► ब्रांडों-ग्राहकों के बीच संवाद में सॉफ्टवेयर के जरिये क्रांतिकारी बदलाव की कोशिश में है फेसबुक
► आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस (एआई) से जुड़ा है मैसेंजर ऐप
► इससे यूजर्स को मिलेगी मौसम और दूसरे अपडेट की जानकारी
► इनवॉयस और कस्टमर केयर से जुड़े सवालों की पूछताछ के लिए भी संभव होगा इसका इस्तेमाल
फेसबुक अब ब्रांडों और ग्राहकों के बीच के संवाद में एक सॉफ्टवेयर के जरिये क्रांतिकारी बदलाव लाने की कोशिश में है जिसे बॉट्स कहा जाता है। इसकी मदद से विस्तृत बातचीत हो सकती है। ये कोड दरअसल आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस (एआई) के मुताबिक काम करते हुए कंपनी के मैसेंजर ऐप के लिए पूंजी बनाने की रणनीति का नेतृत्व करते हैं। इसके करीब 90 करोड़ यूजर हैं। मार्क जुकरबर्ग ने हाल में एफ8 डेवलपर कॉन्फ्रेंस में मैसेंजर के लिए चैटबॉट्स पेश करते हुए बताया कि वे इससे क्या कर पाएंगे। नए लोगों के लिए यूजरों को मैसेंजर ऐप से मौसम और दूसरे अपडेट की जानकारी मिलेगी। इसके अलावा इसका इस्तेमाल इनवॉयस मिलने और कस्टमर केयर से जुड़े सवालों की पूछताछ के लिए भी होगा।
पिछले दो दिनों से मैसेंजर के बीटा संस्करण पर बॉट्स सक्रिय रहा था और शुरुआती यूजरों का कहना है कि इस संवाद को ज्यादा मानवीय प्रक्रिया बनाने में अभी वक्त लगेगा। इस पर काम निश्चित रूप से जारी रहेगा लेकिन कंपनी का लक्ष्य ग्राहकों का संवाद ब्रांडों से कराना है और इसके लिए उसे इंटरैक्टिव वॉयस रिस्पॉन्स (आईवीआर) को खत्म करना होगा। फेसबुक ने एक ब्लॉग पोस्ट में कहा, 'बॉट्स मौसम से लेकर ट्रैफिक अपडेट जैसे ऑटोमेटिक सबस्क्रिप्शन कंटेंट मुहैया करा सकता है। इसके अलावा कम्युनिकेशन को कस्टमाइज करवा सकता है मसलन जो लोग रसीद, शिपिंग नोटिफिकेशन और लाइव ऑटोमेटिक संदेश चाहते हैं वह उन्हें मुहैया करा सकता है।'
आजकल ग्राहकों को एसएमएस या ईमेल के जरिये ब्रांडों से अपडेट मिलता है हालांकि यह संवाद अक्सर एकतरफा होता है या यह एक अलर्ट की तरह होता है। फेसबुक इसमें बदलाव लाना चाहती है जिसके लिए यह यूजरों को मौका देना चाहती है कि ये ब्रांडों से पूरी सक्रियता से संवाद करे। ब्लॉग पोस्ट ने किसी यूजर की मिसाल देते हुए लिखा है कि यूजर ने टॉप खबरों के लिए सीएनएन चैटबॉट की मांग की और बॉट ने सीएनएन की वेबसाइट की प्रमुख खबरें मुहैरा करवा दीं।
फेसबुक को ब्रांडों से फायदा मिलेगा जो ग्राहकों के साथ संवाद कर रहे हैं। ब्रांड भी कम पैसे में ग्राहकों से संपर्क बनाने के लिए मैसेंजर का इस्तेमाल कर सकते हैं। ऑटोमेटिक संदेश और ईमेल का परंपरागत तरीका थोड़ा कम कस्टमाइज था लेकिन चैटबॉट्स में कृत्रिम इंटेलीजेंस की वजह से अपने लिए ज्यादा उपयुक्त बनाया जा सकता है। ये बॉट्स सही मायने में आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस पर काम नहीं करते हैं बल्कि इनकी प्रोग्रामिंग ऐसी की जाती है कि ये हालात के मुताबिक उपयुक्त तरीके से अपनी प्रतिक्रिया दें और यूजरों की प्रतिक्रिया के आधार पर इसकी दोबारा प्रोग्रामिंग करें। गूगल कई सालों से इंटेलीजेंट डिजिटल सहायक की कोशिश में था जिसके लिए इसने गूगल नाऊ प्लेटफॉर्म भी बनाया।
एक आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस स्टार्टअप मैड स्ट्रीट डेन के मुख्य कार्याधिकारी (सीईओ) और सह संस्थापक अश्विनी अशोकन का कहना है, 'चैट बॉट्स ऐसे ऑटोमेटिक वॉयस मैसेजिंग रिस्पॉन्स की तरह है जो हमारे पास कई सालों से मौजूद था। ये बुद्धिमान नहीं हैं और न ये सोच सकते हैं। इनकी प्रोग्रामिंग सिर्फ एक ही तरह की चीज कहने के लिए होगी।'