अंतरराष्ट्रीय एल्युमीनियम की कीमतें लंदन मेटल एक्सचेंज पर घट कर 1,430 डॉलर प्रति टन के न्यूनतम स्तर पर आ गई हैं। आर्थिक मंदी के इस दौर में कीमतों में होने वाली गिरावट से निपटने के लिए नवरत्न कंपनियों में शामिल नाल्को ने कमर कस ली है। लगातार कीमतों में आ रही गिरावट से बाध्य होकर कंपनी ने एल्युमीनियम की घरेलू कीमतें घटा कर 10,000 रुपये प्रति टन कर दी है। तीन महीनों में पांचवीं बार नाल्को ने एल्युमीनियम की कीमतों में कटौती की है। इस साल जुलाई में लंदन मेटल एक्सचेंज पर एल्युमीनियम की कीमतें 3,000 डॉलर प्रति टन थी। अपने सहारे के लिए नाल्को ने मितव्ययिता के कई उपाय किए हैं जिनमें विभिन्न खर्चों में कटौती और अपने पावर प्लांट में आयातित कोयले के इस्तेमाल से परहेज कर उत्पादन लागत को कम करना शामिल है। सूत्रों के अनुसार, कीमतों में गिरावट के कारण नाल्को अंगुल स्मेल्टर संयंत्र के एल्युमीनियम उत्पादन में किसी तरह की कटौती करने की योजना नहीं बना रही है। यह संयंत्र रोजाना 1,000 टन एल्युमीनियम का उत्पादन करता है। सूत्र कहते हैं कि कंपनी ने केवल उन्हीं खर्चों में कटौती की है जो ज्यादा जरुरी नहीं थे। इसमें मनोरंजन, प्रशासनिक और अन्य खर्चे शामिल हैं। इसके अलावा, चूंकि एल्युमीनियम उत्पादन में बिजली के खर्च की हिस्सेदारी 33 से 35 प्रतिशत की होती है इसलिए नाल्को के अधिकारियों ने तय किया है कि वे महंगे आयातित कोयले की जगह तालचेर कोलफील्ड्स के कोयले का इस्तेमाल बिजली उत्पादन के लिए करेंगे। नाल्को के भंडार में 76,000 टन आयातित कोयला पड़ा हुआ है लेकिन कंपनी ने इसका इस्तेमाल बंद कर दिया है। उल्लेखनीय है कि आयाातित कोयले की कीमत 8,500 रुपये प्रति टन है जबकि घरेलू कोयले की कीमत 850 रुपये प्रति टन है। नाल्को के पास वर्तमान में 1.60 लाख टन घरेलू कोयले का भंडार है और इसके साथ-साथ तालचेर कोलफील्ड्स से वह लगभग 15,000 टन कोयला लेने वाली है।
