पिछले प्रदर्शन से न करें फंड का चयन | |
संजय कुमार सिंह / नई दिल्ली 09 18, 2016 | | | | |
स्मॉल कैप (और मिड-कैप) शेयरों में अगस्त 2013 से शुरू हुई तेजी ने म्युचुअल फंड निवेशकों को शानदार फायदा दिया है। वैल्यू रिसर्च के मुताबिक पिछले तीन साल में स्मॉल कैप फंडों ने औसत सालाना प्रतिफल 36.46 फीसदी दिया है, जो लार्ज कैप फंडों के प्रतिफल (15.45 फीसदी सालाना औसत प्रतिफल) से करीब ढाई गुना ज्यादा है। हालांकि बहुत से स्मॉल कैप फंडों की नेट ऐसेट वैल्यू (एनएवी) अब तक के सर्वोच्च स्तरों के आसपास है, लेकिन निवेशकों को इस श्रेणी के फंडों में सोच-समझकर निवेश करना चाहिए।
निवेशकों को अपना कुछ निवेश स्मॉल कैप फंडों में करना चाहिए। इसकी मुख्य वजह यह है कि इस श्रेणी के शेयरों में दूसरी श्रेणी के शेयरों से बेहतर प्रदर्शन करने की क्षमता है। डीएसपी ब्लैकरॉक इन्वेस्टमेंट मैनेजर्स के उपाध्यक्ष और फंड प्रबंधक विनीत सांबरे कहते हैं, 'स्मॉल और मिड कैप शेयरों में लंबी अवधि में लार्ज कैप शेयरों से बेहतर प्रदर्शन करने की क्षमता होती है क्योंकि ये कंपनियां अपने छोटे आधार की वजह से तेजी से वृद्धि कर सकती हैं।'
हालांकि स्मॉल कैप फंडों में निवेश करने वाले निवेशकों को इस बात को लेकर सजग होना चाहिए कि इन फंडों में अल्पावधि में भारी उतार-चढ़ाव देखने को मिल सकता है। जब बाजार गिरता है तो इन फंडों में लॉर्ज कैप फंडों से ज्यादा गिरावट आ सकती है। इसके अलावा स्मॉल कैप शेयरों में ज्यादा अनुसंधान नहीं होता है, इसलिए इन शेयरों के बारे में सीमित सूचनाएं ही उपलब्ध होती हैं। अगर फंड प्रबंधक अच्छी तरह से जांच-पड़ताल नहीं करते हैं और शेयरों का गलत चयन कर बैठते हैं तो ऐसे में इन फंडों का प्रदर्शन अपनी श्रेणी में बहुत खराब रह सकता है।
स्मॉल कैप सूचकांक इस समय लॉज कैप सूचकांक के मुकाबले प्रीमियम पर कारोबार कर रहा है, इसलिए निवेशकों के लिए मूल्यांकन का भी जोखिम है। सांबरे कहते हैं, 'मौजूदा अंतरराष्ट्रीय माहौल में अगर उतार-चढ़ाव बढ़ता है तो अल्पावधि में चिंताएं पैदा हो सकती हैं।' गिरावट की सूरत में स्मॉल कैप शेयरों को बेचना आसान नहीं होता है, इसलिए फंड प्रबंधकों के लिए जल्द इन शेयरों की बिकवाली करना मुश्किल हो जाता है। जो निवेशक पहले ही स्मॉल कैप फंडों में निवेश कर चुके हैं, उन्हें संपत्ति आवंटन के सिद्धांत पर अमल करना चाहिए और इन शेयरों में निवेश घटाने के लिए कुछ मुनाफावसूली करनी चाहिए। आउटलुक एशिया कैपिटल के मुख्य कार्याधिकारी मनोज नागपाल कहते हैं, 'अगर आप नए सिरे से संपत्ति आवंटन कर रहे हैं तो आप मौजूदा हालात में अपनी 70 फीसदी रकम लॉर्ज-कैप एवं मल्टी-कैप फंडों और 30 फीसदी स्मॉल कैप एवं मिड कैप फंडों में लगाएं।'
जो लोग अच्छे स्मॉल-कैप फंड में निवेश के बारे में विचार कर रहे हैं, उन्हें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि फंड प्रबंधक ने अच्छी कंपनियों के शेयरों में निवेश किया है। मॉर्निंगस्टार इन्वेस्टमेंट एडवाइजर इंडिया के निदेशक-प्रबंधक अनुसंधान कौस्तुभ बेलापुरकर ने कहा, 'इस क्षेत्र में फंड प्रबंधक जो अनुसंधान करते हैं, उसकी गुणवत्ता बहुत ही अहम है। जिन फंड हाउस का अपना शोध तंत्र है, आपको उनमें निवेश करना चाहिए।' आपके इक्विटी पोर्टफोलियो का 10 फीसदी हिस्सा स्माल कैप फंड में होना चाहिए।
इस श्रेणी में शेयरों को तुरंत बेचना आसान नहीं होता है, इसलिए फंड के आकार का प्रदर्शन पर असर पड़ सकता है। अगर 3,000 करोड़ रुपये के फंड का कोई प्रबंधक किसी शेयर में 5 फीसदी निवेश करना चाहता है तो उसे इसमें करीब 150 करोड़ रुपये का निवेश करना होगा। इन शेयरों में चूंकि कम कारोबार होता है, इसलिए प्रभाव लागत (इंपैक्ट कॉस्ट) अहम हो सकती है। नागपाल का सुझाव है कि निवेशकों को 500 से 1,500 करोड़ रुपये के बीच वाले फंडों में दांव लगाना चाहिए।
बेलापुरकर का कहना है कि वैल्यूएशन और बिकवाली के जोखिम से निपटने के लिए इन फंडों में निवेश करने वाले निवेशकों को निवेश की अवधि कम से कम 7 से 10 साल रखनी चाहिए। इसकी वजह यह है कि वर्तमान तेजी के बाद इन फंडों में वे ही निवेशक उचित प्रतिफल हासिल कर पाएंगे, जो लंबे समय तक शेयरों को रखेंगे। इन फंडों का शानदार प्रदर्शन फिलहाल निकट भविष्य में दोहराए जाने के आसार कम ही हैं।
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