'जीएसटी पर अन्य देशों के अनुभव से सीखे भारत' | शुभायन चक्रवर्ती / नई दिल्ली February 20, 2017 | | | | |
वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) सुधार को लागू करने के पहले भारत को अन्य देशों से सीख लेते हुए सावधानी पूर्वक कदम उठाने की जरूरत है, जिन्होंने इस तरह का कानून पहले पेश किया है। सोमवार को भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) और कर सलाहकार क्षेत्र की दिग्गज डेलॉयट की ओर से जारी एक रिपोर्ट में कहा गया है कि मलेशिया, कनाडा जैसे अन्य देशों के अनुभवों से भारत को सीख लेना चाहिए, जिसका सामना इस समय भारत कर रहा है। इस रिपोर्ट में बड़ी कंपनियों के मुख्य वित्तीय अधिकारियों (सीएफओ) की राय ली गई है।
मसौदा कानून को जीएसटी परिषद ने शनिवार को मंजूरी दे दी, जिसमें जीएसटी के कारण राज्यों को होने वाले घाटे का पूरा मुआवजा देने का प्रावधान है। अब उम्मीद की जा रही है कि कर सुधार 1 जुलाई से अस्तित्व में आ जाएगा। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि सर्वे में शामिल सीएफओ में करीब 57 प्रतिशत का मानना है कि जीएसटी का नकदी प्रवाह, कर अकाउंटिंग, आपूर्ति शृंखला, खरीद के साथ ही तकनीकी ढांचे में व्यापक बदलाव होगा।
रिपोर्ट मे कहा गया है कि जीएसटी की सफलता के लिए पर्याप्त तैयारी और कर कानून व नियमों की जानकारी महत्त्वपूर्ण है। कमिन्स ग्रुप आफ कंपनीज के सीएफओ राजीव बत्रा ने कहा, 'उद्योग के रूप में हमें भी कानून के मुताबिक सही योजना बनानी होगी। हमें शायद वाणिज्यिक विचार से गोदाम बनाने की जरूरत नहीं होगी और उन्हें जरूरत होने पर ही रखना होगा।' मलेशिया में अप्रैल 2015 से जीएटी लागू किया गया था। रिपोर्ट में कहा गया है कि वहां कारोबारियों को तैयारी के लिए डेढ़ साल वक्त दिया गया था। बहरहाल यह कदम बाधारहित नहीं था और कुछ कारोबारी व्यवधान सामने आए। रिपोर्ट में कहा गया है कि हमें मलेशिया की तुलना में ज्यादा तैयारी करने की जरूरत है, क्योंकि मलेशियाई कर की तुलना में हमारा कर ढांचा ज्यादा जटिल है।
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