विकास के सिग्नल पर उम्मीद की रेल | रेल बजट | | बीएस संवाददाता / नई दिल्ली February 25, 2016 | | | | |
रेल मंत्री सुरेश प्रभु संसद में आज जब 2016-17 के लिए रेल बजट पेश करने पहुंचे तो आर्थिक मंदी और सातवें वेतन आयोग का बोझ उनके जेहन में जरूर होगा। लेकिन बतौर रेल मंत्री अपना दूसरा बजट पेश कर रहे प्रभु ने इनकी वजह से रेल की माली हालत पर पड़ी चोट की फिक्र नहीं की और निवेश तथा वृद्घि के रास्ते पर ही चलते रहने का फैसला किया। यही कारण था कि उन्होंने किराये-भाड़े में किसी तरह का इजाफा नहीं किया, लेकिन अगले वित्त वर्ष में 1.21 लाख करोड़ रुपये के पूंजी निवेश का प्रस्ताव रखा, जो चालू वित्त वर्ष के 1 लाख करोड़ रुपये के पूंजी निवेश से अधिक है।
अपने बजट भाषण में प्रभु ने कहा, 'रेल में निवेश किया गया प्रत्येक रुपया पूरी अर्थव्यवस्था के उत्पादन में पांच रुपये का इजाफा कर सकता है। निवेश में इस बढ़ोतरी का देश की आर्थिक वृद्घि पर अभूतपूर्व असर होगा।' इससे संकेत मिलता है कि पिछले एक साल में मिले राजनीतिक झटकों के बावजूद नरेंद्र मोदी सरकार को विकास की उम्मीद है। गंभीर राजनेता की छवि वाले प्रभु के बजट की खासियत एक बार फिर यही रही कि उसमें सियासत का घालमेल बहुत कम रहा और यात्रियों के लिए सफर को आसान और आरामदेह बनाते हुए रेल की सेहत सुधारने पर ही उनका ध्यान रहा। उन्होंने न तो किरायों में कटौती की और न ही माल भाड़े में किसी तरह का इजाफा किया बल्कि प्रभु ने नए राजस्व, (व्यय के) नए नियमों और नए ढांचों की बात कही। प्रभु ने पूंजीगत व्यय में इजाफे का ऐलान किया तो उसकी भरपाई का तरीका भी उन्होंने बताया। उन्हें उम्मीद है कि रेलवे को यातायात से होने वाली सकल आय 10.1 फीसदी बढ़कर अगले वित्त वर्ष में 1,84,819 करोड़ रुपये तक पहुंच जाएगी, जिससे उसके खजाने को सहारा मिलेगा। हालांकि यातायात में करीब 70 फीसदी हिस्सेदारी रखने वाली माल ढुलाई की आय चालू वित्त वर्ष में आरंभिक अनुमानों से 7.88 फीसदी कम ही रही है। यात्रियों से होने वाली आय भी अनुमान से 9.56 फीसदी कम रही है।
अलबत्ता प्रभु को उम्मीद है कि प्रमुख उद्योगों में तेजी से वृद्घि होने के कारण 2016-17 में स्थिति बदल जाएगी। लेकिन वह केवल इसी के भरोसे नहीं बैठे हैं। उन्होंने माल ढुलाई के बाजार में पिछले कुछ सालों में सड़क क्षेत्र के हाथों लगातार गंवाई गई हिस्सेदारी वापस हासिल करने के लिए योजनाओं का ऐलान किया। इसके लिए रेलवे सामान की नई श्रेणियों (रेलवे की वर्तमान माल ढुलाई में 88 फीसदी योगदान केवल 10 वस्तुओं का होता है) में कदम रखेगा, भाड़े के ढांचे को तर्कसंगत बनाएगा, टर्मिनलों पर क्षमता निर्माण करेगा और ग्राहकों को जोड़े रखेगा, जिसके लिए रिलेशनशिप मैनेजर भी नियुक्त किए जाएंगे।
पूंजीगत व्यय की अपनी योजना के लिए रकम जुटाने के वास्ते रेल मंत्री यातायात से इतर राजस्व में अधिक वृद्घि की कोशिश करेंगे। स्टेशनों के पुनर्विकास, पटरियों के किनारे जमीन के व्यावसायिक इस्तेमाल आदि के जरिये आय को अगले वित्त वर्ष में चार गुना करने का उनका इरादा है। नए वित्त वर्ष में रोलिंग स्टॉक और परियोजनाओं में निवेश के लिए प्रभु को उधारी पर भी काफी भरोसा है। उन्होंने उम्मीद जताई कि भारतीय रेल वित्त निगम 2016-17 में बाजार से अधिक उधार (8,168 करोड़ रुपये अधिक) लेने में कायमाब रहेगा तथा संस्थागत वित्त में भी इजाफा होगा। लेकिन सातवें वेतन आयोग का बोझ प्रभु के गणित को मुश्किल बना सकता है। उसे लागू करने पर अगले वित्त वर्ष में रेलवे का सामान्य कार्यशील व्यय 11.6 फीसदी बढ़कर 1,23,560 करोड़ रुपये तक पहुंच जाएगा और पेंशन पर खर्च भी बढ़कर 42,500 करोड़ रुपये हो जाएगा। इससे रेलवे का परिचालन अनुपात बिगड़कर चालू वित्त वर्ष के 90 फीसदी के बजाय 92 फीसदी रह सकता है।
रेलमंत्री प्रभु ने बताया कि रेलवे ने खर्च बचाने के लिए कई तरह की जुगत भिड़ाई हैं, जिनसे कुछ सहारा मिल सकता है। 2015-16 में रेलवे ने सामान्य कार्यशील व्यय में 8,720 करोड़ रुपये की कटौती कर ली। उसके अलावा लाभांश आदि के मद में भी कटौती हुई, जिससे सकल यातायात आय में कमी की काफी हद तक भरपाई हो गई।फिर भी व्यय के बाद बची आय यानी अधिशेष अगले वित्त वर्ष में केवल 8,479 करोड़ रुपये रह जाने का अनुमान है, जो संशोधित अनुमानों के मुताबिक चालू वित्त वर्ष में 11,402 करोड़ रुपये रहेगा। अधिशेष में कमी के कारण विकास कोष, पूंजी कोष एवं सेवा कोष के लिए आवंटन में भी कटौती होगी।प्रभु ने अपने बजट में उन व्यवस्थागत परिवर्तनों की झलकी भी पेश की, जिनसे रेलवे और कुशल बन सकता है।
इसमें बेहद ताकतवर रेलवे बोर्ड का पुनर्गठन कारोबारी जरूरतों के मुताबिक करने तथा उसके अध्यक्ष को उचित अधिकार देने की बात है। उन्होंने मध्यम और दीर्घ अवधि की कॉर्पोरेट योजनाएं तैयार करने के लिए रेलवे योजना एवं निवेश निगम के गठन का प्रस्ताव भी रखा।पिछले साल की ही तरह इस साल भी प्रभु नई रेल लाइनों का ऐलान करने में कोताही बरत गए। उसके बजाय उन्होंने यात्री सुविधाओं में सुधार के लिए तमाम कदमों का ऐलान किया, जिनमें अनारक्षित यात्रा के लिए नई गाडिय़ां चलाना, टिकट मशीन लगाना और गाडिय़ों में एफएम रेडियो सुनने की सहूलियत देना शामिल हैं। उपनगरीय यातायात भी उनकी नजरों से अछूता नहीं रहा। उन्होंने दिल्ली में रिंग रेल को दुरुस्त करने का ऐलान किया और मुंबई उपनगरीय रेलवे को दो एलिवेटेड लाइनों का तोहफा दे दिया।
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