► इन्फोसिस-विप्रो जैसी भारतीय आईटी सेवा कंपनियां भी बेल-कर्व मॉडल कर चुकी हैं समाप्त
► बेल कर्व कर्मचारियों को करता है विभिन्न श्रेणियों में विभाजित - टॉप, एवरेज और बॉटम परफॉर्मर
► कर्मचारियों द्वारा नौकरी छोडऩे की दर को नियंत्रित करने पर रहेगा कंपनी का ध्यान
► वित्त वर्ष 2017 के लिए टीसीएस ने की है भारत में 8-12 फीसदी की वेतन वृद्घि की घोषणा
आईबीएम और कैपजेमिनाई जैसी वैश्विक कंपनियों के नक्शे कदम पर चलते हुए भारत की सबसे बड़ी आईटी सेवा कंपनी टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (टीसीएस) ने भी कर्मचारी अप्रेजल के बेल कर्व मॉडल को अलविदा कह दिया है। टीसीएस के मुख्य कार्याधिकारी एवं प्रबंध निदेशक एन चंद्रशेखरन ने कहा है कि हाल में हुए अप्रेजल में बेल कर्व मॉडल पर अमल नहीं किया गया। उन्होंने कहा, 'हम व्यक्तिगत प्रदर्शन के आधार पर कर्मचारियों का आकलन कर रहे हैं और अप्रेजल सालाना या त्रैमासिक के बजाय अधिक नियमित होगा।'
हालांकि कंपनी ने अमल में लाई गई नई व्यवस्था के बारे में अधिक जानकारी नहीं दी है, लेकिन अंदरूनी सूत्रों से संकेत मिला है कि नई व्यवस्था को भी दुरुस्त बनाए जाने की जरूरत है। एक कर्मचारी ने नाम नहीं बताने की शर्त पर कहा, 'हमें इस संबंध में कोई ईमेल नहीं मिला है, लेकिन वरिष्ठï कर्मियों ने हमें बताया है कि कंपनी ने बेल-कर्व सिस्टम को समाप्त कर दिया है।' वित्त वर्ष 2017 के लिए टीसीएस ने भारत में 8-12 फीसदी की वेतन वृद्घि की घोषणा की है। नई व्यवस्था उसके 353,843 कर्मचारियों के लिए लागू होगी।
टीसीएस द्वारा बेल-कर्व सिस्टम को दूर करने की मुख्य वजहों में से एक वजह एट्रीशन (नौकरी छोडऩे की दर) को कम करना है जो पिछली कुछ तिमाहियों में बढ़ी है। उदाहरण के लिए वित्त वर्ष 2016 की पहली तिमाही में टीसीएस में एट्रीशन 15.9 फीसदी पर पहुंच गई थी जो पूर्ववर्ती 9 तिमाहियों के मुकाबले सर्वाधिक है। वित्त वर्ष 2015 में समान तिमाही के लिए यह दर लगभग 12 फीसदी थी। हालांकि कंपनी ने पिछली दो तिमाहियों में इस दर में गिरावट दर्ज नहीं की है, लेकिन यह कंपनी के ऐतिहासिक मानक के मुकाबले अभी भी अधिक बनी हुई है।
वित्त वर्ष 2016 की चौथी तिमाही में टीसीएस ने 15.5 फीसदी और अपने आईटी सेवा सेगमेंट में लगभग 14.7 फीसदी की एट्रीशन दर्ज की। बेल कर्व सभी कर्मचारियों को अलग अलग श्रेणियों में विभाजित करता है- टॉप, एवरेज और बॉटम परफॉर्मर। इसके तहत ज्यादातर कर्मचारियों को औसत प्रदर्शक के तौर पर समझा जाता है। वैश्विक कंपनियों के अलावा इन्फोसिस और विप्रो जैसी भारतीय आईटी सेवा कंपनियां भी बेल-कर्व मॉडल को समाप्त कर चुकी हैं। इन्फोसिस ने वर्ष 2015 के अंत में बेल कर्व मॉडल को दूर करने के अपने निर्णय की घोषणा की थी। कंपनी ने कहा है कि वह कर्मचारियों के लिए निर्धारित लक्ष्यों की समीक्षा न सिर्फ साल में एक या दो बार बल्कि समय-समय पर करेगी। इस साल मार्च में विप्रो ने भी बेल कर्व को समाप्त किए जाने की घोषणा की है। विप्रो में नई आकलन प्रक्रिया फीडबैक आधारित होगी।