लग्जरी कारों के बाद अब जमीन की बारी है। शनिवार को भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने देश में रियल एस्टेट की सबसे बड़ी बिक्री का पहला चरण पूरा कर लिया। प्रतिबंधित रियल्टी/निवेश फर्म पीएसीएल (जिसे पर्ल एग्रोटेक के नाम से जाना जाता है) की हजारों संपत्तियों की बोली के लिए रुचि पत्र आमंत्रित किए गए, जिसमें सैकड़ों बोलीकर्ताओं ने दिलचस्पी दिखाई। जिन लोगों ने सफलतापूर्वक रुचि पत्र दाखिल कर दिया है, वे अब अगले चरण में बोली की प्रक्रिया में शामिल हो सकेंगे। बाजार भाव और सर्किल रेट को देखते हुए सुरक्षित मूल्य तय किया जाएगा। इन संपत्तियोंं की बिक्री सेबी की ओर से उच्चतम न्यायालय द्वारा पूर्व मुख्य न्यायधीश आरएम लोढ़ा की अध्यक्षता मे गठित समिति की निगरानी में की जा रही है। बिक्री से प्राप्त धन का वितरण 5.6 करोड़ से ज्यादा निवेशकों में किया जाएगा, जिन्होंने पीएसीएल की निवेश योजनाओं मेंं 49,000 करोड़ रुपये से ज्यादा निवेश किए थे, जिसे अवैध पाया गया। बिजनेस स्टैंडर्ड ने भूमि के दस्तावेज देखे और तमिलनाडु के कुछ स्थलों का दौरा किया, जहां यह संपत्तियां बिक्री के लिए हैं। भारत और शायद दुनिया की सबसे अलग तरह की कवायद की जा रही है, जिसकी चुनौतियों को जानने की कोशिश की गई। शिवगंगा या इसके आसपास के इलाके में तरलोचन सिंह के बारे में ज्यादा लोगों ने सुना नहीं है, लेकिन गिरफ्तार किए गए पीएसीएल के निदेशक इस कम विकसित इलाके के सबसे बड़े भूस्वामी हैं। सिंह के नाम से जिले में 365 संपत्तियां हैं, जिन्हें पंजाब के रोपड़ जिले के भोजमाजरा गांव का दिखाया गया है। ऑक् शन पीएसीएल डॉट कॉम पर दिए गए आंकड़ों के मुताबिक पेरियाकन्नानूर, ओयावंदन, पारचट्टी, इरुंपूर, सेमबानूर, थतचानेंडल, सूरावंथी और ओडाईकुलम गांवों में एक एकड़ से लेकर 50 एकड़ तक जमीनें सिंह के नाम हैं, जो कुल 1,100 एकड़ हैं। विरुद्धनगर और रामनाथपुरम के साथ शिवगंगा जिला उस समय राष्ट्रीय स्तर पर चर्चा में आया था, जब यहां सांसद रहे पी चिदंबरम वित्त मंत्री थे और उस दौरान सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों ने तमाम शाखाएं व एटीएम इस जिले में खोले थे। अविभाजित रामनाथपुरम जिला खेती के हिसाब से बेकार जमीन के लिए जाना जाता था। माना जाता है कि यहां सरकारी कर्मचारियों व अधिकारियोंं को दंड स्वरूप भेजा जाता था। यह कोई संयोग नहीं कि सिंह और उनकी कंपनी ने सस्ती जमीन के लिए यहां कदम रखा। अविभाजित रामनाथपुरम जिले में 3,900 से ज्यादा संपत्तियां हैं, जो तमिलनाडु में मौजूद कुल जमीन की आधी हैं। बाद में यहां फार्म और सौर ऊर्जा परियोजनाएं स्थापित हुईं। सिंह के नाम से रामनाथपुरम, विरुद्धनगर, थूथुकुडी और तिरुनेलवेली में सैकड़ोंं संपत्तियां हैं। सिंह करीब 2,675 संपत्तियों के मालिक हैं, जिनमें 2,661 तमिलनाडु में हैं। इसके अलावा कंपनी के अन्य निदेशकों सुब्रतु भट्टाचार्य और गोपाल गर्ग के साथ पीएसीएल इंडिया के नाम से भी संपत्तियां हैं। अब 23 राज्यों में 26,500 संपत्तियां बेची जानी हैं। 8,193 संपत्तियों के साथ जहां तमिलनाडु पहले स्थान पर है, वहीं मधध्य प्रदेश व राजस्थान में क्रमश: 4,478 और 3,818 संपत्तियां हैं। सेबी सहारा समूह की 3,200 संपत्तियों को बेचने की इसी तरह की कवायद कर रहा है। इसके लिए एचडीएफसी रियल्टी और एसबीआई कैपिटल मार्केट्स से प्रक्रिया ली गई है। पिछले महीने सेबी ने इस समूह से जुड़ी करीब 30 लग्जरी वाहनों की सार्वजनिक नीलामी की थी। इस नीलामी का आयोजन सरकारी फर्म एमएसटीसी इंडिया ने किया था।
