स्टार्टअप के कारोबार पर असर, मगर उम्मीदें कायम | शरत चौधरी, गिरीश बाबू और अनीता बाबू / December 04, 2016 | | | | |
नोटबंदी के ऐलान के बाद देश की स्टार्टअप कंपनियों के कारोबार में गिरावट आई है लेकिन उनके उत्पादों और सेवाओं के लिए डिजिटल भुगतान बढ़ा है। ऐसा इसलिए हो रहा है कि क्योंकि इन कंपनियों का जोर युवा उपभोक्ताओं पर है जिनके पास डिजिटल भुगतान के विकल्प हैं।
ऑनलाइन ज्वैलरी पोर्टल कैरेटलेन के संस्थापक मिथुन सचेती ने कहा, 'नोटबंदी के ऐलान के बाद पहले तीन दिन भारी अफरातफरी रही। इसके उपरांत हमारी औसत बिक्री में 8-10 फीसदी की गिरावट आई और माल आपूर्ति पर नकद भुगतान करने वाले 60 फीसदी उपभोक्ताओं ने ऑनलाइन पेमेंट का रुख किया।' कैरेटलेन में टाटा समूह की कंपनी टाइटन लिमिटेड की बहुलांश हिस्सेदारी है। सचेती ने कहा, 'दीर्घावधि में यह हमारे लिए अच्छा संकेत है। यह ग्राहकों के मनोविज्ञान पर एक चोट है। इस तरह के कदम के आर्थिक फायदे ज्यादा हो सकते हैं लेकिन यह दांव सरकार और अर्थव्यवस्था के लिए उल्टा साबित हो सकता है। यह कहना मुश्किल है कि आगे क्या होगा। हमारे लिए माल की आपूर्ति पर नकद भुगतान 25 फीसदी से घटकर 12-13 फीसदी रह गया है।'
नोटबंदी की घोषणा के बाद से उन स्टार्ट अप कंपनियों का कारोबार बुरी तरह प्रभावित हुआ है जिनके पास कम राजस्व था और नकदी प्रवाह की स्थिति बहुत अच्छी नहीं थी। नोटबंदी के बाद से सरकार 500 और 2000 रुपये के नए नोट छापने के लिए प्रयासरत है और बैंकों तथा एटीएम के माध्यम से इन्हें जनता तक पहुंचाया जा रहा है। साथ ही लोग कैशलेस भुगतान की सरकार की मुहिम से जुड़ रहे हैं और क्रेडिट और डेबिट कार्ड, पेमेंट वॉलेट और यूपीआई जैसे माध्यमों के जरिये भुगतान कर रहे हैं।
मिंत्रा और जबॉन्ग के मुख्य कार्याधिकारी अनंत नारायणन ने कहा, 'माल आपूर्ति पर नकद भुगतान ग्राहकों का सबसे पसंदीदा विकल्प है। अब चूंकि ग्राहक बदलाव के मुताबिक ढल रहे हैं, इसलिए कुछ समय के लिए ई-कॉमर्स लेनदेन पर असर पड़ सकता है। लेकिन दीर्घावधि में उपभोक्ताओं के खर्च करने की आदतों में कोई बदलाव आने की संभावना नहीं है। नोटबंदी की घोषणा के बाद से हमारे यहां डिजिटल भुगतान में 30 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है और भविष्य में इसे और बढऩे की संभावना है।'
छोटी कंपनियों के बीच काम करने वाली स्टार्टअप कंपनी क्लीयरटैक्सडॉटकॉम के मुताबिक नोटबंदी के कारण इन कंपनियों का काम प्रभावित हुआ है क्योंकि उनका अधिकांश कारोबार नकदी में होता है। क्लीयरटैक्सडॉटकॉम के संस्थापक और मुख्य कार्याधिकारी अर्चित गुप्ता ने कहा, 'ग्राहकों ने डिजिटल वॉलेट और भुगतान के अन्य विकल्पों को अपनाना शुरू कर दिया है। ऐसे में छोटे कारोबारियों को भी धीरे-धीरे लेनदेन के लिए डिजिटल तरीका अपनाना पड़ेगा। अगर किसी कारोबारी और पेशेवर ने अपनी आय का खुलासा नहीं किया है तो उन्हें परेशानी हो सकती है। जिन्होंने पहले अपना टैक्स रिटर्न नहीं भरा है वे 31 मार्च तक पिछले दो वित्त वर्षों का लेखाजोखा दे सकते हैं। साथ ही उन्हें और कुछ करने की भी जरूरत है। जैसे अपने कारोबार का लेखाजोखा।'
हैदराबाद की पेमेंट सॉल्यूशंस कंपनी पेनीयर सॉल्यूशंस, हेल्थकेयर स्टार्टअप आईक्लीनिक और नई दिल्ली की 91 स्प्रिंगबोर्ड का मानना है कि कंपनियों को अपना कारोबार बढ़ाने के लिए डिजिटल सॉल्यूशंस को अपनाना पड़ेगा।
पेनीयर सॉल्यूशंस के प्रबंध निदेशक प्रभु राम ने कहा, 'स्टार्टअप कंपनियों का 70 फीसदी लेनदेन आपूर्ति पर नकद भुगतान ((सीओडी)) के जरिए होता था। अब धीरे-धीरे डिजिटल भुगतान इसकी जगह ले रहा है। सीओडी लेनदेन की लागत ऑनलाइन भुगतान से पांच गुना ज्यादा है। इसमें ज्यादा कर्मचारी, नकदी की चोरी की आशंका, नकली नोट और बैंक खाते में देरी से जाने के कारण ब्याज के नुकसान की लागत शामिल है। कैशलेस अर्थव्यवस्था से स्टार्टअप कंपनियों को फायदा होगा।'
आईक्लीनिक के संस्थापक ध्रुव स्वयंप्रकाशम कहते हैं कि उनके ग्राहकों की संख्या में करीब तीन गुना बढ़ोतरी हुई है। उन्होंने कहा, 'अमूमन रोजाना 350 नए मरीज हमारे प्लेटफॉर्म पर पंजीकरण करवाते हैं। नोटबंदी के बाद यह संख्या 943 पहुंच चुकी है।'
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