बेरोजगारों-अर्धबेरोजगारों की फौज खड़ी कर रहे बिजनेस स्कूल : एसोचैम | भाषा / लखनऊ April 27, 2016 | | | | |
मोटी रकम लेकर एमबीए ग्रेजुएट तैयार कर रहे ज्यादातर बिजनेस स्कूलों से बेरोजगार और अर्धबेरोजगार 'पेशेवरों' की खेप दर खेप निकल रही हैं। उद्योग मण्डल 'एसोचैम' के एक ताजा अध्ययन में किए गए महत्त्वपूर्ण सर्वेक्षण में यह चौंकाने वाला तथ्य सामने आया है। एसोचैम की एजूकेशन कमेटी द्वारा कराए गए एक सर्वेक्षण के मुताबिक देश में चल रहे 5,500 बिजनेस स्कूलों में से सरकार द्वारा संचालित भारतीय प्रबन्ध संस्थानों तथा कुछ मुट्ठी भर संस्थाओं को छोड़कर बाकी सभी संस्थानों से डिग्री लेकर निकलने वाले ज्यादातर छात्र-छात्राएं कहीं भी रोजगार पाने के लायक नहीं हैं। आलम यह है कि एमबीए की डिग्री रखने वाले बड़ी संख्या में लोग 10 हजार रुपये से कम की पगार पर नौकरी कर रहे हैं, जो अर्धबेरोजगारी की निशानी है।
एसोचैम के राष्ट्रीय महासचिव डीएस रावत के अनुसार सर्वे में इन बिजनेस स्कूलों के स्तर में गिरावट पर चिंता जाहिर करते हुए बताया गया है कि उनमें से अनेक संस्थानों का समुचित नियमन भी नहीं हो रहा है और आईआईएम संस्थानों से निकलने वाले छात्र-छात्राओं को छोड़ दें तो बाकी स्कूलों और संस्थानों से पढ़कर निकलने वाले पेशेवरों में से केवल सात प्रतिशत छात्र-छात्राएं ही रोजगार देने योग्य बन पाते हैं। सर्वेक्षण के मुताबिक पिछले दो वर्षों के दौरान दिल्ली-राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र, मुंबई, कोलकाता, बेंगलूरु, अहमदाबाद, लखनऊ, हैदराबाद, देहरादून इत्यादि शहरों में करीब 220 बिजनेस स्कूल बंद हो चुके है। इसके अलावा कम से कम 120 ऐसे संस्थान इस साल बंद होने की कगार पर हैं। शिक्षा की निम्न गुणवत्ता और आर्थिक मंदी की वजह से वर्ष 2014 से 2016 के बीच कैम्पस रिक्रूटमेंट में भी 45 प्रतिशत तक की भारी गिरावट आई है।
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