मॉनसून सत्र में आएगी एकल खिड़की नीति | सत्यव्रत मिश्रा / पटना June 06, 2016 | | | | |
बिहार सरकार ने निवेश जुटाने के वास्ते अपनी सिंगल विंडो व्यवस्था को ज्यादा प्रभावी बनाने का फैसला लिया है। इसके लिए राज्य सरकार तकनीक के इस्तेमाल पर जोर देगी। इसके लिए सरकार विधानसभा के मॉनसून सत्र में एक विधेयक लाएगी। राज्य सरकार ने इस बारे में मोटे तौर पर अपनी तैयारी पूरी कर ली है। मॉनसून सत्र में इस बारे में सरकार एक विधेयक लेकर आएगी, ताकि मौजूदा सिंगल विंडो कानून, 2006 में संशोधन किया जा सके। अगले महीने आने वाली नई औद्योगिक नीति में भी नई सिंगल विंडो व्यवस्था की अहम भूमिका रहेगी। उद्योग विभाग के अधिकरियों के मुताबिक इस व्यवस्था को इंटरनेट आधारित बनाया जाएगा, ताकि निवेशकों को सरकारी दफ्तरों के चक्कर न लगाने पड़ें। विभाग के प्रधान सचिव एस. सिद्धार्थ ने बताया, 'हमारी मौजूदा व्यवस्था में कई खामियां हैं। इस वजह से उद्यमियों और निवेशकों के लिए यह सुविधा होने के बजाय दिक्कत का रूप लेती जा रही है। हम इन खामियों को दूर करने में लगे हुए हैं। हमारी कोशिश राज्य में प्रभावी सिंगल विंडो व्यवस्था को लागू करने की है। इसीलिए हमने अब इस काम में तकनीक की मदद लेने का फैसला लिया है। इसके लिए इंटरनेट आधारित तकनीक अपनाने का फैसला लिया है। उसने इसके लिए आईटी सहयोगी के चयन भी कर लिया है। हमारा लक्ष्य अगले कुछ महीनों में इस नई और प्रभावी व्यवस्था को चालू करने का है।'
विभाग के मुताबिक इसके तहत अब उद्योग से जुड़े सभी विभागों को आईटी से जोड़ा जाएगा। सूत्रों ने बताया कि इस नई व्यवस्था के तहत एक नया आईटी नेटवर्क तैयार किया जाएगा, जो इंटरनेट से जुड़ा होगा। सूत्रों ने बताया, 'इसके तहत अब निवेश के सारे आवेदन ऑनलाइन ही लिए जाएंगे। इसके बाद आवेदनों को तुरंत संबंधित विभागों के पास मंजूरी के लिए भेजा जाएगा। अगर एक निश्चित समय-सीमा के भीतर आवेदनों को मंजूर नहीं किया गया, तो इस बारे में तुरंत जिलाधिकारी, संबंधित विभाग के प्रधान सचिव और मंत्री के पास ई-मेल जाएगा। साथ ही, अधिकारियों के कंप्यूटर पर इस बारे में सूचना भी लगातार दिखाई जाएगी। आवेदन के नामंजूर होने के स्थिति में अधिकारियों को इस बारे में कारणों का विस्तार से विवरण भी देना होगा। इसके अलावा, निवेशकों को अपने आवेदनों की स्थिति ऑनलाइन ही जान पाएंगे।' अधिकारियों के मुताबिक इस नई व्यवस्था के आने के बाद उद्यमियों को सरकारी दफ्तरों से मुक्ति भी मिलेगी। सिद्धार्थ ने बताया, 'इस बारे में खुद मुख्यमंत्री कार्यालय से निर्देश आया है कि यह नीति पारदर्शी और प्रभावी हो। इसीलिए हमने यह पूरी व्यवस्था पारदर्शी बनाई है। इसमें बाबुओं की कोई भूमिका नहीं रहेगी। नई नीति को हमने दूसरे सभी राज्यों की नीतियों के अध्ययन के बाद बनाया है। इससे राज्य में निवेशकों को काफी सहूलियत होगी।'
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