100 करोड़ रु. के पार कई एफएमसीजी ब्रांड | विवेट सुजन पिंटो / मुंबई July 21, 2016 | | | | |
करीब एक साल पहले जब मोंडेलेज इंडिया ने कैडबरी डेयरी मिल्क सिल्क ब्रांड के तहत देश के पहले बुलबुले वाले चॉकलेट को लॉन्च किया था तब कंपनी के कार्यकारी अधिकारियों ने छह महीने में इस ब्रांड के 100 करोड़ रुपये के पार जाने की उम्मीद जताई थी। बबली इस अवधि में 100 करोड़ रुपये का आंकड़ा पार करने वाला मोंडेलेज इंडिया का पहला चॉकलेट ब्रांड बन गया। उसने तेजी से तीन अंकों के स्तर को पार कर लिया।
रजनीगंधा पानमसाला बनाने वाले डीएस ग्रुप ने अप्रैल 2015 में पल्स ब्रांड के तहत अपनी कैंडी उतारी थी। पल्स ने उसी साल नवंबर तक 100 करोड़ रुपये के स्तर को पार कर लिया। अब करीब 14 महीने बाद, डीएस ग्रुप के उपाध्यक्ष (नए उत्पाद विकास) शशांक सुराना का कहना है कि यह ब्रांड 150 करोड़ रुपये को पार कर चुका है और अगले कुछ महीनों में उसे 200 करोड़ रुपये से भी आगे निकल जाना चाहिए। उत्पादों के 100 करोड़ रुपये के स्तर को पार करने के अन्य उदाहरण भी मौजूद हैं। उदाहण के लिए शीतल पेय बनाने वाली कंपनी कोका कोला इंडिया को ही लेते हैं। उसके बिना चीनी वाले प्रमुख ब्रांड कोक जीरो ने सितंबर 2014 में अपने लॉन्च के महज एक पखवाड़े के भीतर 1 लाख कैन का स्तर पार कर लिया था। कोक जीरो ने सामान्य कारोबार के तहत महज आठ महीनों में 100 करोड़ रुपये के आंकड़े को छू लिया था।
जीएसके कंज्यूमर का टूथपेस्ट ब्रांड सेंसोडाइन ने जनवरी 2011 में लॉन्च होने के ढाई साल के भीतर 100 करोड़ रुपये के पार चला गया। भारत में करीब 150 से 200 करोड़ रुपये की बिक्री के साथ यह ब्रांड जीएसके कंज्यूमर के लिए अभी भी दमदार ब्रांड बना हुआ है। कंपनी के अन्य दमदार ब्रांडों में हॉर्लिक्स, क्रॉसिन, ऑट्रिविन और वोल्टारेन शामिल हैं। ब्रांड विशेषज्ञों का कहना है कि ब्रांडेड उत्पादों की खपत बढऩे के साथ ही 100 करोड़ रुपये तक पहुंचने वाले ब्रांडों की सूची भी बढ़ रही है। टेक्नोपार्क के चेयरमैन अरविंद सिंघल ने कहा, 'भारत में ब्रांडेड वस्तुओं की खपत बढ़ रही है और इससे थोड़े समय में तीन अंकों तक पहुंचने वाले ब्रांडों की तादाद बढ़ रही है।'
|