विदेशी निवेशक बने बिकवाल 1.5 अरब डॉलर के शेयर बेचे | पुनीत वाधवा और दीपक कोरगांवकर / नई दिल्ली November 21, 2016 | | | | |
सरकार द्वारा 500 और 1000 रुपये के नोटों को बंद किए जाने के बाद विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) और विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) ने बाजार में पिछले 6 कारोबारी दिनों में एक अरब डॉलर के इक्विटी शेयर बेचे हैं।
अमेरिकी राष्टï्रपति चुनाव में डॉनल्ड ट्रंप की आश्चर्यजनक जीत और अमेरिका से ताजा आर्थिक (आवासीय और बेरोजगारी के दावों) आंकड़े फेडरल रिजर्व को दिसंबर में प्रस्तावित नीतिगत समीक्षा में दरें बढ़ाने के लिए प्रोत्साहित कर सकते हैं और इससे धारणा प्रभावित हो सकती है।
नैशनल सिक्योरिटीज डिपोजिटरी लिमिटेड (एनएसडीएल) से प्राप्त आंकड़ों में कहा गया है कि 9 नवंबर से गुरुवार तक एफआईआई और एफपीआई 1.4 अरब डॉलर (लगभग 9,340 करोड़ रुपये) के शुद्घ बिकवाल रहे। एक्सचेंज से प्राप्त आंकड़ों के अनुसार एफआईआई ने शुक्रवार को 926 करोड़ रुपये के शेयरों की बिक्री की जिसके साथ ही बाजार उन उनकी कुल पूंजी निकासी पिछले सात कारोबारी दिनों में 10,266 करोड़ रुपये पर पहुंच गई है।
विदेशी निवेशकों द्वारा भारी बिकवाली से समान अवधि में सेंसेक्स और निफ्टी में लगभग 6 फीसदी की गिरावट आई है। एडलवाइस में सहायक निदेशक एवं शोध प्रमुख विनय खट्टïर ने कहा, 'अमेरिकी राष्टï्रपति चुनाव का परिणाम आने के बाद भारतीय बाजारों से पूंजी निकासी विकसित बाजार की तुलना में उभरते बाजारों से अधिक हुई है। इसके अलावा बड़ी चिंता और अज्ञात कारक यह भी है कि फेडरल अपनी दिसंबर की नीतिगत समीक्षा में क्या कदम उठाएगा।'
हालांकि विदेशी निवेशक कैलेंडर वर्ष 2016 के पिछले दो महीनों और पहले दो महीनों में शुद्घ बिकवाल रहे थे, लेकिन चालू वर्ष में वे 37,145 करोड़ रुपये के शुद्घ खरीदार रहे हैं। जनवरी में उन्होंने 11,126 करोड़ रुपये या 1.6 अरब डॉलर, फरवरी में 5,521 करोड़ रुपये के इक्विटी शेयर बेचे और कुल मिलाकर, इन दोनों महीनों में विदेशी निवेशकों की कुल बिकवाली 2.5 अरब डॉलर की रही।
नजरिया
पूंजी प्रवाह के लिए आगे की राह कैसी है और यह नकारात्मक रुझान कब तक बना रहेगा? इस बारे में विश्लेषकों का कहना है कि एफआईआई और घरेलू संस्थागत निवेशक प्रवाह, दोनों ही बाजार की दिशा तय करने में अहम होंगे। ट्रंप द्वारा जिम्मेदारी संभालने, अमेरिकी फेडरल द्वारा दर वृद्घि, अर्थव्यवस्था पर नोटबंदी का प्रभाव कॉरपोरेट आय के संदर्भ में प्रमुख कारक होंगे।
डाल्टन कैपिटल एडवाइजर्स के प्रबंध निदेशक यू आर भट का मानना है कि वैश्विक स्तर पर ट्रंप की चुनावी जीत के बाद अनिश्चितता काफी हद तक बनी रहेगी। निवेशक उभरते बाजार समेत जोखिम वाले बाजारों से पूंजी की निकासी बरकरार रखेंगे। वहीं नोटबंदी का प्रभाव भी आर्थिक आंकड़े पेश किए जाने के बाद स्पष्टï रूप से दिखना शुरू हो जाएगा।
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