इस महीने के अंत तक सुधर जाएंगे हालात : अरुंधती भट्टाचार्य
अभिजीत लेले / नई दिल्ली November 16, 2016
देश के सबसे बड़े बैंक भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) की अध्यक्ष अरुंधती भट्टाचार्य भी बड़े नोटों की पाबंदी से बैंकिंग प्रणाली पर पड़ रहे दबाव को शिद्दत से महसूस कर रही हैं। वह अपने वरिष्ठ अधिकारियों के साथ लगातार स्थिति पर नजर रख रही हैं। देश भर में फैली एसबीआई शाखाओं में नकदी की पर्याप्त आपूर्ति और लोगों को नोट बदलने में हो रही परेशानी को कम करने में भट्टाचार्य की पूरी टीम लगी हुई है। वह ब्याज से होने वाली आय में गिरावट और एटीएम इस्तेमाल पर लगने वाला शुल्क बंद होने से थोड़ी चिंतित भी हैं। अभिजीत लेले ने इस मामले से जुड़े तमाम प्रसंगों पर अरुंधती भट्टाचार्य से बात की। पेश है बातचीत के संपादित अंश:
बड़े नोट बंद करने का फैसला हुए पांच दिन से अधिक हो चुके हैं। बैंक की शाखाओं और एटीएम से आपको इसके बारे में क्या फीडबैक मिल रहा है?
बैंक की शाखाओं में इसे लेकर काफी दबाव है लेकिन हमारे कर्मचारियों ने हालात को अच्छी तरह संभाला है। यह सुनिश्चित करना कि एटीएम धन निकासी के लिए हमेशा तैयार रहें, हमारे लिए सबसे बड़ी चुनौती है। इस समय में भी ग्राहक काफी संयत रहे हैं और कर्मचारियों को पूरा सहयोग दिया है। देश भर में फैले बैंक नेटवर्क से हमें काफी बढिय़ा फीडबैक मिला है।
बैंक की शाखाओं और एटीएम के बाहर लग रही लंबी कतारें कब तक लगती रहेंगी?
लोग जैसे-जैसे अपने लेनदेन करते जा रहे हैं, बैंकों में लेनदेन कम होने लगा है। सोमवार को दक्षिण भारत में हमारी शाखाएं खुली थीं लेकिन लेनदेन के काम में 25 फीसदी कमी दर्ज की गई। हालांकि मंगलवार को पूरे देश में बैंक शाखाओं के खुलने पर जमा होने वाली रकम में फिर से तेजी आने की संभावना है। उम्मीद करते हैं कि ग्राहकों के संतुष्ट होने पर धीरे-धीरे संख्या कम होती जाएगी। जहां तक एटीएम का सवाल है तो नए नोटों के हिसाब से मशीनों को समायोजित करने का काम चल रहा है। हम इसके लिए अपने तकनीकी साझेदारों के साथ मिलकर काम कर रहे हैं। समय के साथ इसमें तेजी आ रही है। अधिक से अधिक एटीएम काम करना शुरू कर देंगे। हम उम्मीद करते हैं कि महीने के अंत तक हालात सामान्य हो जाएंगे।
इस दौरान एसबीआई के खाते में कितनी रकम जमा की गई है और कितनी रकम ग्राहकों को बांटी गई है?
नोट बंद होने के बाद के 5 दिनों में एसबीआई की शाखाओं में 83,702 करोड़ रुपये जमा हुए हैं जबकि पुराने नोटों के बदले 4000 करोड़ रुपये की नकदी बांटी गई है। बैंकों की शाखाओं से 9342 करोड़ रुपये की निकासी भी की गई है।
क्या इस अवधि में इलेक्ट्रॉनिक माध्यमों से लेनदेन बढ़ा है?
हां, इलेक्ट्रॉनिक प्लेटफॉर्म से होने वाले लेनदेन में खासी तेजी दर्ज की गई है। वाणिज्यिक प्रतिष्ठानों पर पीओएस मशीनों से होने वाले इलेक्ट्रॉनिक लेनदेन में 300 फीसदी वृद्धि हुई है और इंटरनेट बैंकिंग लेनदेन भी 140 फीसदी बढ़ गया है।
इतनी रकम आने से बैंक निश्चित रूप से खुश होंगे लेकिन ऋण की कमजोर मांग के चलते बैंक इसे किस तरह से इस्तेमाल करेंगे? बैंकों के मार्जिन पर इसका क्या असर होगा?
हमें बचत और चालू खातों में जमा के तौर पर बहुत सारा धन मिल रहा है जिससे फंड की लागत कम करने में मदद मिलेगी। लेकिन ऋण वृद्धि और ट्रेजरी बॉन्ड पर लाभ एक बड़ी चुनौती है। शुद्ध ब्याज मार्जिन फिलहाल 3 फीसदी के स्तर पर है लेकिन आगे इस पर दबाव देखा जा सकता है। इसके अलावा एटीएम से निकासी पर लगने वाले शुल्क को 30 दिसंबर तक माफ कर देने के फैसले से भी हमारी आय पर असर पड़ सकता है।
Business Standard Private Ltd. Copyright & Disclaimer feedback@business-standard.com
This site is best viewed with Internet Explorer 6.0 or higher; Firefox 2.0 or higher at a minimum screen resolution of 1024x768
* Stock quotes delayed by 10 minutes or more. All information provided is on
"as is" basis and for information purposes only. Kindly consult your
financial advisor or stock broker to verify the accuracy and recency of all
the information prior to taking any investment decision.
While due diligence is done and care taken prior to uploading the stock
price data, neither Business Standard Private Limited, www.business-standard.com nor any
independent service provider is/are liable for any information errors,
incompleteness, or delays, or for any actions taken in reliance on
information contained herein.