रामलिंग राजू की बात कि चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में कंपनी का मार्जिन 24 फीसदी के बजाय मात्र 3 फीसदी ही था उद्योग विश्लेषकों के गले से नहीं उतर रही है।
विश्लेषकों का मानना है कि पिछले कई साल से कंपनी के बहीखातों के गलत आंकड़े पेश करने की राजू की बात पर यकीन कर लेना काफी मुश्किल है। सत्यम की कुल बिक्री का 60 फीसदी खर्च कं पनी के कर्मचारियों पर होने की बात तो सही है, लेकिन फिर भी ऐसा होना मुमकिन नहीं है।
जबकि इन्फोसिस और विप्रो में यह आंकड़ा 50-53 फीसदी के बीच है। लेकिन इसके बाद भी कंपनी का मार्जिन इतना कम होने की बात पर भरोसा करना आसान नहीं है। जबकि टीसीएस, इन्फोसिस और विप्रो का मार्जिन इससे 10 गुना अधिक है।
हालांकि सत्यम का 24 फीसदी मुनाफा मार्जिन भी इन कंपनियों के मार्जिन से 8-10 फीसदी कम ही था। इसीलिए विश्लेषक नियामक संस्था सेबी से राजू के सभी बयानों और सेबी और स्टॉक एक्सचेंज को लिखे गए पत्र की जांच भी करने की मांग की है।
सत्यम का 3 फीसदी मार्जिन टेक महिंद्रा, एम्फेसिस, पटनी कंप्यूटर, ऑरेकल फाइनेंशियल और रोल्टा इंडिया से भी कम है। यह बिल्कुल भी मुमकिन नहीं है क्योंकि सत्यम के पास इन कंपनियों से बड़े ग्राहक हैं और कंपनी इन ग्राहकों से सेवाओं के लिए कीमत भी ज्यादा ही होगी।
चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में इन कंपनियों का परिचालन मार्जिन 20 फीसदी था। इस दौरान इन कंपनियों ने 3,700 करोड़ रुपये की बिक्री की। मायटास सौदा सामने आने से पहले सत्यम ने तिमाही आधार पर कुल 2,800 करोड़ रुपये की बिक्री की थी।
अगर सत्यम का मार्जिन 3 फीसदी भी मान ली जाए तो यह टेली डैटा इन्फोर्मेटिक्स, कैम्ब्रिज सॉल्यूशंस और पृथ्वी इन्फोर्मेशन जैसी छोटी कंपनियों से भी कम है। इन कंपनियों का मार्जिन 4-6 फीसदी के बीच है। हालांकि यह कंपनियां सॉफ्टवेयर सॉल्यूशंस मुहैया कराती हैं न कि सॉफ्टवेयर सेवाएं।
दूसरी तिमाही में इन कंपनियोने कुल 1,912 करोड़ रुपये की बिक्री की थी। पिछले चार साल से कंपनी का मार्जिन 25-30 फीसदी के आसपास ही था। जो कि टीसीएस के लगभग बराबर ही था जबकि देश की दूसरी सबसे बड़ी आईटी कंपनी विप्रो के मार्जिन से अधिक था।
उम्मीद की किरण
धोखाधड़ी के मामले में फंसी आईटी कंपनी की नैया पार लगाने के लिए कंपनी मामलों के मंत्री पी सी गुप्ता ने सत्यम के निदेशक मंडल में तीन सदस्यों की नियुक्ति की है। इन सदस्यों में से एक किरण कार्णिक ने इस कदम का स्वागत करते हुए कहा कि वे इस मामले में सरकार की तेजी से उत्साहित हैं।
कार्णिक ने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि सरकार के इस कदम से सत्यम के कर्मचारियों, ग्राहकों और शेयरधारकों को मदद मिलेगी। उन्होंने कहा कि उनकी प्राथमिकता हालात समझने की होगी। कार्णिक आईटी उद्योग से अच्छी तरह वाकिफ हैं। वे सात वर्षों तक नैस्कॉम के अध्यक्ष पद की कमान संभाल चुके हैं।
उन्हांने यह अहम पद 2001 में संभाला था। नैस्कॉम के अध्यक्ष के तौर पर कार्निक इस उद्योग और केंद्र एवं राज्य सरकारों से नजदीकी रूप से जुड़े रहे। उन्होंने इस क्षेत्र की प्रगति के लिए कई रणनीतियां तैयार करने में अहम योगदान दिया है।
नैस्कॉम से जुड़ने से पहले कार्निक भारत में डिस्कवरी नेटवर्क्स में प्रबंध निदेशक की जिम्मेदारी भी संभाल चुके हैं। इसके अलावा वे भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) में 20 साल तक काम कर चुके हैं।
राजू हॉल ऑफ फेम से बाहर
सॉफ्टवेयर कंपनियों के संगठन नैसकॉम ने वित्तीय धोखाधड़ी की बात स्वीकारने वाले बी रामलिंग राजू की तस्वीर हॉल ऑफ फेम से बाहर कर दी है।
सत्यम कंप्यूटर सर्विसेज के पूर्व चेयरमैन राजू 2006-07 में नैसकॉम के चेयरमैन भी रहे थे, जिस कारण उनका नाम हॉल ऑफ फेम में था।
सत्यम पर प्रतिक्रिया
'हम इस मामले में सरकार की तेजी से बेहद उत्साहित हैं। सरकार ने बेहद शीघ्रता से सत्यम के बोर्ड का गठन किया है। हमारा मानना है कि इससे सभी शेयरधारकों का विश्वास लौटेगा।'
सुरेश सेनापति, ईडी एवं सीएफओ, विप्रो
'नए बोर्ड से निवेशकों, ग्राहकों और कर्मचारियों का विश्वास बहाल होगा। ग्राहकों और कर्मचारियों को एक बड़ी राहत तभी मिलेगी जब वे कंपनी की वित्तीय स्थिति के बारे में अच्छी तरह से जान लेंगे।'
सुदीन आप्टे, विश्लेषक, फॉरेस्टर
'यह सही समय पर और सोच-समझ कर उठाया गया कदम है और इससे देश की छवि को मजबूत बनाने में मदद मिलेगी। इससे शेयर बाजार में नकारात्मक भावना में कमी आएगी।
इसके अलावा सरकार के इस कदम से शेयर में और गिरावट की आशंका को दूर किया जा सकेगा।'
देवेन चोकसी, सीईओ,चोकसी सिक्यो.