जैव विविधता की कीमत पर तकनीक नहीं: मोदी | संजीव मुखर्जी / नई दिल्ली November 06, 2016 | | | | |
जीन संवर्धित सरसों के वाणिज्यिक इस्तेमाल की देशव्यापी बहस के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज कहा कि कुपोषण व भूख से निपटने के लिए कृषि में तकनीक का इस्तेमाल होना चाहिए लेकिन स्थिरता और देश की जैव विविधता को नुकसान की कीमत पर इसका इस्तेमाल नहीं होना चाहिए। इंटरनैशलन एग्रोबायोडाइवर्सिटी कांग्रेस को संबोधित करते हुए मोदी ने कहा कि वैश्विक समुदाय को ऐसी व्यवस्था विकसित करने की जरूरत है जहां सभी नियम कृषि जैव विविधता में संतुलन हो। उन्होंने भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) सहित तमाम वैज्ञानिकों से कहा कि वे अपने शोध का दायरा बढ़ाएं जिससे किसानों के लिए मददगार पौधों व जानवरों की किस्में देश भर में लोकप्रिय हो सकें।
मोदी ने कहा, 'ज्यादातर देश अंतरराष्ट्रीय जैव विविधता परंपरा को स्वीकार कर रहे हैं, इसके बावजूद करीब 50-150 पौधों, जानवरों व समुद्रकी प्रजातियां हर रोज विलुप्त हो रही हैं।' भारत में हाल ही में जीन अभियांत्रिकी एवं मूल्यांकन समिति (जीईएसी) के तहत एक पैनल ने हाल ही में जीएम सरसों के अनुकूल फैसला दिया है, जिससे देश में इसके वाणिज्यिक इस्तेमाल के दरवाजे खुल गए हैं। बहरहाल स्वदेशी जागरण मंच सहित तमाम नागरिक संगठनों ने इस पर बहस छेड़ दी है और ये संगठन जीएम सरसों के वाणिज्यिक इस्तेमाल को अनुमति दिए जाने की आलोचना कर रहे हैं। इन संगठनोंं का एक बड़ा तर्क यह है कि एक बार जीएम सरसों को वाणिज्यिक बना दिया गया तो यह धीरे धीरे सरसों की अन्य किस्मों को खत्म कर देगा। शहद उद्योग ने भी जीएम सरसों का इस आधार पर विरोध किया है कि यह मधुमक्खियों को मार सकता है और इससे लाखों की संख्या में सरसों व शहद उत्पादकों पर असर पड़ सकता है।
मोदी ने अपने भाषण में यह भी कहा कि शोध से पता चला है कि फसलों में कीटनाशकों के ज्यादा इस्तेमाल से मधुमक्खियों को नुकसान पहुंच रहा है। इसका सही से विश्लेषण किया जाना चाहिए कि कौन से कीट लाभदायक हैं और कौन से हानिकारक हैं। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि प्रत्येक राष्ट्र कृषि जैव विविधता के संरक्षण के लिए भिन्न तरीके अपना रहा है। मोदी ने कहा, 'यह उचित होगा कि हम इस तरह के सभी व्यवहार के रिकॉर्ड के लिए रजिस्टर तैयार करें और उसके बाद शोध कर यह पता लगाएं कि किस तरह के व्यवहार को प्रोत्साहन देने की जरूरत है।' जैव विविधता में भारत की संपन्नता का उल्लेख करते हुए मोदी ने कहा कि देश में पौधों की 47,000 और पशुओं की 89,000 प्रजातियां हैं। इसके अलावा 8,100 किलोमीटर का तटीय क्षेत्र है।
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