कारोबार में वीजा का अवरोध | आयान प्रामाणिक / नई दिल्ली November 04, 2016 | | | | |
भारत के सॉफ्टवेयर लॉबी समूह नैसकॉम ने शुक्रवार को कहा कि वह तकनीकी पेशेवरों पर ब्रिटेन की टरीसा मे सरकार द्वारा भारी वीजा शुल्क लगाए जाने से निराश है, लेकिन आश्चर्यचकित नहीं है। मे प्रधानमंत्री के रूप में भारत के 3 दिन के दौरे पर आने वाली हैं। संगठन ने चेतावनी दी है कि ब्रिटिश सरकार के इस कदम से वहां की अर्थव्यवस्था व उत्पादकता पर बुरा असर पड़ेगा। रविवार से शुरू हो रही मे की भारत यात्रा के दौरान भारत का आईटी उद्योग भी बातचीत में शामिल होगा।
नैसकॉम ने चेतावनी दी है, 'एक व्यवस्था, जो प्रतिभाशाली लोगों को ब्रिटेन में लाने को रोकती है, उसका असर देश की अर्थव्यवस्था की वृद्धि व उसकी उत्पादकता पर भी पड़ेगा। ब्रिटेन को प्रतिभाशाली लोगों को देश के भीतर लाने के लिए बाधाएं दूर करना चाहिए, जो सही दिशा में राजनीति होगी।' गुरुवार को मे सरकार ने गैर यूरोपीय संघ के देशों के लोगोंं के लिए अपनी वीजा नीतियों में बदलाव को मंजूरी दी थी। इसका मकसद विदेशी श्रमिकों का आगमन सीमित करना था। नए नियमों के मुताबिक जो लोग 24 नवंबर से टियर 2 इंट्रा कंपनी ट्रांसफर (आईसीटी-2) श्रेणी में आवेदन करेंगे उनकी वेतन सीमा 30,000 पौंड से अधिक होनी चाहिए, जो अब तक 20,800 पौंड थी। नए नियम में ब्रिटेन में काम करने वाले लोगों के परिजनों के लिए भाषाई जरूरतों को और कड़ा किया गया है।
नैशनल एसोसिएशन आफ सॉफ्टवेयर ऐंड सर्विस कंपनीज (नैस्कॉम) के मुताबिक 2016 में भारत के 108 अरब डॉलर के सॉफ्टवेयर निर्यात में ब्रिटेन की हिस्सेदारी 20 अरब डॉलर यानी 18 प्रतिशत थी। बहुलांश राजस्व सर्विसिंग बैंकिंग व वित्तीय ग्राहकों जैसे आरबीएस और लॉयड से आता है, जो भारत की इन्फोसिस और टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज जैसी फर्मों की सेवाएं लेती हैं। सेवाएं लेने का मकसद लागत मेंं कटौती और कार्यकुशलता में सुधार है। नैसकॉम का कहना है कि मे का दौरा भारत और ब्रिटेन के बीच कारोबारी समझौते की क्षमता को नए सिरे से पारिभाषित कर सकता है। संगठन ने कहा है कि दोनों देशों को कुशल कामगारों की जरूरत को कारोबारी प्राथमिकता के रूप में रखना चाहिए न कि इसे विस्थापन के रूप में देखा जाना चाहिए। नैसकॉम ने एक बयान में कहा है, 'आईटी के कुशल लोगों के विस्थापन को मे की आगामी यात्रा को नए नजरिए से देखे जाने की जरूरत है। संभावित भारत ब्रिटेन कारोबारी समझौते का इसे हिस्सा बनाए जाने की संभावना तलाशी जानी चाहिए, जिस मसले को हमने अमेरिका सरकार के मंत्रियों और कारोबारी दिग्गजों के समक्ष पिछले महीने लंदन में उठाया था।' उद्योग जगत के विशेषज्ञों का कहना है कि यह कहना जल्दबाजी होगी कि ब्रिटेन सरकार के इस फैसले का भारत के सॉफ्टवेयर निर्यात पर असर पड़ेगा या नहीं लेकिन ब्रिटेन के 'संरक्षणवाद' का असर देश पर पड़ सकता है।
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