जीएसटी से 'मेक इन इंडिया' स्मार्टफोन पर पड़ेगी चोट | आयान प्रामाणिक / December 18, 2016 | | | | |
सैमसंग, श्याओमी और माइक्रोमैक्स को घरेलू स्तर पर फोन बनाने के लिए प्रोत्साहित करने में भारत की सफलता को वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) लागू होने से झटका लग सकता है। इसकी वजह यह है कि इस नई कर प्रणाली से देेश में फोन बनाने में कम लागत का फायदा नहीं मिल पाएगा। पिछले दो साल के दौरान भारत विश्व की स्मार्टफोन बनाने वाली 40 कंपनियों को अपने यहां लाने में सफल रहा है। सरकार ने देश में स्मार्टफोन विनिर्माण सस्ता करने के लिए नियमों में बदलाव किया था। इलेक्ट्रॉनिक विनिर्माण में निवेश बढ़कर 1.24 लाख करोड़ रुपये पर पहुंच गया है, जो दो साल पहले 11,000 करोड़ रुपये था।
कंसल्टेंसी फर्म पीडब्ल्यूसी इंडिया में पार्टनर प्रतीक जैन ने कहा, 'वर्तमान कर नियमों के तहत भारत में मोबाइल फोन बनाने में 10 फीसदी कर की बचत होती है। हालांकि जीएसटी लागू होने से स्थिति बदल जाएगी। हम उम्मीद करते हैं कि सरकार इस फायदे को बरकरार रखेगी।' पिछले महीने आईआईएम-बेंगलूरु की रिपोर्ट में 2016 के दौरान भारत में 18 करोड़ मोबाइल फोन बनने का अनुमान जताया गया है, जो पिछले साल की तुलना में 125 फीसदी अधिक है। इससे करीब 50,000 रोजगार के सृजन में मदद मिली है। चालू वित्त वर्ष के केंद्रीय बजट में वित्त मंत्रालय ने रियायत का प्रस्ताव रखा था। इसमें घोषणा की गई थी कि भारत में बनने वाले फोनों पर एक फीसदी उत्पाद शुल्क लगेगा, जबकि आयातित फोनों पर 12.5 फीसदी शुल्क लगेगा। इसके अलावा भारत में मोबाइल फोन बनाने के लिए इस्तेमाल होने वाले सभी कलपुर्जों पर सीमा शुल्क खत्म कर दिया गया था। इससे देश में विनिर्माण को बढ़ावा मिला। इससे उत्साहित होकर अनुबंध पर आईफोन बनाने वाली फोक्सकॉन ने भारत में तेजी से विस्तार किया है। हालांकि जीएसटी लागू होने से मोबाइल फोन बनाने वाली कंपनियों को एक समान 18 फीसदी कर (जीएसटी में प्रस्तावित) देना पड़ सकता है और कुल कर में उत्पाद शुल्क को अलग करना मुश्किल हो सकता है। मोबाइल फोन बनाने वाली कंपनियों माइक्रोमैक्स, सैमसंग, लावा, श्याओमी ने इस पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया।
ईवाई इंडिया में पार्टनर विपिन सप्रा ने कहा, 'उत्पाद शुल्क जीएसटी में शामिल हो जाएगा, इसलिए वे घरेलू विनिर्माण के आधार पर चयन और छूट नहीं दे पाएंगी।' कर विशेषज्ञों ने सरकार से आग्रह किया है कि घरेलू स्तर पर विनिर्मित और आयातित फोन पर कर में कम से कम 8 फीसदी अंतर रखा जाए। सप्रा ने कहा, 'हम उन्हें घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा देने के लिए कह रहे हैं।'
इलेक्ट्रॉनिक उपकरण विनिर्माता संस्था का कहना है कि न्यूनतम खुदरा कीमत पर उत्पाद शुल्क के बजाय जीएसटी में लेनदेन शुल्क पर लगेगा, जिससे भारत में मोबाइल विनिर्माताओं पर कर का बोझ घटेगा। इंडिया इलेक्ट्रॉनिक्स ऐंड सेमीकंडक्टर एसोसिएशन के चेयरमैन के कृष्णमूर्ति ने कहा, 'राज्य और केंद्र सहित सरकार में विभिन्न स्तरों पर कर चुकाने के बजाय इसमें एक कर होगा। इससे कंपनियों पर कर का बोझ घटकर 17 से 18 फीसदी पर आ जाएगा, जो इस समय कुल 25 से 30 फीसदी है।'
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