प्रभु के भाषण में आंकड़े कम और शब्दजाल की दिखी अधिकता | रेल बजट | | बीएस संवाददाता / February 25, 2016 | | | | |
दूसरी बार रेल बजट पेश करते वक्त टेक्नोक्रैट रेल मंत्री सुरेश प्रभु को आंकड़ों के बजाय शब्दों का ज्यादा सहारा लेना पड़ रहा था। अपने भाषण में अनुप्रास अलंकार, विशेषण और कविताओं आदि का प्रयोग करने से उन्हें बजट के ब्योरे की बारीकियां को छोडऩे में थोड़ी सहूलियत मिल गई। राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) सरकार की लगभग सभी योजनाओं और घोषणाओं में आकर्षक विशेषणों और उपाधियों का जिक्र होता है और रेल बजट 2016-17 भी कोई अपवाद नहीं था। प्रभु ने उपभोक्ताओं के हितों के अनुकूल कुछ योजनाओं और भारतीय रेल के लिए लक्ष्यों की घोषणा की। उन्होंने अपनी हर योजना में यह सुनिश्चित किया कि सभी के नाम हिंदी में जरूर हों।
भारतीय रेल में ढांचागत बदलाव के लिए 'नवारंभ' का जिक्र था वहीं उन्होंने इसकी कार्यप्रणाली के लिए तीन स्तंभ का जिक्र किया मसलन नव अर्जन (नया राजस्व), नव मानक (नए नियम) और नव संरचना (नए ढांचे)। सुरेश प्रभु ने इस बार कम शब्दों और बेहद कम आंकड़ों में अपनी बात रखते हुए भारतीय रेल की वित्तीय योजनाओं का संकेत इन स्तंभों के जरिये दिया जिसमें कम बजटीय आवंटन, ज्यादा नवोन्मेषी अतिरिक्त बजटीय वित्त पोषण की बात गई गई।
विपक्ष के सदस्यों ने संसद में अपने असंतोष को जाहिर करते हुए कहा कि मंत्री अपने भाषण में रेलवे की वित्तीय स्थिति का ब्योरा नहीं दे रहे हैं। उनका भाषण ठीक एक घंटे में खत्म हो गया लेकिन माकपा के लोकसभा सांसद मोहम्मद सलीम ने कहा हाल के वर्षों में यह सबसे लंबा रेल बजट भाषण था लेकिन यह उबाऊ भाषण भी था। उन्होंने कहा, 'प्रभु बेहद सार्थक बातों वाले व्यक्ति माने जाते हैं और उनके पास रेल सुधार से जुड़े कई नए विचार होते हैं लेकिन वह अपनी सरकार के आलंकारिक शब्दजाल में फंस गए जिसकी वजह से उनका भाषण फीका रहा।'
माल-ढुलाई कमाई में कमी और किफायती विमान यात्रा की पेशकश की वजह से यात्रियों के कम हो जाने के डर पर जोर देते हुए प्रभु ने अपने भाषण में बच्चन से लेकर बुद्ध तक का हवाला दिया। नकारात्मक आर्थिक संकेतकों से संघर्ष करने, प्रमुख क्षेत्रों की वृद्धि में कमी और सातवें वित्त आयोग के दबाव के बीच प्रभु ने पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की कविताओं को प्रोत्साहन के तौर पर पेश किया। रेलवे बोर्ड के लिए प्रभु ने सात अभियान गिनाए जिसे 'अवतरण' नाम दिया। भारतीय रेल की कार्यप्रणाली के लिए उन्होंने छह संरचनात्मक बदलावों मसलन नवीनीकरण, सशक्तीकरण, एकीकरण, शोध और विकास, विश्लेषण और नवसंरचना का जिक्र किया। मंत्री ने कहा, इन अभियानों को सहयोग, रचनात्मकता और संचार के जरिये हासिल किया जा सकता है।
उन्होंने माताओं और बच्चों को ट्रेन में सेवा देने के लिए 'जननी सेवा' शुरू करने, कुली को 'सहायक' करने, वरिष्ठ नागरिकों की मदद के लिए 'रेल मित्र सेवा' और प्रतीक्षासूची में शामिल यात्रियों को किसी विशेष ट्रेन में उनकी मांग के हिसाब से सीट की व्यवस्था 'विकल्प' योजना के तहत की जाएगी। प्रभु ने कुछ विशेष ट्रेनों की घोषणा भी की जिनके नाम भी विशेष हैं मसलन अंत्योदय एक्सप्रेस, हमसफर, तेजस और उदय। उदय दरअसल 'उत्कृष्ट डबल डेकर एयर कंडीशंड यात्री' ट्रेन है। बड़ी घोषणाओं की कमी की वजह से प्रभु को बार-बार अपने शब्दों को दोहराना पड़ रहा था। मुमकिन है कि अगले साल शब्दों को न्यायोचित बनाने के लिए उन्हें ज्यादा आंकड़ों की जरूरत पड़े।
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