंकों को 9.43 करोड़ रुपये चुकाए जो निर्गम आकार का महज 0.5 प्रतिशत है। बाजार नियामक के समक्ष पेश किए गए कंपनी के दस्तावेजों में यह जानकारी दी
गई है।
आमतौर पर निवेश बैंक निजी क्षेत्र के आईपीओ के प्रबंधन पर शुल्क के तौर पर 1.5 फीसदी से 3 फीसदी के बीच वसूलते हैं। पिछले 10 बड़े आईपीओ के लिए वसूला गया औसत शुल्क लगभग दो फीसदी है।
डी-मार्ट आईपीओ का प्रबंधन करने वाले आठ निवेश बैंक हैं - कोटक महिंद्रा कैपिटल कंपनी, ऐक्सिस कैपिटल, एडलवाइस फाइनैंशियल, एचडीएफसी बैंक, आईसीआईसीआई सिक्योरिटीज, इंगा कैपिटल, जेएम फाइनैंशियल इंस्टीट्ïयूशनल सिक्योरिटीज, मोतीलाल ओसवाल इन्वेस्टमेंट एडवाइजर्स और एसबीआई कैपिटल मार्केट्ïस।
सूत्रों का कहना है कि 9.43 करोड़ रुपये का कुल शुल्क कोटक महिंद्रा कैपिटल को चुकाया गया जिसने इस आईपीओ के लिए प्रमुख बैंकर के तौर पर जिम्मेदारी संभाली। इस घटनाक्रम की जानकारी रखने वाले एक निवेश बैंकर ने कहा, 'निवेश बैंकों को पहले से ही कम शुल्क के बारे में बता दिया गया था। इसके बावजूद इन बैंकों ने प्रवर्तक और डी-मार्ट ब्रांड के साथ सद्ïभाव की वजह से यह जिम्मेदारी संभालने पर सहमति जता दी थी।'
डी-मार्ट जाने-माने शेयर बाजार निवेशक राधाकिशन दमानी द्वारा प्रवर्तित कंपनी है। दमानी शेयर बाजार के कामकाज को व्यापक रूप से जानते हैं। कंपनी ने इस आईपीओ से 1,870 करोड़ रुपये जुटाए हैं और इस निर्गम को 100 गुना से अधिक का अभिदान मिला था।
निवेश बैंकरों के शुल्क में डी-मार्ट के लिए कुल निर्गम खर्च 32.6 करोड़ रुपये शामिल था। आईपीओ के दौरान कंपनी को कुछ अन्य खर्च भी वहन करने पड़े जिनमें ब्रोकर कमीशन, विज्ञापन एवं मार्केटिंग, लिस्टिंग शुल्क, प्रोसेसिंग शुल्क शामिल हैं। दिलचस्प बात यह है कि लाउरुस लैब्स को पिछले साल अपने 1330 करोड़ रुपये के निर्गम के लिए निवेश बैंकिंग शुल्क के तौर पर 33.3 करोड़ रुपये खर्च करने पड़े थे। ेेनिवेश बैंकरों को सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों (पीएसयू) के निर्गमों के लिए कम शुल्क लेने के लिए जाना जाता है। बैंकरों ने 2010 में कोल इंडिया के 15,000 करोड़ रुपये के आईपीओ के प्रबंधन के लिए जीरो शुल्क की पेशकश की थी।
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