तकनीकी रुझानों के मामले में वर्ष 2016 काफी नयापन वाला साल रहा है। कई रुझानों की शुरुआत विदेश में हुई लेकिन भारत में भी उन्हें हाथों-हाथ लिया गया। कारोबारी और आम जिंदगी पर खासा असर डालने वाली अहम प्रवृत्तियां इस प्रकार रहीं:
इस साल आधार कार्ड जारी करने वाले भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण के पास पंजीकृत लोगों की संख्या एक अरब के पार पहुंच गई। देशवासियों की डिजिटल पहचान सुनिश्चित करने के मकसद से चलाए जा रहे अभियान के लिए एक अरब का आंकड़ा पार करना अपने आप में बेहद खास है। यह सरकारी फंड से चलाया जा रहा दुनिया का पहला ऐसा कार्यक्रम है जिसके लाभार्थियों की संख्या इस आंकड़े तक पहुंची है। इसकी तुलना गूगल, फेसबुक और माइक्रोसॉफ्ट जैसी बड़ी तकनीकी कंपनियों से ही की जा सकती है जिनके उपभोक्ताओं की संख्या एक अरब से अधिक है। आधार के तहत हरेक नागरिक को दिए जाने वाले विशिष्ट पहचान संख्या के जरिये अब सरकारी सब्सिडी को सीधे उनके खातों से जोड़ दिया गया है। आगे चलकर ऑनलाइन भुगतान, पहचान निर्धारण, अहम दस्तावेजों के भंडारण, तेजी से कर्ज बांटने जैसी विविध डिजिटल सेवाओं के लिए आधार संख्या का इस्तेमाल किया जा सकता है। इसके इस्तेमाल से एक आम आदमी के लिए पूंजी बाजार में निवेश कर पाना भी आसान हो सकेगा।
मेक इन इंडिया मोदी सरकार की महत्त्वाकांक्षी योजनाओं में शामिल रहा है और वर्ष 2016 में यह अभियान जमीन पर आकार लेता हुआ नजर आया। इस अभियान के चलते देश के अलग-अलग इलाकों में स्मार्टफोन बनाने वाली 35 नए कारखाने लगाए जाने की घोषणा हुई है जिससे स्थानीय स्तर पर होने वाले स्मार्टफोन उत्पादन के वर्ष 2015 की तुलना में पांच गुना हो जाने की संभावना है। भारत में फोन निर्माण की गतिविधियां बढऩे से 37 हजार रोजगार अवसर पैदा हुए हैं। उम्मीद है कि वर्ष 2020 तक इस क्षेत्र में करीब 50 लाख लोगों को रोजगार मिलेगा और फोन उत्पादन का आंकड़ा 50 करोड़ इकाई के पार पहुंच जाएगा। वैसे मौजूदा समय में स्मार्टफोन की जो इकाइयां भारत में काम कर रही हैं उनमें ज्यादातर विदेश से मंगाए गए उपकरणों की असेंबलिंग का ही काम होता है लिहाजा सरकार घरेलू स्तर पर ही इन कल-पुर्जों के निर्माण की भी कोशिश कर रही है।
अब तक दुनिया भर में गूगल की ख्याति बेहद उन्नत सॉफ्टवेयर बनाने वाली कंपनी की रही है। आखिर गूगल के सात उत्पाद ऐसे हैं जिनके उपभोक्ताओं की गिनती अरब के भी पार है। लेकिन वर्ष 2016 में गूगल ने अपना उच्च क्षमता वाला स्मार्टफोन पिक्सल पेश कर हार्डवेयर के मैदान में भी मजबूत कदम रख ही दिया। अक्टूबर के महीने में पेश पिक्सल को गूगल ने अपने फोन सॉफ्टवेयर एंड्रॉयड पर चलने वाला सबसे शानदार फोन बताया है। नेक्सस में मौजूद खामियों को पिक्सल में बड़ी ही खूबसूरती से दूर किया गया है। पिक्सल फोन की खासियत का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि लॉन्च होने के साथ ही इसे ऐपल के फ्लैगशिप ब्रांड आईफोन की टक्कर का फोन बताया जाने लगा। भारत में भी प्रीमियम स्मार्टफोन बाजार के करीब 10 फीसदी हिस्से पर पिक्सल ने अपनी पकड़ बना ली है।
एलन मस्क की अंतरिक्ष कंपनी स्पेसएक्स ने वर्ष 2016 में दोबारा इस्तेमाल किए जा सकने रॉकेट का सफल परीक्षण कर किफायती अंतरिक्ष भ्रमण की दिशा में शानदार कामयाबी हासिल की। अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा के दोबारा इस्तेमाल वाले अंतरिक्ष यानों का इस्तेमाल बंद करने के बाद स्पेसएक्स ने एक बार फिर इस तकनीक की वापसी कर दी है। इस कंपनी को उम्मीद है कि फाल्कन 9 रॉकेट को एक से अधिक बार इस्तेमाल करने से उपग्रहों और अन्य अंतरिक्ष उपकरणों के प्रक्षेपण की लागत को करीब 30 फीसदी तक कम किया जा सकेगा। पहले ही अंतरिक्ष प्रक्षेपण की लागत में आई गिरावट को देखते हुए ये रॉकेट अंतरिक्ष में शौकिया सैर को भी किफायती दायरे में लाने में मददगार साबित होंगे।
मुकेश अंबानी के रिलायंस जिओ को भारतीय दूरसंचार जगत के सबसे करामाती बदलावों में से एक माना जा रहा है। इससे भारत को डिजिटल मानचित्र पर प्रमुखता से उभारने में मदद मिलने की उम्मीद जताई जा रही है। जिओ के ग्राहक दिल खोलकर इसके मुफ्त डेटा का इस्तेमाल कर रहे हैं। आंकड़ों के मुताबिक, औसत 3जी ग्राहक की तुलना में जिओ के ग्राहक 40-50 गुना अधिक डेटा खर्च कर रहे हैं। हरेक महीने इसके ग्राहकों की संख्या करीब 1 करोड़ तक बढ़ रही है। लेकिन शुरुआती प्रोत्साहन योजना के बंद होने पर आने वाले महीनों में वृद्धि की रफ्तार धीमी पड़ सकती है लेकिन रिलायंस ने उम्मीद लगाई हुई है कि शुरुआती दौर में तेज रफ्तार डेटा की सुविधा उठा चुके ग्राहक उसके 4जी नेटवर्क के विस्तार का सबब बनेंगे। वैसे रिलायंस जिओ का आगाज काफी महंगा रहा है। अंबानी ने 4जी नेटवर्क का विस्तृत ढांचा तैयार करने और अन्य तैयारियों पर करीब 20 अरब डॉलर का भारी भरकम निवेश किया है। यह देखना होगा कि सस्ते डेटा दरों के दम पर कंपनी कितनी जल्दी अपनी लागत वसूल कर पाती है।
दुनिया की लगभग हर बड़ी ऑटोमोबाइल और तकनीकी क्षेत्र की कंपनी स्वचालित कारों के विकास में लगी हुई है। गूगल, ऐपल और उबर भी खुद चलने वाली कार बनाने में लगे हुए हैं। वर्ष 2016 इस लिहाज से खास रहा है कि इनमें से कई कंपनियों को न सिर्फ आम सड़कों पर इन कारों के परीक्षण की इजाजत मिल गई है बल्कि गूगल और उबर जैसी कंपनियां आगे चलकर इन कारों के उत्पादन के बजाय इसकी तकनीक के विकास पर ध्यान केंद्रित करती दिखीं। वैसे खुद चलने वाली कारों से पहले खुद चलने वाले ट्रक सड़कों पर दिखने वाले हैं। उबर की सहयोगी कंपनी ओटो ने 120 मील की दूरी तक बीयर की बोतलें लादे हुए एक स्वचालित ट्रक को सफलतापूर्वक दौड़ाया है। लेकिन स्वचालित कारों का विकास भी रफ्तार लिए हुए है। टेस्ला ने ऐसी ही कार को राजमार्ग पर उतार दिया था लेकिन परीक्षण के दौरान हुए हादसे में कार सवार की मौत ने कई सवालों को भी जन्म दिया।
ड्रोन ने वर्ष 2015 में ही तमाम तकनीकप्रेमियों का ध्यान आकर्षित किया था लेकिन बीते साल इसके नए-नए क्षेत्रों में हुए इस्तेमाल ने इसे और खास बना दिया। ड्रोन का इस्तेमाल हल्के वजन वाले सामान की आपूर्ति में भी किए जाने की शुरुआत देखी गई। ई-कॉमर्स क्षेत्र की दिग्गज कंपनी एमेजॉन ने ग्राहक के घर तक ड्रोन से आपूर्ति करने का परीक्षण शुरू किया है। ब्रिटेन में एमेजॉन ने एक ग्राहक के घर तक पॉपकॉर्न और स्ट्रीमिंग उपकरण पहुंचाकर इसकी व्यावसायिक शुरुआत भी कर दी। भारत में एमेजॉन की मुख्य प्रतिद्वंद्वी फ्लिपकार्ट भी अपने ग्राहकों को ड्रोन के जरिये आपूर्ति करने पर ध्यान दे रही है। इसके विकास के लिए फ्लिपकार्ट कुछ विश्वविद्यालयों के साथ मिलकर काम कर रहा है।
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