आरपीजी समूह घरेलू विनिर्माण पर देगा ध्यान | देव चटर्जी और कृष्ण कांत / मुंबई June 15, 2016 | | | | |
मोदी सरकार के मेक इन इंडिया कार्यक्रम पर अब देसी कंपनियों का भरोसा बढ़ रहा है। यही कारण है कि स्थानीय विनिर्माण को प्रोत्साहित करने वाली सरकार की महत्वाकांक्षी योजना मेक इन इंडिया पर अमल करते हुए अब आरपीजी समूह स्थानीय विनिर्माण पर ध्यान देगा। आरपीजी समूह के चेयरमैन हर्ष गोयनका ने बताया कि स्थानीय विनिर्माण पर ध्यान देने के लिए कंपनी ने फिलहाल अपने कुल राजस्व के 50 फीसदी हिस्से को विदेशी बाजारों से प्राप्त करने संबंधी लक्ष्य को फिलहाल त्याग दिया है।
2.9 अरब डॉलर वाला यह समूह अपने कुल राजस्व का 42 फीसदी हिस्सा विदेशी बाजारों से जुटाता है। गोयनका ने कहा, 'ब्रिक्स देशों के समूह में भारत ही एक ऐसा देश है जो तेजी से वृद्धि कर रहा है। उन्होंने कहा कि पहले हम हमारे विदेशी कारोबार से 50 फीसदी राजस्व जुटाने की योजना बना रहे थे लेकिन अब यह मौका भारत में नजर आ रहा है।' सिएट टायर्स अपनी क्षमता को दोगुना करने के लिए वड़ोदरा, मुंबई के निकट अंबरनाथ और नई मांगों को पूरा करने के लिए नागपुर संयंत्र में करीबन 1800 करोड़ रुपये का निवेश करेगी।
गोयनका ने कहा, 'हम अर्थव्यवस्था में सुधार देख रहे हैं और हमारी इंजीनियरिंग, खरीद और निर्माण कंपनी केइसी इंटरनैशनल को सबस्टेशन, ट्रांसफॉर्मर्स और अन्य विद्युत उपकरणों के लिए ऑर्डर मिलने लगे हैं जिससे साफ है कि सरकार ने बुनियादी ढांचे निर्माण के लिए इसके खर्च में इजाफा किया है। जीएसटी पर राज्यों के वित्त मंत्री केंद्र के साथ लगातार बातचीत कर रहे हैं और केंद्र सरकार भी अर्थव्यवस्था पर ध्यान दे रही है। जीएसटी पर गोयनका ने कहा कि शुरुआत में तो कंपनी को इससे लाभ नहीं होगा लेकिन लंबी अवधि में यह कंपनी के लिए कारगर रहेगा। उन्होंने कहा कि यह भारत और इसके कॉरपोरेट जगत के लिए अच्छा है। गोयनका ने बताया कि अगर यह लागू हो जाता है कि तो जीएसटी आसानी से भारतीय अर्थव्यवस्था में 1 फीसदी का योगदान देगा जो अपने आप में एक बड़ी राशि होगी। उन्होंने कहा कि पिछले दो वर्षों में कारोबारी माहौल में लगातार भ्रष्टïाचार जैसी समस्याओं को लेकर सुधार हो रहा है। लेकिन अब भी राज्य और निचले स्तर पर बहुत कुछ किया जाना बाकी है क्योंकि भ्रष्टïाचार अब भी एक बड़ी चुनौती है।
|