खदान नीलामी में अहम होगा भूमि अधिग्रहण | मेघा मनचंदा / नई दिल्ली July 20, 2016 | | | | |
केंद्र सरकार द्वारा हाल ही में पेश की गई राष्ट्रीय खनिज अन्वेषण नीति (एनएमईपी) ने खनन के क्षेत्र में निजी क्षेत्र की ज्यादा हिस्सेदारी की राह सुनिश्चित की है। विशेषज्ञों का मानना है कि राज्य सरकारों को नीलामी आयोजित कराने में अपर्याप्त विशेषज्ञता और भूमि अधिग्रहण को लेकर बड़ी चुनौती का सामना करना पड़ेगा। कैबिनेट ने 29 जून को एनएमईपी को मंजूरी दी थी, जिसका लक्ष्य देश मेंं निजी क्षेत्र की बढ़ी हुई भागीदारी के साथ अन्वेषण गतिविधियों को गति प्रदान करना है। साथ ही इस नीति का मकसद इस क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश आकर्षित करना भी है। इस साल नवंबर तक करीब 100 खनिज ब्लॉक, जिनमें प्रत्येक का रकबाद करीब 100 वर्ग किलोमीटर है, बिक्री के लिए रखे जाने हैं। एसबीआई कैपिटल मार्केट्स लिमिटेड इनकी नीलामी प्रक्रिया पर काम कर रही है और इसकी रिपोर्ट 2-3 महीने में आने की संभावना है। यह नीलामी इस कैलेंडर साल के आखिर तक हो सकती है।
एक अधिकारी ने कहा कि सरकार खनिज ब्लॉकों के मूल्य का आकलन करने में लगी है, जिसकी नीलामी होनी है। ये 100 खनिज ब्लॉक मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, ओडिशा, झारखंड, बिहार, राजस्थान, आंध्र प्रदेश और कर्नाटक में हैं। इन ब्लॉकों से जो खनिज निकाले जाएंगे उनमें सोना, हीरा, मैगनीज और लाइमस्टोन भी शामिल हैं। फेडरेशन आफ इंडियन मिनरल इंडस्ट्रीज के महासचिव आरके शर्मा ने कहा कि निजी क्षेत्र को खनिजों के अन्वेषण के लिए जो प्रोत्साहन राज्य सरकारें मुहैया कराएंगी, निवेश आकर्षित करने में उनकी असल भूमिका होगी।
भूमि की उपलब्धता राज्य सरकारों के लिए सबसे कठिन चुनौती है। अधिकारी ने कहा कि केंद्र सरकार को भूमि अधिग्रहण के मामले में राज्यों को एक मंच पर लाने मेंं अहम भूमिका निभानी होगी। पीडब्ल्यूसी के बिजली एवं खनन के लीडर कामेश्व राव ने कहा कि नई नीति से राज्यों को यह अधिकार मिला है कि वे अपने खनिज संसाधनों का मौद्रीकरण कर सकें, लेकिन राज्य कितने बेहतर तरीके से यह कर सकते हैं, वह उनकी संस्थात्मक क्षमता पर निर्भर करता है। इसमें उचित तरीके से बोली, ठेका का ढांचा और बोली की पारदर्शी प्रक्रिया शामिल है। राव ने कहा कि राज्य की खनन एजेंसियों को समग्र खनन विकास रणनीति बनानी होगी।
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