सीआरआर बढऩे से बैंकिंग शेयरों पर दबाव | हंसिनी कार्तिक / मुंबई November 28, 2016 | | | | |
जैसी कि उम्मीद जताई जा रही थी, कई बैंकिंग शेयरों ने सोमवार को कमजोर शुरुआत की। आरबीआई द्वारा शनिवार को नकदी आरक्षी अनुपात (सीआरआर) बढ़ाकर 100 प्रतिशत किए जाने से बैंकिंग शेयरों पर दबाव पड़ा है। यह कदम 16 सितंबर से 11 नवंबर के बीच जमा हुई नकदी के लिए है। सीआरआर ऐसी जमाओं का अनुपात है जिसे बैंको को नकद रखने या इसे आरबीआई के पास जमा करने की जरूरत होती है और इन पर बैंक को कोई आय भी प्राप्त नहीं होती है। सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों समेत विभिन्न बैंकों को जमाओं में आई तेजी के लाभार्थी के तौर पर देखा जा रहा था, लेकिन शेयर बाजार में उनके कारोबार पर भारी दबाव देखने को मिला। केंद्रीय बैंक के इस कदम से सोमवार के कारोबार में शेयरों की खराब शुरुआत हुई। भारतीय स्टेट बैंक, बैंक ऑफ बड़ौदा, बैंक ऑफ इंडिया और आईसीआईसीआई बैंक में सोमवार को 2-3 फीसदी तक की गिरावट देखी गई, हालांकि बाद में इनमें कुछ सुधार दर्ज किया गया।
विश्लेषकों का मानना है कि 8 नवंबर से आई अच्छी तेजी को देखते हुए इन शेयरों में हुई मुनाफावसूली से भी दबाव पड़ा। बड़े बैंकिंग शेयरों में शामिल ऐक्सिस बैंक और कोटक बैंक सोमवार को बढ़त के साथ बंद हुए। हालांकि विश्लेषकों का मानना है कि सीआरआर वृद्घि की उम्मीद पहले से ही थी क्योंकि सिस्टम में नकदी अचानक बढ़ गई थी। विश्लेषकों ने यह भी उम्मीद जताई है कि आरबीआई अन्य कदम भी उठाएगा।
बैंक ऑफ अमेरिका मेरिल लिंच के अर्थशास्त्री (भारत) इंद्रनील सेन गुप्ता ने दोहराया है कि आरबीआई अब रिवर्स रीपो, टे्रजरी बिल, कैश मैनेजमेंट बिल और मार्केट स्टैबिलाइजेशन स्कीम (एमएसएस) बॉन्डों पर ध्यान केंद्रित कर सकता है क्योंकि सीआरआर में इजाफा हो चुका है। एमएसएस बॉन्ड ऐसी सरकारी प्रतिभूतियां या जी-सेक हैं जिन्हें अतिरिक्त नकदी का इस्तेमाल करने के लिए जारी किया जाता है। मौजूदा समय में एमएसएस के लिए बजट सीमा 2,00,000 करोड़ रुपये पर है और सरकार को यह सीमा बढ़ाने के लिए संसदीय मंजूरी लेने की जरूरत होती है। नियामकीय जरूरतों को देखते हुए बैंकों के लिए अल्पावधि में समस्या बरकरार रह सकती है।
मैक्वेरी ने बैंकिंग व्यवस्था को अनुमानित नुकसान का जिक्र करते हुए कहा कि बैंकिंग सिस्टम पर हर महीने 1500 करोड़ रुपये तक का प्रभाव पड़ सकता है। शुरू में यह नुकसान 7,000-7,500 करोड़ रुपये पर अनुमानित था। एक घरेलू ब्रोकरेज फर्म के विश्लेषक ने कहा, '8 नवंबर से अब तक बैंकों ने 3,00,000 करोड़ रुपये के जमा आधार पर 600 करोड़ रुपये की कुल आय हासिल की है। सीआरआर बढ़ाकर 100 प्रतिशत किए जाने से भविष्य में बैंकों की यह आय हासिल करने की क्षमता प्रभावित होगी। इसलिए आरबीआई द्वारा सीआरआर के संबंध में अपने फैसले पर पुनर्विचार नहीं किए जाने तक बैंकिंग व्यवस्था के लिए शुद्घ नुकसान लगभग 200 करोड़ रुपये का है।'
आरबीआई द्वारा 9 दिसंबर को अन्य उपायों पर भी निर्णय लिए जाने की संभावना है जिनका इस्तेमाल वह नकदी का प्रबंधन करने के लिए कर सकता है।
नोमुरा का मानना है कि सीआरआर वृद्घि के बावजूद, 3,00,000 करोड़ रुपये का अतिरिक्त प्रवाह बैंकिंग चैनल में बना रहेगा जिससे सिस्टम में तरलता बढ़ेगी। विश्लेषकों का मानना है कि अहम बात यह है कि अतिरिक्त नकदी खपाने से संबंधित आरबीआई की पहल से 7 दिसंबर को केंद्रीय बैंक द्वारा 25 आधार अंक की दर कटौती की उम्मीद बाधित होने की आशंका नहीं है।
सेन ने अपनी रिपोर्ट में कहा है, 'काले धन के जमाओं के रूप में तब्दील होने से बैंकों को अक्टूबर-मार्च की व्यस्त औद्योगिकी अवधि में उधारी दरों में कटौती करने में मदद मिल सकती है।'
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