एफएमसीजी कंपनियों ने मंदी के बीच भी 2008 में चैन की बंसी बजाई। उनके कारोबार में लगभग 25 फीसदी का इजाफा देखने को मिला।
लेकिन 2009 की चुनौतियों को देखते हुए एफएमसीजी कंपनियां भी बदलाव की राह पर चल रही हैं। डाबर इंडिया लिमिटेड, कोका कोला इंडिया, प्रॉक्टर ऐंड गैंबल, नेस्ले ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया कि 2009 में रणनीतिक बदलाव करने होंगे।
खपत - एफएमसीजी कंपनियों को 2009 में खपत में कमी के कोई आसार नहीं दिख रहे हैं। डाबर के मुख्य कार्य अधिकारी सुनील दुग्गल ने बताया कि कंपनी के उत्पादों की मांग कहीं से भी नहीं घटी है, इसलिए 2009 में उत्पादन में कटौती जैसे कदम इस क्षेत्र को नहीं उठाने पड़ेंगे।
कोका कोला इंडिया के मुख्य कार्य अधिकारी अतुल सिंह तो 2009 में भारत को अपने पांच सबसे बड़े बाजारों में शुमार कर रहे हैं। नेस्ले और प्रॉक्टर ऐंड गैंबल भी यही सोचती हैं।नए उत्पाद - अगले साल नए एफएमसीजी उत्पादों की बाढ़ आएगी। डाबर बच्चों के लिए और सौंदर्य प्रसाधन संबंधी उत्पाद ला रही है।
प्रॉक्टर ऐंड गैंबल की भी नए उत्पादों के साथ कारोबार और बाजार बढ़ाने की योजना है। कंपनियां जिंस की कीमतों में कमी का असर भी उत्पादों की कीमतों पर पड़ने की बात कह रही हैं यानी कम कीमत वाले उत्पाद दिखेंगे।
ग्रामीण बाजार - एफएमसीजी के कारवां का रुख 2009 में गांवों की ओर होने की अच्छी खासी उम्मीद है। गांवों में विशाल बाजार को खंगालने में अब ये कंपनियां कोई कसर नहीं छोड़ रही हैं।
दुग्गल के मुताबिक डाबर की बिक्री में 50 फीसदी से भी ज्यादा योगदान गांवों का है, इसलिए 2009 में भी कंपनी गांवों और छोटे शहरों पर जोर देती रहेगी।
कोका कोला की रणनीति भी कमोबेश यही है। उत्तर भारत की खाद्य पदार्थ बनाने वाली प्रमुख कंपनी का तो पूरा कारोबार ही गांव आधारित होगा।
निवेश - ब्रांड जमाने और उत्पाद पोर्टफोलियो बेहतर करने पर निवेश होगा। डाबर, कोका कोला और नेस्ले जैसी कंपनियों ने मार्केटिंग में भी अच्छे खासे निवेश की संभावना जताई है।