गिरते मालभाड़े के बीच सरकार के 4 कदम | रेल बजट | | बीएस संवाददाता / नई दिल्ली February 25, 2016 | | | | |
मालभाड़े से कमाई घटने से चिंतित रेलवे ने कमाई बढ़ाने के लिए चार प्रमुख कदमों की घोषणा की है। इसमें मालभाड़े के दायरे का विस्तार, शुल्क ढांचे को तर्कसंगत बनाया जाना, दीर्घावधि समझौतों पर हस्ताक्षर व टर्मिनल की क्षमता बढ़ाया जाना शामिल है। इस समय रेलवे की मालभाड़ा बास्केट में 10 भारी जिंसों का दबदबा है, जिसमें कोयला, सीमेंट, यूरिया आदि शामिल हैं। इनकी कुल हिस्सेदारी 88 प्रतिशत है। रेल मंत्री सुरेश प्रभु ने कहा, 'राजस्व आधार बढ़ाने के लिए हमें इन जिंसों से अलग हटकर भी देखना होगा। इसके लिए बाजार के सर्वेक्षण का काम किया जा रहा है, जिससे कंटेनरीकरण या रोल ऑन रोल ऑफ जैसे नए डिलिवरी मॉडल पर काम किया जा सके।'
गुरुवार को जारी आंकड़ों के मुताबिक 2015-16 मेंं रेलवे को माल ढुलाई में सिर्फ 1.2 करोड़ टन बढ़ोतरी की उम्मीद है। 2014-15 में रेलवे ने देश भर में 109.5 करोड़ टन माल ढुलाई की थी, जो 2015-16 मेंं बढ़कर महज 110.7 करोड़ टन रहने की संभावना है। रेल मंत्री ने कहा, 'अर्थव्यवस्था के प्रमुख क्षेत्रों में बेहतरीन वृद्धि दर का अनुमान है, जिससे माल ढुलाई में 5 करोड़ टन की बढ़ोतरी होने की उम्मीद है।' इस तरह से 2016-17 में रेलवे ने ढुलाई का अपना लक्ष्य 115.7 करोड़ टन रखा है। मंत्री ने कहा, 'परिवहन में रेलवे की हिस्सेदाारी लंबे समय से लगातार कम हो रही है। इसका न सिर्फ रेलवे पर, बल्कि पूरी अर्थव्यवस्था पर नकारात्मक प्रभाव पड़ा है।' सरकार के खुद के मूल्यांकन के मुताबिक परिवहन में रेलवे की हिस्सेदारी 1980 मेंं 62 प्रतिशत थी, जो 2012 में घटकर 36 प्रतिशत रह गई है।
2015-16 में चार प्रमुख क्षेत्रों, कच्चा लोहा और तैयार स्टील, सीमेंट, खाद्यान्न, कंटेनर सेवाओं में माल ढुलाई में उल्लेखनीय कमी आई है। इसके साथ ही कोयला और लौह अयस्क की ढुलाई में क्रमश: 98.2 लाख टन और 50.4 लाख टन की मामूली बढ़ोतरी हुई है। सरकार से जुड़े सूत्रों के मुताबिक खाद्यान्न की ढुलाई में कमी की प्रमुख वजह पंजाब में अपने भंडारण और उसके इस्तेमाल के लिए स्थानीय खरीद है। रेलवे ने मौजूदा शुल्क ढांचे को समझने की कवायद की है, जिसकी वजह से उसकी बाजार हिस्सेदारी घटी है। मालभाड़े के बाजार को देखते हुए रेलवे अब अपनी शुल्क नीति पर फिर से विचार करेगी, जिससे सड़क, जलमार्ग आदि से होने वाली माल ढुलाई दरोंं को देखते हुए रेलवे को प्रतिस्पर्धी बनाया जा सके। शुल्क की समीक्षा मेंं उम्मीद की जा रही है कि कई जगहों पर माल लादने और चढ़ाने की अनुमति दी जाएगी और साथ ही शुल्क के विभिन्न ढांचे लागू किए जाएंगे।
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