गैर-बजटीय स्रोत से योजना परिव्यय का वित्त पोषण | रेल बजट | | बीएस संवाददाता / नई दिल्ली February 25, 2016 | | | | |
रेल मंत्री सुरेश प्रभु ने उम्मीद जताई है कि सड़क सुरक्षा फंड की ज्यादा हिस्सेदारी व संस्थागत वित्त से साल 2016-17 के योजना परिव्यय में हुई 21 फीसदी की बढ़ोतरी का वित्त पोषण हो सकेगा। साल 2016-17 के लिए योजना परिव्यय 1,21,000 करोड़ रुपये है। इस परिव्यय का इस्तेमाल रेल लाइनों के दोहरीकरण, विद्युतीकरण और यात्रियों को बेहतर सुविधा उपलब्ध कराने की प्रभु की महत्वाकांक्षी योजना के वित्त पोषण में होगा। रेलवे ने 2016-17 में विद्युतीकरण के लिए परिव्यय में 25 फीसदी का इजाफा किया है। भारतीय रेलवे का मानना है कि रेल सुरक्षा फंड (डीजल बिक्री पर वसूला जाने वाला उपकर) में इसकी हिस्सेदारी 330 फीसदी बढ़कर अगले वित्त वर्ष में 10,780 करोड़ रुपये पर पहुंच जाएगी।
इसे देखते हुए कहा जा सकता है कि डीजल बिक्री पर वसूले जाने वाले उपकर में इसकी हिस्सेदारी अभी तक सालाना 2500 करोड़ रुपये से ज्यादा नहीं रहा है, लिहाजा यह लक्ष्य काफी महत्वाकांक्षी नजर आ रहा है। इसके अलावा प्रभु को लंबी अïवधि के कर्ज की खातिर संस्थागत वित्त में भारी भरकम उछाल की उम्मीद है, जिसमें पेंशन व बीमा फंड हासिल करने या होल्डिंग कंपनी बनाने या आईआरएफसी जैसी सरकारी कंपनियों के एनबीएफसी के साथ संयुक्त उद्यम बनाना शामिल है। 2016-17 में रेल मंत्री ने संस्थागत वित्त के जरिए 21,000 करोड़ रुपये हासिल करने की उम्मीद जताई है, जो साल 2015-16 के संशोधित अनुमान के मुकाबले करीब 119 फीसदी ज्यादा है।
योजना परिव्यय भारतीय रेलवे की सकल बजटीय समर्थन से निर्भरता घटने को भी प्रतिबिंबित करता है। साल 2016-17 में भारतीय रेल ने वित्त मंत्रालय से 45,000 करोड़ रुपये की बजटीय सहायती की उम्मीद जताई है, जो 2015-16 के संशोधित अनुमान के मुकाबले महज 30.4 फीसदी ज्यादा है। संशोधित अनुमान 2015-16 के बजट अनुमान के मुकाबले करीब 8,000 करोड़ रुपये कम है, जो बताता है कि वित्त मंत्रालय ने रकम आवंटन में भारी कटौती की है। 2015-16 की सकल बजटीय सहायता बताती है कि यह साल 2014-15 के वास्तविक आवंटन के मुकाबले 10 फीसदी कम थी।
अन्य शब्दों में साल 2014-15 से अब तक भारतीय रेलवे के बजटीय समर्थन में बहुत ज्यादा बदलाव नहीं हुआ है जो बताता है कि रेलवे बाहरी वित्त पर ज्यादा आश्रित हो रहा है। पिछले साल भारतीय रेल ने 100 बड़ी परियोजनाओं की पहचान की थी, जिसका वित्त पोषण अतिरिक्त बजटीय समर्थन के जरिए होगा, जिनमें संस्थागत वित्त के नए स्रोत भी शामिल हैं। बजट पेश करते हुए प्रभु ने कहा, 1.21 लाख करोड़ रुपये के पूंजीगत खर्च का क्रियान्वयन राज्यों के साथ संयुक्त उद्यम व पीपीपी के नए ढांचे का विकास करके किया जाएगा। प्रभु ने कहा कि दूसरे देशों में स्टेशनों को पुनर्विकास, रेलवे ट्रैक के आसपास की जमीन के मौद्रीकरण, पार्सल कारोबार व विज्ञापन आदि के जरिए 10-20 फीसदी गैर-टैरिफ राजस्व हासिल होता है, वहीं भारतीय रेलवे को इससे कुल राजस्व का महज 5 फीसदी गैर-टैरिफ स्रोत से हासिल होता है। उन्होंने कहा, आगामी महीनों में हमारी योजना इसे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ले जाने की है।
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