► मोहरबंद लिफाफे में उच्चतम न्यायालय के समक्ष पेश किया गय है यह प्रस्ताव
► स्टेट बैंक और अन्य बैंकों के सिंडिकेट के 6,903 करोड़ रुपये के ऋण में से 4,000 करोड़ रुपये सितंबर तक लौटाने को हैं तैयार
► न्यायालय ने बैंकों को इस प्रस्ताव पर अपनी बात रखने के लिए दिया है एक सप्ताह का समय
► मामले की अगली सुनवाई होगी 7 अप्रैल को
शराब उद्यमी विजय माल्या और उनके समूह की बंद पड़ी किंगफिशर एयरलाइंस लि. ने बैंकों का बकाया धन चुकाने के लिए उच्चतम न्यायालय के समक्ष आज मोहरबंद लिफाफे में एक प्रस्ताव प्रस्तुत किया। इसमें कहा गया है कि वे स्टेट बैंक और अन्य बैंकों के सिंडिकेट द्वारा दिए गए 6,903 करोड़ रुपये के ऋण में से 4,000 करोड़ रुपये सितंबर तक लौटाने को तैयार हैं। न्यायमूर्ति कुरियन जोसफ और न्यायमूर्ति आरएफ नरीमन की पीठ ने बैंकों को उनके इस प्रस्ताव पर अपनी बात रखने के लिए एक सप्ताह का समय दिया है। इस मामले में अगली सुनवाई 7 अप्रैल को होगी। किंगफिशर और माल्या की ओर से खड़े हुए वकील सीएस बैद्यनाथन ने पीठ की कार्रवाई शुरू होते ही बताया कि उन्होंने बैंकों की टोली को एक प्रस्ताव दिया है कि इस समय जो परिस्थितियां हैं उसमें क्या किया जा सकता है। उन्होंने बताया कि इस प्रस्ताव की प्रतियां बैंकों को दे दी गई है। बैंकों के कंसोर्टियम की ओर से उपस्थित वरिष्ठ अधिवक्ता ने कहा कि वह पहले इस प्रस्ताव को पढऩा चाहेंगे उसके बाद ही इसका जवाब दिया जा सकता है।
माल्या और किंगफिशर के वकील बैद्यनाथन ने न्यायालय से अनुरोध किया कि इस प्रस्ताव को फिलहाल मोहरबंद लिफाफे में ही रखा जाए। उन्होंने कहा कि यह आग्रह इसलिए है क्योंकि बैंकों से अभी बातचीत चल रही है और मीडिया में इसकी चर्चा छिडऩे पर बातचीत का वातावरण दूषित हो सकता है। उन्होंने कहा कि संबद्ध पक्षों के बीच वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए बातचीत के बाद यह प्रस्ताव तैयार किया गया है। गौरतलब है कि सरकार ने 9 मार्च को पिछली सुनवाई पर न्यायालय को सूचित किया था कि विभिन्न बैंकों का 9,000 करोड़ रुपये का कर्ज नहीं चुकाने के मामले में कानूनी कार्रवाई का सामना कर रहे माल्या कुछ दिन पहले ही देश से बाहर चले गए हैं। उसके बाद न्यायालय ने माल्या को नोटिस जारी कर दो सप्ताह में बैंकों की अर्जी का जवाब देने को कहा था।
बैंकों ने इस अर्जी में उनका पासपोर्ट जब्त करने और उन्हें अदालत में हाजिर कराए जाने का अनुरोध किया था। सुनवाई कर रही पीठ ने अटॉर्नी जनरल का यह अनुरोध मान लिया था कि माल्या को यह नोटिस राज्य सभा की उनकी सरकारी ईमेल आईडी, लंदन में भारत के उच्चायोग और विभिन्न अदालतों व ऋण वसूली न्यायाधिकरणों में उनकी ओर से खड़े होने वाले वकीलों और उनकी कंपनी के माध्यम से तामील कराए जा सकते हैं। अटॉर्नी जनरल ने उस दिन कहा था कि माल्या और उनकी कंपनी पर 9,000 करोड़ रुपये का बकाया हो गया है पर माल्या किसी न किसी बहाने उनका निपटान करने से कन्नी काट रहे हैं।