नकद सब्सिडी का मकसद पैसे बचाना नहीं, जरूरतमंदों को लाभ पहुंचाना : प्रधान | सुधीर पाल सिंह और ज्योति मुकुल / March 23, 2016 | | | | |
हाइड्रोकार्बन सेक्टर में सुधार के लिए बड़ी पहल के बात तेल मंत्री धर्मेंद्र प्रधान अब अगले स्तर के सुधार पर ध्यान दे रहे हैं। केरोसिन का प्रत्यक्ष नकदी हस्तांतरण, स्वच्छ ईंधन पर निर्भरता बढ़ाने, एथेनॉल मिश्रण, एनएलजी आयात में सुधार प्राथमिकता में शामिल है। सुधीर पाल सिंह और ज्योति मुकुल के साथ बातचीत के प्रमुख अंश...
आगामी 1 अप्रैल से केरोसिन के प्रत्यक्ष नकदी हस्तांतरण की शुरुआत के लिए तैयारी कहां तक पहुंची है?
राज्यों से बातचीत के बाद हमने इसके लिए 33 जिले चिह्नित किए हैं। इनमें से ज्यादातर राज्य इसे 1 अप्रैल से लागू करने के लिए तैयार हैं। उम्मीद है कि हम 9 राज्यों के इन जिलों में 2016-17 में योजना लागू करने में सफल होंगे। सुधार प्रक्रिया की दिशा में यह उल्लेखनीय कदम होगा। हम उपभोक्ताओं का पूरी तरह से डिजिटल आंकड़े तैयार करने पर काम कर रहे हैं। राज्यों के स्तर पर दो आंकड़े उपलब्ध हैं- सामाजिक आर्थिक जातिगत जनगणना (एसईसीसी) और राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (एनएफएसए0 के आंकड़े। साथ ही आधार व जनधन के आंकड़े भी हैं। एलपीजी उपभोक्ताओं की सूची भी हमारे पास है।
सभी एलपीजी उपभोक्ताओं को डीबीटीके से अलग किया जाएगा। इस तरह से डिजिटलीकृत आंकड़े तैयार किए जा रहे हैं। कई राज्यों ने इस वित्त वर्ष के आखिर तक पूरे राज्य में इस योजना को लागू करने की पेशकश की है। यह संवेदनशील मसला है। हमारी कवायद है कि हर गरीब आदमी इस योजना का लाभ पा सके।
योजना लागू होने पर कितनी बचत होगी?
हम बचत पर ध्यान नहीं केंद्रित कर रहे हैं। इससे पूरा उद्देश्य ही गड़बड़ हो जाएगा। इसका मकसद जरूरतमंद लोगोंं तक सब्सिडी पहुंचाना है, न कि बचत करना। इसका मकसद मिलावट को रोकना और पर्यावरण को हो रहे नुकसान को रोकना है। साथ ही सब्सिडी को उचित लोगों तक पहुंचाने की कड़ी में भ्रष्टाचार व गड़बडिय़ों को रोकना है।
क्या ज्यादा आय वाले लोगों को एपीजी छोडऩा अनिवार्य किए जाने की योजना है?
हां, ऐसा अनिवार्य कर दिया गया है। क्या 10 लाख से ज्यादा सालाना आमदनी वाले 20 लाख लोगों को सब्सिडी लेना चाहिए, जबकि 90 लाख लोगों ने स्वेच्छा से सब्सिडी छोड़ दी है?
गरीब परिवारों को एलपीजी मुहैया कराने की उज्ज्वला योजना की क्या स्थिति है?
हमने फैसला किया है कि इस योजना के तहत गरीब परिवारों को मुफ्त में एलपीजी कनेक्शन दिया जाएगा। इन्हें कनेक् शन देने पर कुल 2100 रुपये लागत आती है, जिसमें 1600 रुपये इंस्टालेशन शुल्क और 500 रुपये अन्य शुल्क होता है। केंद्र सरकार कंपनियोंं को 1600 रुपये देगी। यह मौजूदा सीएसआर योजना से अलग है, जिसमें उपभोक्ताओं को 500 रुपये भुगतान करना पड़ता है। उज्ज्वला योजना में हमने 500 रुपये भुगतान करने की जरूरत भी खत्म कर दी है।
सुधार की हाल की पहल पर उद्योग जगत से क्या प्रतिक्रिया मिल रही है?
हम पारदर्शिता पर विशेष जोर दे रहे हैं। इस समय तमाम मौजूदा उत्पादन क्षेत्र याचिकाओं में फंसे हैं। हमने नई गैस मूल्य दिशानिर्देश, अक्टूबर 2014 के तहत पहले ही मौजूदा उत्पादन के लिए मूल्य व्यवस्था की घोषणा कर दी है। नई व्यवस्था का सबसे ज्यादा लाभ ओएनजीसी को मिलेगा। इसने पहले ही अपने तेल क्षेत्र के लिए मोटी पूंजी के निवेश की घोषणा की है। आरआईएल सहित अन्य हिस्सेदार भी खुश हैं। बीपी ने भी इस कदम का स्वागत किया है।
सुधार हेतु मंत्रालय आगे क्या कर रहा है?
अगला बड़ा लक्ष्य स्वच्छ व हरित ईंधन को लेकर है। सीओपी 21 के तहत किए गए वादे के हिस्से के रूप में हम चाहते हैं कि भारत गैस आधारित अर्थव्यवस्था की ओर बढ़े। इस समय घरेलू बिजली व उर्वरक उद्योगों में प्राकृतिक गैस का इस्तेमाल हो रहा है। आने वाले दिनों में हम इसकी मात्रा बढ़ाएंगे और गैस बाजार में कीमतें कम करने की कोशिश करेंगे। हम भारत के गैस बाजार का विस्तार करना चाहते हैं। तकनीकी और आर्थिक रूप से आर-एलएनजी ऊर्जा के रूप में डीजल से सस्ता है।
उपभोक्ताओं की शिकायत है कि सरकार ने कई बार उत्पाद शुल्क बढ़ाया, जिससे तेल के दाम में गिरावट का लाभ नहीं मिल रहा है?
कच्चे तेल के दाम इस समय सिर्फ 38 डॉलर प्रति बैरल हैं। उत्पाद के मूल्य को विनियंत्रित कर दिया गया है। उत्पाद शुल्क बढ़ाए जाने के पीछे विचार यह है कि जब दाम बढ़ें तो इससे उपभोक्ताओं को परेशानी न हो। इसके साथ ही उत्पाद शुल्क का 42 प्रतिशत राज्यों को जाता है। हमने सड़क और रेल इन्फ्रास्ट्रक्चर पर बड़े निवेश की योजना बनाई है, जिससे संपर्क बढ़ सके।
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