मोटी आमदनी पर विभाग की नजर | बीएस संवाददाता / नई दिल्ली April 01, 2016 | | | | |
घरेलू स्तर पर काले धन की निगरानी के मद्देनजर सरकार ने नया आयकर रिटर्न फॉर्म पेश किया है। इस फार्म में 50 लाख रुपये सालाना से ज्यादा आमदनी वाले लोगों को एयरक्राफ्ट, महंगे गहनों आदि जैसी कीमती परिसंपत्ति के बारे में आयकर (आईटी) विभाग के समक्ष खुलासा करना होगा।
नया आईटीआर फार्म आकलन वर्ष 2016-17 के लिए है। वित्त मंत्रालय ने इस सिलसिले में 30 मार्च को गजट आदेश जारी किया और करदाता 31 जुलाई की आखिरी तिथि तक आयकर रिटर्न दाखिल कर सकेंगे।
विभाग ने नए आईटीआर (आईटीआर-2 और 2-ए) प्रारूप में नया प्रावधान 'साल के अंत तक परिसंपत्ति एवं देनदारी' किया है जो ऐसे मामलों में लागू होगा जिनमें कुल आय 50 लाख रुपये से अधिक है। इस आयवर्ग में आने वाले व्यक्तियों और इकाइयों को ऐसी परिसंपत्तियों की कुल लागत का भी उल्लेख करना होगा।
इसलिए नई आईटीआर प्रणाली के तहत जमीन और मकान जैसी अचल परिसंपत्तियों, नकदी, जेवरात, सर्राफा, वाहन, याच, नाव और विमान जैसी चल परिसंपत्तियों की भी जानकारी कर अधिकारियों को देनी होगी। इन उच्च मूल्य वाली परिसंपत्तियों की जानकारी देने वालों को इस सामान से जुड़े उत्तरदायित्व का खुलासा करना होगा।
विशेषज्ञों का कहना है कि यह सही दिशा मेंं उठाया गया कदम है और इससे सरकार को खाते में जमा न की गई घरेलू आमदनी और संपत्तियां रखने वालों पर लगाम लगाने में मदद मिलेगी।
केपीएमजी इंडिया में पार्टनर, टैक्स विकास वसल ने कहा, 'वेल्थ टैक्स खत्म किए जाने के बाद से व्यक्तिगत कर दाताओं को अपनी विशेष संपत्तियों का ब्योरा देने की जरूरत नहीं होती थी। नए कर फार्म में संपत्ति के खुलासे के प्रावधान से सराकर को व्यक्तियों की संपत्ति व देनदारी के बारे में सूचना मिल सकेगी और इससे आय के स्तर से ऊपर की संपत्ति होने पर मूल्यांकन करने में सहूलियत रहेगी।'
वसल ने कहा, 'करदाताओं को अब और सावधान रहने की जरूरत होगी, जिससे जुर्माना से बचा जा सके क्योंकि ज्यादातर लेन देन विभिन्न डेटा से जोड़े जा सकते हैं।'
एक सलाहकार फर्म के अन्य विश्लेषक ने कहा कि उच्च मध्य वर्ग के पेशेवर, जो सालाना 50 लाख रुपये से ज्यादा कमाते हैं, उन्हें अपनी संपत्ति का ब्योरा देना होगा। तमाम अन्य लोग इस श्रेणी में नहीं आएंगे, जिसे लेकर कर विभाग के सामने बड़ी चुनौती होगी।
विश्लेषक ने नाम न दिए जाने की शर्त पर जानकारी दी, क्योंकि वह वित्त मंत्रालय में सलाहकार के रूप में जुड़े हैं। उन्होंने कहा, 'पिछले साल विदेश में रहने वाले लोगों की संपत्ति घोषित करने के प्रावधान के बाद अब घरेलू स्तर पर इसे लागू किया गया है। इससे देश के भीतर काले धन पर लगाम लगाने में मदद मिलेगी। लेकिन इसे लेकर संदेह बना हुआ है कि कार्यरत पेशेवरों के अलावा कितने लोग संपत्ति की घोषणा करेंगे।'
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