पंजीकरण आंकड़ों से दिखी राज्यों के बीच असमानता | सायन घोषाल / February 26, 2017 | | | | |
देशभर में वस्तु एवं सेवाकर (जीएसटी) प्रणाली जल्द ही लागू होने वाली है। लेकिन सरकार द्वारा जारी अग्रिम पंजीकरण के आंकड़ों से राज्यों की एक दिलचस्प तस्वीर सामने आती है। नवंबर 2016 में अग्रिम पंजीकरण कार्यक्रम के शुरू होने के बाद राज्यों के प्रदर्शन में काफी असमानता दिख रही है। नई कर व्यस्था 1 जुलाई से प्रभावी होने की उम्मीद है। ऐसे में 80 लाख से अधिक करदाताओं को नए अप्रत्यक्ष कर ढांचे में आसानी से लाने के लिए अग्रिम पंजीकरण की प्रक्रिया को विभिन्न राज्यों में चरणबद्ध तरीके से शुरू की गई है ताकि अत्यधिक बोझ से बचा जा सके। लेकिन यदि सरकारी आंकड़ों पर गौर किया जाए तो देश के विभिन्न राज्यों में जीएसटी प्रणाली को स्वीकार करने संबंधी अलग-अलग प्रवृत्ति दिख रही है। आंकड़ों से पता चलता है कि जीएसटी व्यवस्था की शुरुआती अवस्था में ही राज्यों के बीच असमानता उभरने लगी है।
किसी भी कानून में इस तरह के पंजीकरण की बाध्यता न होने के कारण अग्रिम पंजीकरण के लिए राज्य सरकारों का रुख भी अलग-अलग दिख रहा है। कुछ राज्य अग्रिम पंजीकरण को लेकर काफी जल्दबाजी दिखा रहे हैं जबकि कुछ अन्य राज्य अभी भी इंतजार कर रहे हैं। पंजीकरण दो तरह- पहले से ही पंजीकृत (वैट, उत्पाद शुल्क एवं सेवाकर पंजीकरण के तहत) कारोबार को जीएसटी में स्थानांतरित करना और ताजा आवेदनों का पंजीकरण- से किए जा रहे हैं। ईवाई के पार्टनर (अप्रत्यक्ष कर) बिपिन सपरा कहते हैं, 'कुछ क्षेत्रों में जीएसटी पंजीकरण को लेकर दूसरों के मुकाबले कहीं अधिक उत्साह और तेजी दिख रही है। आंकड़ों से पता चलता है कि विक्रेता (उपभोक्ता) राज्यों के मुकाबले विनिर्माण करने वाले राज्यों का प्रदर्शन बेहतर है।'
अग्रिम पंजीकरण की प्रक्रिया काफी देरी से शुरू करने के बावजूद दक्षिणी राज्यों का प्रदर्शन बेहतरीन दिख रहा है। कर्नाटक 92.79 फीसदी पंजीकण पहले ही पूरा कर चुका है। केवल केरल में यह आंकउ़ा 60.06 फीसदी है। गोवा को छोड़कर पश्चिमी और मध्यवर्ती राज्यों का प्रदर्शन भी 51.77 फीसदी पंजीकरण के साथ अच्छा दिख रहा है। उत्तरी, पूर्वी और पूर्वोत्तर क्षेत्र के राज्यों में अग्रिम पंजीकरण की प्रक्रिया काफी कम दिख रही है। उत्तरी राज्यों में जम्मू-कश्मीर का प्रदर्शन 0.55 फीसदी पंजीकरण दर के साथ सबसे कमजोर दिख रहा है। यहां तक कि राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली का प्रदर्शन भी महज 55.27 फीसदी पंजीकरण दर के साथ औसत रहा है। पूर्वी और पूर्वोत्तर राज्यों में पश्चिम बंगाल का प्रदर्शन 67.13 फीसदी पंजीकरण दर के साथ सबसे अच्छा रहा है। लेकिन इस क्षेत्र का प्रदर्शन काफी खराब दिख रहा है।
केपीएमजी इंडिया के प्रमुख (अप्रत्यक्ष कर) सचिन मेनन कहते हैं, 'अग्रिम पंजीकरण के मामले में विभिन्न राज्यों के बीच असमानता की एक प्रमुख वजह जीएसटी को लेकर जागरूकता है। ऐतिहासिक तौर पर पूर्वी और पूर्वोत्तर राज्यों में अनुपालन का स्तर कमजोर रहा है जबकिबेहतर कंप्यूटर साक्षरता के साथ पश्चिमी और दक्षिणी राज्यों का प्रदर्शन बेहतर रहा है।' विश्लेषकों का कहना है कि जीएसटी ढांचे से संबंधित नए कानून को लेकर अभी भी बहस जारी है। ऐसे में आवश्यक पंजीकरण को लेकर करदाताओं के बीच अधिक जल्दबाजी नहीं दिख रही है। इसके अलावा सेवाकर पंजीकरण जैसी अन्य जटिलताओं को भी राज्यों को गंभीरतापूर्वक निपटाने की जरूरत है क्योंकि आमतौर पर ऐसे कर की प्रकृति केंद्रीय दिखती है। सपरा के अनुसार, जीएसटी ढांचे को लागू करने के लिए तिथि निर्धारित होने के साथ ही प्रकियाओं और कानून को कहीं अधिक स्पष्टï किए जाने पर इस प्रकार के पंजीकरण में उल्लेखनीय वृद्धि होनी चाहिए।
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