चालू वित्त वर्ष में देश का खाद्य सब्सिडी बजट 50 हजार करोड़ रुपये तक पहुंचने जा रहा है।
ऐसे में उम्मीद है कि वित्तीय वर्ष 2007-08 की तुलना में इस बार खाद्य सब्सिडी पर लगभग 18,454 करोड़ रुपये ज्यादा का खर्च आएगा। गौरतलब है कि पिछले वित्तीय वर्ष में देश का खाद्य सब्सिडी बजट 31,546 करोड़ रुपये का था।
बजट प्रावधान की बात करें तो बजट में इस मद के लिए महज 32,667 करोड़ रुपये का इंतजाम किया गया है। बहरहाल, मौजूदा हालात तो इशारा कर रहे हैं कि चालू वित्त वर्ष में खाद्य सब्सिडी का खर्च बजटीय प्रावधान से करीब 17,333 करोड़ रुपये ज्यादा हो जाएगा।
खाद्य मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक, 2008-09 में गेहूं पर 58 से 86 फीसदी तक और चावल पर 51 से 82 फीसदी तक की सब्सिडी दी जा रही। सूत्रों ने बताया कि सब्सिडी में वृद्धि की वजह खाद्यान्न की रिकॉर्ड खरीद और न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) में हुई जोरदार बढ़ोतरी है।
यही नहीं पिछले 6 साल से भारतीय खाद्य निगम का अनाजों को निर्गम मूल्य जस का तस बना हुआ है। इन वजहों से अनाज की सब्सिडी में लगातार बढ़ोतरी हुई है। नवंबर के आखिरी हफ्ते में शरद पवार ने बताया था कि इस साल अनाज की खरीद 5.1 करोड़ टन की नई ऊंचाई तक पहुंच गई है।
इसमें 2.26 करोड़ टन गेहूं और 2.84 करोड़ टन चावल खरीदा गया। परिणामस्वरूप, नए सीजन की शुरुआत में कुल खाद्यान्न भंडार 3 करोड़ टन तक पहुंच गया। इस तरह, अनाज के मौजूदा भंडार बफर स्टॉक की तय सीमा से 1.4 करोड़ टन ज्यादा हैं। सरकार के पास करीब 1.62 करोड़ टन अनाज के भंडारण की क्षमता है।
चावल और गेहूं दोनों के भंडार इस समय बफर स्टॉक की तय सीमा से ज्यादा हैं। खाद्य मंत्रालय के अनुमान के मुताबिक, 1 अक्टूबर तक देश में गेहूं का भंडार 2.2 करोड़ टन और चावल का 78.6 लाख टन है। देश में गेहूं का बफर स्टॉक जहां 1.1 करोड़ टन है, वहीं चावल का 52 लाख टन है।
इस तरह गेहूं तय सीमा से 1.1 करोड़ टन ज्यादा हैं तो चावल का भंडार 26 लाख टन ज्यादा है। मंत्रालय का अनुमान है कि 1 अप्रैल तक गेहूं का भंडार बफर स्टॉक की तय सीमा 40 लाख टन से कहीं ज्यादा 72 लाख टन होगा। मंत्रालय के सूत्रों ने बताया, ''बफर स्टॉक के अलावा 30 लाख टन गेहूं और 20 लाख टन का रणनीतिक भंडार (स्ट्रेटजिक रिजर्व) बनाया गया है।''
अनाज का भंडार बनाने में होने वाले खर्च की तुलना में अनाज की एमएसपी में हुई बढ़ोतरी ने खाद्य सब्सिडी बढ़ाने में ज्यादा योगदान दिया है। गौरतलब है कि इस बार गेहूं की एमएसपी में 150 रुपये की वृद्धि करते हुए इसे 1,000 रुपये प्रति क्विंटल (50 रुपये का बोनस सहित) कर दिया गया है।
वहीं इस साल धान की एमएसपी को पिछले साल के 645 रुपये से बढ़ाकर 850 रुपये प्रति क्विंटल कर दिया गया। दूसरी ओर, इनके निर्गम मूल्य (वे दर जिस पर भारतीय खाद्य निगम अनाज की बिक्री राज्यों और लोगों को करता है) पिछले 6 साल से अब तक अपरिवर्तित बने हुए हैं।
बीपीएल और एपीएल परिवारों को होने वाले अनाजों के आपूर्ति मूल्य भी तब से अब तक जस के तस बने हुए हैं। बीपीएल परिवारों के लिए गेहूं के निर्गम मूल्य जहां 415 रुपये प्रति क्विंटल हैं, वहीं चावल के 565 रुपये।
एपीएल परिवारों की बात करें तो फिलहाल गेहूं के निर्गम मूल्य 610 रुपये प्रति क्विंटल और चावल के 830 रुपये प्रति क्विंटल हैं।
न्यूनतम समर्थन मूल्य में अगर बाजार लेवी और रखरखाव खर्च को भी शामिल कर लिया जाए तो कुल लागत निर्गम मूल्य की तुलना में बहुत ज्यादा होंगे। गेहूं का लागत मूल्य 1,458.83 रुपये प्रति क्विंटल बैठ रहा है तो चावल का 1,698.90 रुपये।
बीपीएल परिवारों के लिए, गेहूं पर प्रति क्विंटल 1,044 रुपये यानी 71.5 फीसदी की और चावल पर 1,134 रुपये प्रति क्विंटल और 66.75 फीसदी की सब्सिडी सरकार की ओर से दी जा रही है।
वहीं सरकार को एपीएल परिवारों के लिए प्रति क्विंटल गेहूं पर 849 रुपये यानी 58.2 फीसदी की और चावल पर 869 रुपये यानी 51 फीसदी की सब्सिडी देनी पड़ रही है।
अंत्योदय योजना के तहत वितरित किए जाने वाले गेहूं पर 86.3 फीसदी और चावल पर 82.3 फीसदी की सब्सिडी दी जा रही है।