बीएस बातचीत कोला ड्रिंक्स की बिक्री घटने से प्रमुख बेवरिजेस कंपनी पेप्सिको इंडिया होल्डिंग्स की वित्तीय स्थिति दबाव में है। वित्त वर्ष 2016 के दौरान उसका शुद्ध घाटा एक साल पहले के 177 करोड़ रुपये से बढ़कर 538 करोड़ रुपये हो गया जबकि राजस्व 18 फीसदी घटकर 6,626 करोड़ रुपये रह गया। न्यूयॉर्क की इस कंपनी की भारतीय इकाई ने अपनी रणनीति में कई बदलाव किए हैं। पेप्सिको इंडिया के चेयरमैन एवं मुख्य कार्याधिकारी डी शिवकुमार ने अर्णव दत्ता से बातचीत में विभिन्न मुद्दों पर चर्चा की। मुख्य अंश: पेप्सिको की वैश्विक सीईओ इंदिरा नूयी ने हाल में घोषणा की थी कि कंपनी अपने पोर्टफोलियो में बदलाव करेगी और और 2025 तक चीनी की मात्रा में उल्लेखनीय कटौती करेगी। ऐसे में भारत के लिए क्या योजना है? हमारे सभी उत्पाद बेहतर और उत्पाद परीक्षण के लिहाज से खरे हैं। हम लगातार अपने प्रतिस्पर्धियों को मात दे रहे हैं। उत्पाद पोर्टफोलियो में बदलाव करना हमारी प्रमुख प्राथमिकताओं में शामिल है। हम हाइड्रेशन ड्रिंक्स को बढ़ावा देने की कोशिश कर रहे हैं जो समय की जरूरत है। साथ ही हम अपने दो ब्रांडों- ट्रॉपिकाना और क्वेकर- के जरिये स्वास्थ्य और पोषण पर भी ध्यान दे रहे हैं। धीरे-धीरे हम अपने उत्पादों में चीनी की मात्रा भी घटा रहे हैं। कम चीनी आधारित उत्पाद लाने वाली हम पहली कंपनी हैं। 7अप जैसे हमारे वर्तमान उत्पादों से मिली सीख और अधिकारियों से बातचीत के बाद हम आगे की राह तैयार करेंगे। हमारे लिए फूड एक प्रमुख कारोबार है। फिलहाल हम नाश्ता श्रेणी में अपनी पैठ बढ़ाने की कोशिश कर रहे हैं जो वृद्धि के लिए काफी अहम है। कार्बोनेटेड बेवरिजेस की बिक्री में उल्लेखनीय गिरावट आई है। क्या इससे निपटने के लिए आप स्वास्थ्यवर्धक बेवरिजेस पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं? नहीं, जीवनशैली, आय पैटर्न और जनसांख्यिकीय बदलाव के अलावा दबावपूर्ण शहरी जीवनशैली के कारण लोग ऐसे स्वास्थ्यवद्र्धक खाद्य पदार्थों को तलाशते हैं जिन्हें तत्काल तैयार किया जा सके। हमने इसी जरूरत की पहचान की है। इसलिए स्वास्थ्यवर्धक पोर्टफोलियो की ओर उठाए गए हमारे कदमों से इस बाजार की जरूरत पूरी होगी। यह निश्चित तौर पर संभ्रांत लोगोंं का बाजार है। सॉफ्ट ड्रिंक्स एक सस्ता शीतल पेय है जो गलियों में उपलब्ध हो जाता है। इसलिए सामथ्र्य का अभाव कमजोर वृद्धि का कारण नहीं है। बल्कि इसका संबंध हाल के दिनों में प्रतिकूल मौसम से है। पिछले एक साल के दौरान चीनी की कीमतों में करीब 35 फीसदी की तेजी और बढ़ते घाटे के बावजूद पेप्सिको ने अपने उत्पादों के दाम नहीं बढ़ाए। क्या बिक्री में गिरावट को थामने के लिए ऐसा किया गया? भारतीय में हमारे जैसे कारोबार के लिए कुछ कीमतें जादूई होती हैं। बेवरिजेस श्रेणी में यह 10 रुपये, 15 रुपये और 20 रुपये हैं। हम इन कीमतों पर बेवरिजेस की सही मात्रा उपलब्ध कराने की कोशिश कर रहे हैं। चीनी कीमतों में वृद्धि से निपटने के लिए हम अपनी लागत को नए सिरे से व्यवस्थित कर रहे हैं। इस उद्योग में पहले 3 से 5 फीसदी के दायरे में मूल्य वृद्धि की गई थी। लेकिन फिलहाल हम कीमत बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित नहीं कर रहे हैं। साल 2016 के दौरान पेप्सिको इंडिया के शीर्ष स्तर पर कई लोगों ने इस्तीफा दे दिया। ऐसा क्यों? अधिकतर लोगों ने अन्य जगहों पर बेहतर संभावनाएं मिलने पर इस्तीफा दिया। प्रतिभाओं को तलाशने के लिए हमारे पास काफी अच्छी प्रणाली है और हम बेहतर भूमिका निभाने के लिए काबिल लोगों की तलाश कर रहे हैं। इस प्रकार आवाजाही कभी भी कोई समस्या नहीं रही। पिछले तीन साल के दौरान हमने बी-स्कूल के छात्रों की नियुक्तियां की और उन्हें कॉरपोरेट इंटर्नशिप पर लगाया गया। फिलहाल हमारे दो-तिहाई कर्मचारी मिलेनियल्स हैं।
