बंद हवाई अड्डों के लिए नया मॉडल | अरिंदम मजूमदार / नई दिल्ली March 13, 2016 | | | | |
हवाई अड्डों के विकास में निजी क्षेत्र की हिस्सेदारी को प्रोत्साहित करने के लिए सरकार इंजीनियरिंग, खरीद और निर्माण (ईपीसी) मॉडल पर विचार कर रही है। सूत्रों ने कहा कि इसका मकसद बेकार पड़े हवाईअड्डों को बहाल करना है।
ईपीसी मॉडल के तहत भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण (एएआई) हवाईअड्डों के विकास के लिए बोली के माध्यम से परियोजना प्रबंधन सलाहकार का चयन करेगा। नागरिक उड्डयन मंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा, 'हवाईअड्डे के विकास के हर काम में हम निजी क्षेत्र को लगा सकते हैं, जिसमें इसकी अवधारणा तैयार करने से लेकर बोली और डिजाइनिंग शामिल है।'
हवाईअड्डोंं के निर्माण में निजी क्षेत्र को शामिल किए जाने के पीछे सरकार की यह भी इच्छा है कि हवाईअड्डे निष्क्रिय परिसंपत्तियोंं में तब्दील न हों। अधिकारी ने बताया, 'रणनीतिक स्थिति और व्यवहार्यता अध्ययन को गंभीरता से लिया जाएगा। निजी क्षेत्र इस दिशा में विशेषज्ञता के साथ काम कर सकता है।'
ईपीसी मॉडल से जल्दी और आसानी से परियोजनाओं का काम पूरा होना सुनिश्चित हो सकेगा, क्योंकि सरकार पूरा वित्तीय बोझ वहन करती है। यह मॉडल सार्वजनिक निजी हिस्सेदारी से अलग है, जहां कंसेसनायर को आंशिक रूप से धन लगाना होता है। 2016-17 का बजट पेश करते हुए वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा था कि सरकार करीब 160 हवाईअड्डों के पुनरुद्धार पर विचार कर रही है।
बहरहाल इस बात को लेकर चिंता है कि बड़े निजी उद्यमी इन परियोजनाओं में दिलचस्पी नहीं लेंगे, जबतक कि उन्हें कई हवाईअड्डों का काम एक साथ न मिले। एएआई के साथ पहले काम कर चुकी एक कंपनी के अधिकारी ने कहा, 'एक हवाईअड्डे के पुनरुद्धार पर 50-60 करोड़ रुपये खर्च आएंगे। ऐसे में कई हवाईअड्डों के टेंडर एक साथ आमंत्रित किए जाने चाहिए, जिससे बड़े उद्यमियों को प्रोत्साहन मिल सके।'
नागरिक उड्डयन सचिव आरएन चौधरी ने कहा कि पहले 3 साल में 50 हवाईअड्डों के विकास की योजना थी।
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