दूसरा मामला भी हारी जॉनसन | |
विवेट सुजन पिंटो / मुंबई 05 03, 2016 | | | | |
बेबी केयर क्षेत्र की प्रमुख कंपनी जॉनसन ऐंड जॉनसन को अमेरिकी न्यायालय ने सोमवार को आदेश दिया कि वह एक महिला को 5.5 करोड़ डॉलर यानी 363 करोड़ रुपये का भुगतान करे, जो कंपनी के टेल्कम पाउडर का इस्तेमाल करती थी और इस वजह से उसे गर्भाशय का कैंसर हो गया। कंपनी की योजना हालांकि इस फैसले के खिलाफ अपील करने की है, जो तीन महीने में इसकी दूसरी हार है। इस फर्म पर नजर रखने वाले विशेषज्ञों का कहना है कि भारत के लिए भी इसके निहितार्थ हैं।
भारतीय बेबी केयर प्रॉडक्ट के मामले में जॉनसन ऐंड जॉनसन भारत में अग्रणी है और उद्योग के अनुमान के मुताबिक बाजार में इसकी हिस्सेदारी 50 फीसदी से ज्यादा है। वैश्विक एजेंसी रिसर्च ऐंड मार्केट्स की रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में बेबी केयर का बाजार 14 अरब डॉलर यानी 92,400 करोड़ रुपये का है और यह साल 2019 तक 30 अरब डॉलर यानी 1.98 लाख करोड़ रुपये को छू सकता है। इन ïउत्पादों में बेबी डायपर से लेकर टेल्कम पाउडर, क्रीम, साबुन, लोशन आदि शामिल है।
बेबी स्किनकेयर उत्पादों के मामले में अभी जॉनसन की मौजूदगी भारत में सीमित है। हाल के वर्षों में कंपनी ने देश में बेबी केयर प्लेटफॉर्म में इजाफे की कोशिश की है, जो साल 2022 की इसकी बढ़त की रणनीति के मुताबिक है। इस रणनीति में कंपनी ने हेल्दी व ग्रोइंग स्कीन वाले उत्पादों के बजबाय बच्चों के विकास में काम आने वाले हर तरह के उत्पाद को शामिल करने का लक्ष्य रखा गया है।
उपभोक्ता मामलों के विशेषज्ञ व कंज्यूमर ऑनलाइन फाउंडेशन के संस्थापक बी मिश्रा ने कहा, किसी उïत्पाद को अगर कैंसर का कारण माना गया है तो यह निश्चित रूप से कहीं के भी उपभोक्ताओं के दिलोदिमाग में खरते की घंटी की तरह होगा। जॉनसन के उत्पादों का इस्तेमाल भारत में मध्य व उच्च मध्य वर्ग के लोग करते हैं और ये सभी लोगों की नजर अमेरिकी फैसले जाएगी क्योंकि इसे विस्तृत तौर पर प्रकाशित किया गया है। वे सतर्क हो जाएंगे। इस बारे में जानकारी हासिल करने के लिए जॉनसन ऐंड जॉनसन को भेजे गए ईमेल का जवाब नहीं मिला। लेकिन अमेरिका में जेऐंडजे के प्रवक्ता ने कहा कि इस फैसले ने कॉस्मेटिक टेल्कम पाउडर की सुरक्षा को समर्थन प्रदान करने वाले 30 साल के शोध का विरोध करता है। कंपनी के प्रवक्ता ने कहा कि वे अपने उत्पादों की सुरक्षा का बचाव करते रहेंगे।
यहां यह बताना महत्वपूर्ण है कि पिछली बार जेऐंडजे को फरवरी 2016 में हार मिली थी जब उसे अमेरिका की एक महिला को 475 करोड़ रुपये देने का आदेश दिया गया था, जो कैंसर से मर गई थी। भारतीय नियामक ने मुलुंड में कंपनी की फैक्टरी की जांच की थी। यह जांच तब हुई जब जॉनसन के बेबी पाउडर के नमूने महाराष्ट्र एफडीए की तरफ से उठाए गए थे। एफडीए के अधिकारी ने कहा कि अमेरिकी फैसले के बाद मिलावट की संभावना तलाशने के लिए ऐसा किया गया था। एफडीए के अधिकारियों की टिप्पणी हालांकि नहीं मिल पाई, लेकिन विशेषज्ञों ने कहा कि यह फैक्टरी एक बार फिर जांच के दायरे में आ सकती है।
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