खुले में शौच मुक्त गांवों की सच्चाई तलाशने पर पता चलता है कि प्रशासन ओडीएफ की घोषणा करने में हड़बड़ी कर रहा है। अधिकारी मौके तक जाकर वस्तु स्थिति का अवलोकन नहीं कर रहे हैं। इससे कई बार हालात बताए गए आंकड़ों से इतर दिखाई देते हैं। ऐसा ही एक मामला बकावंड जनपद पंचायत के उलनार गांव में सामने आया है। पंचायत को ओडीएफ (ओपन डेफिकेशन फ्री) घोषित कर दिया गया जबकि हकीकत यह है कि यहां कई घरों में शौचालय बने ही नहीं है। मामले की शिकायत मिलने पर जिला पंचायत सीईओ ने जनपद पंचायत सीईओ को नोटिस जारी कर हकीकत से अवगत करवाने कहा है। इसके अलावा पंचायत सचिव सोनाधर कश्यप को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया है। बताया गया है कि इस पंचायत में 2 दर्जन से अधिक शौचालय नहीं बने हैं और इनके अधूरे होने के बावजूद पंचायत को ओडीएफ घोषित कर दिया गया। उल्लेखनीय है कि उलनार बस्तर से कांग्रेस विधायक लखेश्वर बघेल का आदर्श गांव है। इधर उलनार के सरपंच को बस्तर एसडीएम ने नोटिस जारी किया है और महीने के अंत तक इस मसले पर अपना जवाब प्रस्तुत करना कहा है। उलनार को 2 महीने पहले खुले में शौच मुक्त गांव घोषित किया गया था। इस गांव में स्वच्छ भारत मिशन के तहत 1,234 शौचालयों का निर्माण कराया जाना था। अधिकारियों ने आनन-फानन में कागजों में शौचालयों का निर्माण पूर्ण बताया और पंचायत को ओडीएफ घोषित कर दिया। घोषणा के बाद बाकायदा यहां एक कार्यक्रम भी आयोजित किया गया था जिसमें सांसद सहित विधायक, जिला और जनपद पंचायत के जनप्रतिनिधि और अधिकारी उपस्थित रहे थे। उलनार पंचायत के ग्राम भालूगुड़ा और बोंडकापारा के अधिकतर घरों में शौचालय निर्माण अधूरा है। कई शौचालयों की टंकियां अधूरी बनी हैं जिसके चलते मवेशी और बच्चों के इसमें गिरने का डर है। बुधराम, आसमन, बुलकू, कोहड़ी, रतन, सोनाधर, मुनी, सुदरू नाग, घासीराम, शोभानाथ, भक्तू, दलसाय, बेनुधर, सिवाराम सहित अन्य ग्रामीणों के घरों में शौचालय अधूरे बने हैं।
