11 तिमाही के निचले स्तर पर क्यूआईपी से जुटाई गई रकम | दीपक कोरगांवकर और पुनीत वाधवा / मुंबई/नई दिल्ली April 11, 2016 | | | | |
कैलेंडर वर्ष 2016 में शेयर बाजार की कमजोर शुरुआत ने न सिर्फ निवेशकों के सेंटिमेंट को प्रभावित किया बल्कि क्वालिफाइड इंस्टिट्यूशनल प्लेसमेंट (क्यूआईपी) के जरिए रकम जुटाने के मामले में भी कंपनियां पीछे रहीं। सुप्रजीत इंजीनियरिंग एकमात्र कंपनी थी जिसने कैलेंडर वर्ष 2016 की पहली तिमाही (जनवरी-मार्च) में क्यूआईपी के जरिए 150 करोड़ रुपये जुटाए, जो सितंबर 2013 के बाद की तिमाही का निचला स्तर है, जब किसी भी कंपनी ने रकम जुटाने के लिए क्यूआईपी का इस्तेमाल नहीं किया था।
पिछले साल की समान तिमाही में 13 कंपनियों ने क्यूआईपी के जरिए 4857 करोड़ रुपये जुटाए थे, वहीं अक्टूबर-दिसंबर 2015 की तिमाही में पांच कंपनियों ने इसके जरिए 1780 करोड़ रुपये जुटाए थे। कैलेंडर वर्ष 2015 में 32 फर्मों ने 19,065 करोड़ रुपये जुटाए जबकि साल 2014 में 33 कंपनियों ने 31,685 करोड़ रुपये जुटाए थे। प्राइम डेटाबेस के आंकड़ों से यह जानकारी मिली। विश्लेषकों ने कहा कि कैलेंडर वर्ष 2016 के पहले दो महीने में बाजार में उतारचढ़ाव रहने के चलते कंपनियों ने रकम नहीं जुटाई।
एमके ग्लोबल फाइनैंशियल सर्विसेज के संस्थागत शोध प्रमुख धनंजय सिन्हा ने कहा, कैलेंडर वर्ष 2016 के पहले दो महीने में बाजार में उतारचढ़ाव रहा था। मार्च को छोड़ दें तो बाजार ने नए कैलेंडर वर्ष में अब तक वैश्विक चाल के हिसाब से प्रतिक्रिया जताई है। यह परिस्थिति इश्यू और निवेश के नजरिये से लिहाज से निवेशकों के अनुकूल नहीं है। कमजोर वैश्विक सेंटिमेंट ने भारतीय बाजार पर भी असर डाला है और एसऐंडपी बीएसई सेंसेक्स पहले दो महीने में करीब 12 फीसदी फिसला है। मार्च मेंं हालांकि बाजार में 10 फीसदी का सुधार देखने को मिला क्योंकि विदेशी संस्थागत निवेशकों का रुख बजट के बाद सकारात्मक रहा क्योंकि बजट में राजकोषीय घाटे के लक्ष्य पर टिके रहने की बात कही गई है और इससे भारतीय रिजर्व बैंक की तरफ से दरों में कटौती की उम्मीद भी बंधी।
परिदृश्य
कमजोर शुरुआत और अस्थिर बाजार के बावजूद विश्लेषकों को उम्मीद है कि कैलेंडर वर्ष 2016 में आगे क्यूआईपी के जरिए रकम जुटाने का मामला रफ्तार पकड़ेगा। इक्विनॉमिक्स रिसर्च ऐंड एडवाइजरी के संस्थापक व प्रबंध निदेशक जी चोकालिंगम ने कहा, प्रक्रिया के लिहाज से बाजार से रकम जुटाने में कंपनियों को दो-तीन महीने का समय लगता है। जनवरी और फरवरी में बाजार में आई गिरावट से रकम जुटाने वाली कंपनियों के अलावा दूसरे निवेशक भी बाजार से दूर रहे। बाजार में हालांकि 10 फीसदी की गिरावट आई, लेकिन कुछ वैयक्तिक शेयरों में 50 फीसदी से ज्यादा का संशोधन हुआ। हालांकि मेरा मानना है कि मार्च में बाजार में हुए सुधार की पृष्ठभूमि में दूसरी तिमाही में सुधार देखने को मिलेगा।
क्यूआईपी के जरिए रकम जुटाने वाली कंपनियों के लिए काफी कुछ द्वितीयक बाजार के सेंटिमेंट पर निर्भर करता है। हालांकि काफी कुछ इस पर निर्भर करेगा कि आय में किस तरह का सुधार देखने को मिलता है। एमके के सिन्हा ने कहा, आय में 10 फीसदी की बढ़त मानते हुए निफ्टी 7300-7500 के दायरे में रह सकता है, लेकिन कुल मिलाकर सेंटिमेंट उतारचढ़ाव का ही रहेगा। इसके परिणास्वरूप बाजार उनके लिए चुनौती पेश करेगा जो क्यूआईपी के जरिए नए इश्यू लाना चाहते हैं।
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