गेहूं की फसल पर मंडराया 'ब्लास्ट' का साया | संजीव मुखर्जी / नई दिल्ली May 06, 2016 | | | | |
भारत में रहने वाला हरेक शख्स हर महीने औसतन 4 किलोग्राम गेहूं खाता है। लेकिन यहां थाली में कमोबेश रोज शामिल रहने वाले गेहूं पर जबरदस्त खतरा मंडरा रहा है। यह खतरा एक बीमारी का है, जो बांग्लादेश से सटी पूर्वी सीमाओं से झांक रहा है। 'व्हीट ब्लास्ट' नाम की यह बीमारी इतनी खतरनाक है कि बांग्लादेश में इसकी वजह से करीब 15,000 हेक्टेयर इलाके में खड़ी गेहूं की फसल जलानी पड़ गई है। इस बीमारी की मार को इसी बात से समझा जा सकता है कि जिन खेतों में व्हीट ब्लास्ट पहुंच जाती है, वहां उपज करीब 75 फीसदी घट जाती है। इतना ही नहीं वहां बरसों तक दोबारा फसल नहीं हो पाती है। व्हीट ब्लास्ट 'मैगनापोर्टे ओरिजे' नाम की फफूंद से होता है। धान में राइस ब्लास्ट भी इसी से होती है। गर्म और नमी वाली जलवायु में यह फफूंद तेजी से पनपती और फैलती है।
भारत सरकार इस बीमारी पर पैनी नजर बनाई हुई है। हालांकि देश में होने वाली गेहूं की ज्यादातर फसल में 'व्हीट ब्लास्ट' होने का खतरा नहीं है। लेकिन अगर बांग्लादेश इस आफत पर लगाम नहीं कस पाता है तो सरकार पश्चिम बंगाल और असम के किसानों को सीमावर्ती इलाकों में गेहूं उगाने से रोक सकती है। हालात बेकाबू हुए तो सरकार बांग्लादेश से गेहूं के आयात पर प्रतिबंध भी लगा सकती है।
करनाल में भारतीय गेहूं एवं जौ अनुसंधान संस्थान के निदेशक डॉ. आर के गुप्ता ने बताया, 'बांग्लादेश में रोग की रोकथाम की सुविधा शायद बहुत अच्छी नहीं हों। इसलिए संक्रमित गेहूं देश में आ गया होगा। किंतु हमारे यहां रोगग्रस्त अनाज अलग करने के नियम बहुत कड़े हैं, इसलिए संक्रमित गेहूं का एक भी दाना यहां आने की संभावना न के बराबर है।'
बांग्लादेश में व्हीट बलास्ट का पहला मामला कुछ महीने पहले सामने आया। लेकिन इसकी सूचना अप्रैल के पहले हफ्ते में दी गई, जिससे पूरे दक्षिण एशिया में हड़कंप मच गया। बांग्लादेश ने उसके बाद करीब 15,000 हेक्टेयर में गेहूं की खड़ी फसल जला दी है।
भारत इस समय व्हीट ब्लास्ट को बेअसर करने वाली गेहूं की करीब 35 प्रजातियां ब्राजील और दक्षिण अमेरिकी देशों में भेजने जा रहा है। माना जा रहा है कि यह बीमारी वहीं से पनपी है। व्हीट ब्लास्ट का पहली बार 1985 में ब्राजील में पता चला था और वहां से यह बोलीविया तथा पैराग्वे में पहुंच गई। भारत के कृषि वैज्ञानिक मान रहे हैं कि इन प्रजातियों की मदद से दक्षिण अमेरिकी देश इस बीमारी को जड़ से उखाड़ देंगे। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के मुताबिक भारत में बोया जाने वाला अधिकतर गेहूं इस रोग से मुक्त होता है, इसलिए यहां खतरा बहुत कम है। परिषद का एक दल हाल ही में असम और पश्चिम बंगाल गया था, लेकिन वहां बीमारी के लक्षण नहीं दिखे।
डॉ. गुप्ता ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया, 'हमारे पास व्हीट ब्लास्ट से बेअसर रहने वाली किस्में हैं और पिछले चार दशक से भारतीय गेहूं में कोई बड़ा संक्रमण नहीं दिखा है। लेकिन हम जोखिम नहीं लेना चाहते।' कुछ साल पहले भी भारत के सामने ऐसा ही संकट खड़ा हुआ था, जब उत्तरी हिस्सों में गेहूं की खड़ी फसल पर यूजी-99 का खतरा मंडराने लगा था। यह बीमारी यूगांडा में शुरू हुई थी और ईरान तक पहुंच गई थी। लेकिन तत्कालीन केंद्र सरकार और कृषि अनुसंधान परिषद ने यूजी-99 प्रतिरोधी किस्मों का जमकर प्रचार किया था।
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