मध्य प्रदेश की जनता ने 2008 के दौरान मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को विधानसभा चुनावों में जीत का तोहफा दिया है। अब चौहान की बारी है। उन्होंने सरकार की 7 प्राथमिकताएं भी तय की हैं।
ये प्राथमिकताएं बुनियादी ढांचे का विकास, खेती को लाभदायी बनाना, महिला सशक्तिकरण, शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाओं का विकास, सुदृढ कानून-व्यवस्था, भरपूर निवेश आमंत्रण और उद्योग-धंधों की स्थापना कर रोजगार के अवसरों में वृध्दि हैं।
दूसरी ओर राज्य में उद्यमी ढांचागत सुविधाओं को बेहतर बनाने, औद्योगिक नीति में सुधार, व्यापारियों की दिक्कतों को जल्द से जल्द हल करने, सिंगल विंडो को अनिवार्य बनाने, प्रवेश शुल्क को रद्द करने और कपड़ा, ऑटो तथा फांउड्री जैसे उद्योगों के लिए बेल आउट पैकेज देने की मांग कर रहे हैं।
बिन पानी सब सून
शिवराज सिंह के पिछले कार्यकाल के दौरान मध्य प्रदेश में 4,000 किलो मीटर नई सड़क का निर्माण हुआ लेकिन बिजली और पानी की आपूर्ति ठीक नहीं हो पाई है। भोपाल में आज भी दिन में सिर्फ एक बार पानी की सप्लाई हो रही है जबकि इंदौर जैसे शहरों में कई-कई दिन तक पानी नहीं आता है।
सरकार में कबीना मंत्री बाबू लाल गौर ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया कि 'नर्मदा जलप्रदाय परियोजना के तहत भोपाल के लिए 1.75 करोड़ लीटर क्षमता वाला बैलंसिंग जलाशय जल्द ही बनकर तैयार हो जाएगा।' बिजली आपूर्ति की स्थिति के बारे में गौर ने बताया कि राज्य में बिजली उत्पादन बढ़कर 6,200 मेगावाट हो गया है।
बहती रहे निवेश की गंगा
राज्य सरकार ने निवेशक सम्मेलनों में उद्योगों के साथ कुल 3.40 लाख करोड़ रुपये के सहमति पत्रों पर दस्तखत किए हैं। इनमें से केवल 25 प्रतिशत परियोजनाओं पर ही जमीनी काम शुरू हो सका है। नए साल में राज्य सरकार के सामने सबसे बड़ी चुनौती इन सहमति पत्रों को हकीकत में बदलने की होगी।
हालांकि वैश्विक मंदी और ऋण संकट के कारण रिलायंस इंडस्ट्रीज और जेपी एसोसिट्स सहित कई कंपनियों को अपनी परियोजना आगे बढाने में दिक्कत पेश आ रही है।
केंद्र के साथ तकरार
राज्य के वित्त मंत्री राघव जी ने बताया है कि 'केंद्र सरकार पश्चिमी अर्थव्यवस्था की नकल कर रही है। हमारी अपनी परंपरागत लेखा प्रणाली है। हमारे व्यापारी वैट से ही जूझ रहे हैं और मध्य प्रदेश जीएसटी के लिए तैयार नहीं है।'
दिल्ली मुंबई औद्योगिक कॉरिडोर परियोजना से रतलाम, नीमच आदि क्षेत्रों में विकास की बयार तेजी हो सकती है। हालांकि चुनावी वर्ष में केन्द्रीय वाणिज्य मंत्री कमलनाथ और राज्य सरकार के बीच डीएमआईसी का श्रेय लेने की होड़ भी देखने को मिलेगी।
प्रमुख उद्योग संघों ने स्थानीय निकायों से अलग औद्योगिक क्षेत्रों की स्थापना, छोटे उद्योगों के लिए मॉडल क्लस्टर बनाने, नए भूमि आवंटन नियम, निर्यातोन्मुख इकाइयों के लिए लचीले श्रम कानून और प्रवेश शुल्क को नरम बनाने की मांग की है।
मध्य प्रदेश 2009
सरकार की प्राथमिकताओं में बुनियादी ढांचे का विकास, खेती को लाभदायी बनाना, सुदृढ कानून-व्यवस्था, भरपूर निवेश आमंत्रण और रोजगार के मौके बढाना शामिल।
व्यापारियों ने की ढांचागत सुविधाओं को बेहतर बनाने, औद्योगिक नीति में सुधार, सिंगल विंडो को अनिवार्य बनाने, प्रवेश शुल्क को कम करने की मांग वैश्विक मंदी के दौर में 3.40 लाख करोड़ रुपये निवेश प्रस्तावों को हकीकत में बदलने की चुनौती जीएसटी को लेकर केंद्र और राज्य सरकार के बीच होगी तकरार।
दिल्ली मुंबई औद्योगिक कॉरिडोर परियोजना से रतलाम, नीमच आदि क्षेत्रों में विकास की बयार तेजी हो सकती है। ऑटो और कपड़ा जैसे उद्योगों ने सरकार से की बेल आउट पैकेज की मांग।