काली मिर्च निर्यात में आ रही कमी | विमुक्त दवे / अहमदाबाद March 13, 2016 | | | | |
हालांकि वियतनाम काली मिर्च के वैश्विक बाजार में भारत को पहले ही तीसरे स्थान पर धकेल चुका है, लेकिन अब भारतीय निर्यातकों के सामने वियतनाम के साथ-साथ श्रीलंका और ब्राजील जैसे देशों से भी कड़ी चुनौती मिलने का अनुमान लगाया जा रहा है। पिछले तीन सालों में इन देशों ने अपने उत्पादन में इजाफा किया है। इस दौरान भारत का काली मिर्च का औसत उत्पादन लगभग 65,000 टन रहा है।
देश हर साल करीब 20,000-21,000 टन निर्यात कर रहा है। काली मिर्च का उत्पादन करने वाले केरल और कर्नाटक जैसे क्षेत्रों में प्रतिकूल मौसम रहने की वजह से 2015-16 में इसका उत्पादन गिरकर 53,000 टन पहुंच सकता है। दूसरी तरफ वियतनाम में इसके उत्पादन में 10 प्रतिशत वृद्धि के साथ 150,000 टन इजाफे की संभावना है।
केरला के प्रमुख निर्यातक बाफना एंटरप्राइजेज के मुख्य कार्याधिकारी जोजन मलायिल ने कहा, 'हाल के वर्षों में भारतीय उत्पादन गिरा है और दूसरी तरफ प्रतिस्पर्धी राष्टï्रों का उत्पादन बढ़ा है जो अंतरराष्टï्रीय बाजार में भारतीय हिस्से को पीछे धकेल सकता है।' मसाला बोर्ड ने 2014-15 में 65,000 टन के मुकाबले 2015-16 में 53,000 टन काली मिर्च उत्पादन का अनुमान लगाया है, जबकि इसका निर्यात 20,000 टन रहने की संभावना है। मसाला बोर्ड के अध्यक्ष ए जयतिलक ने कहा, 'केरल और तमिलनाडु के प्रमुख काली मिर्च उत्पादक क्षेत्रों में प्रतिकूल मौसम रहने से उत्पादन में गिरावट आई है। कर्नाटक के कुछ क्षेत्रों में भी कीड़ों की वजह से नुकसान हुआ है।' भारत अपने कुल काली मिर्च उत्पादन का करीब 80-85 प्रतिशत उपभोग करता है और बाकी का निर्यात। लेकिन इस साल जिंस उत्पादन में गिरावट की वजह से घरेलू कीमतें बढ़ी हैं जिसने भारत की कीमतों को अन्य प्रतिस्पर्धी देशों से ज्यादा कर दिया है।
जोजन ने कहा, 'कम उत्पादन ने भारतीय काली मिर्च के दामों को बढ़ाकर 10,000 डॉलर प्रति टन कर दिया है, जबकि वियतनाम 7,500 डॉलर प्रति टन की दर से काली मिर्च की पेशकश कर रहा है। इस परिस्थिति में भारत बाजार में अपनी जगह बनाए रखने की स्थिति में नहीं है और वैश्विक बाजार में भारतीय स्थिति और नीचे खिसक सकती है।' घरेलू रूप में काली मिर्च की कीमतें दिसंबर 2015 की 630 रुपये प्रति किलोग्राम की तुलना में बढ़कर फिलहाल 700 रुपये प्रति किलोग्राम पर पहुंच गई हैं। वियतनाम काली मिर्च संघ के अनुसार इस साल वियतनाम से काली मिर्च के निर्यात में 13 प्रतिशत की वृद्धि के साथ 150,000 टन पहुंचने की संभावना है। पिछले साल यह 133,000 टन था। हालांकि प्रतिस्पर्धी देश पहले ही अपने उत्पादन और निर्यात में इजाफे की संभावना जता रहे हैं, लेकिन भारतीय उद्योग का विश्वास है कि हमें मूल्य संवर्धन की मांग पूरी करने के लिए करीब 20,000 टन आयात करने की जरूरत है। कोच्चि के एक मसाला व्यापारी ने कहा, 'जैसा कि हमारा घरेलू उत्पादन बड़ा है, इसलिए पिछले साल के 17,000 टन की तुलना में हमें इस साल करीब 20,000 टन आयात की जरूरत है।'
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