'भारत सरकार के नोटबंदी के कदम पर संशय' | पुनीत वाधवा / March 03, 2017 | | | | |
अमेरिकी फेडरल रिजर्व की बैठक के नतीजे और यूरोपीय परिषद की बैठक में ब्रेक्सिट की कार्यवाही मार्च के दो प्रमुख वैश्विक घटनाक्रम होंगे, जिस पर बाजार के जानकारों की नजर है। देश में विधानसभा चुनाव के नतीजे पर भी नजर रखी जा रही है। राबोबैंक इंटरनैशनल के वित्तीय बाजार के शोध प्रमुख (एशिया-प्रशांत) माइकल एवरी ने पुनीत वाधवा को दिए साक्षात्कार में कहा, मेरा मानना है कि अमेरिकी केंद्रीय बैंक इस साल सिर्फ एक बार ब्याज दरों में इजाफा करेगा। पेश हैं बातचीत के मुख्य अंश...
कई विशेषज्ञों का मानना है कि अमेरिकी फेडरल रिजर्व मार्च में ब्याज दरें बढ़ा सकता है। इस पर आपकी क्या राय है?
अमेरिकी फेडरल मार्च में शायद ही ब्याज दरें बढ़ाएगा। फेडरल रिजर्व काफी बातें करता है, लेकिन काफी कम कदम उठाता है। फेडरल ओपन मार्केट कमेटी की दिसंबर में हुई बैठक के दस्तावेज बताते हैं कि दरों पर बैंक का परिदृश्य ट्रंप प्रशासन की आर्थिक नीतियों के असर आदि पर निर्भर हो गया है। अभी हमारा मानना है कि साल के आखिर में एक बार ब्याज दरें बढ़ेंगी, हालांकि यह निश्चित तौर पर इस पर निर्भर करेगा कि राष्ट्रपति ट्रंप आगे क्या करते हैं।
क्या आपको लगता है कि अमेरिकी केंद्रीय बैंक की आगामी ब्याज दर बढ़ोतरी को लेकर बाजार में जरूरत से ज्यादा डर है?
नहीं, मुझे लगता है कि बाजार इस मामले में अनजान है कि वह इसे किस हद तक अनदेखा कर रहे हैं! लेकिन लंबे समय तक ऐसा तक करने की इसमें आदत है, जब तक कि हम संपन्न बने रह सकते हैं। लगता है कि हम एक और वैश्विक विदेशी विनिमय संघर्ष की ओर बढ़ रहे हैं और यह बड़े वैश्विक कारोबारी संघर्ष की पूर्ववर्ती हो सकती है।
डॉनल्ड ट्रंप के कार्यकाल के पहले कुछ हफ्ते कैसे रहे हैं? क्या इनमें वैश्विक बाजार में अवरोध डालने की क्षमता है? भारत के बारे में क्या कहेंगे?
निश्चित तौर पर, यह इस पर निर्भर करता है कि वह वास्तव में क्या कदम उठाते हैं। ऐसे संभावित कदम से भारत पूरी तरह शायद ही अछूता रह पाएगा।
हाल में अमेरिकी इक्विटी में आई तेजी क्या बताती है?
इक्विटी में आई हालिया तेजी इस वास्तविकता को कमतर आंकर रहा है कि बाजार खुशी-खुशी राष्ट्रपति की धुन पर नांच रहा है जो निवेश में मजबूती व कर में कटौती की अपनी बात पर अगला कदम उठाएंगे। हमारा मानना है कि अमेरिकी कर्ज-जीडीपी का अनुपात रिकॉर्ड ऊंचाई के पास है, अमेरिकी नीति निर्माता राष्ट्रीय बैलेंस शीट में अतिरिक्त उधारी जोडऩे की दौड़ में नहीं होंगे
जब अर्थव्यवस्था में मजबूती
आ रही है।
इस पृष्ठभूमि में कैलेंडर वर्ष 2017 में उभरते बाजारों में एफआईआई निवेश को लेकर आगे की राह कैसी है?
अल्पावधि में निवेश जारी रहने की संभावना है।
अब बाजार के लिए मुख्य जोखिम कौन से हैं?
ट्रंप की नीति, अमेरिकी फेडरल रिजर्व के कदम, अमेरिकी-चीन संबंध, चीन से पूंजी की निकासी, यूरोजोन के चुनाव। इनमें से कोई भी विशेष तौर से भारत के लिए नहीं हैं, लेकिन इनमें से कोई भी अनुकूल भी नहीं है।
आने वाले दिनों में वैश्विक बॉन्ड बाजार कैसे रहेंगे?
ब्याज दरें और बॉन्ड का प्रतिफल निकट भविष्य में बढ़ सकते हैं, लेकिन साल के आखिर तक बॉन्ड का प्रतिफल मौजूदा प्रतिफल के मुकाबले कम रहने की संभावना है।
निवेश गंतव्य के रूप में भारत कैसा नजर आ रहा है?
नोटबंदी के नतीजे अस्पष्ट बने हुए हैं। मुझे अभी भी संशय है कि काफी ज्यादा नकद आधारित अर्थव्यवस्था में हम नकदी निकाल सकते हैं और इसमें काफी ज्यादा अवरोध का अनुभव न हो, लेकिन स्पष्ट तौर पर कई ऐसे सुर हैं जो इसके विपरीत बोल रहे हैं। बढ़त को देखते हुए भारत आकर्षक नजर आ रहा है।
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