अस्थिर मांग ने बिगाड़ा मसालों के निर्यात का पूरा जायका | विमुक्त दवे / अहमदाबाद January 29, 2016 | | | | |
मिर्च, हल्दी और जीरे जैसे कुछ प्रमुख मसालों की अस्थिर मांग ने भारत से होने वाले निर्यात का मजा बिगाड़ दिया है। व्यावसायिक सूचना एवं सांख्यिकी महानिदेशालय (डीजीसीआईएस) के आंकड़ों के अनुसार 2011-12 में निर्यात का परिमाण 25 प्रतिशत बढ़ा था, जबकि 2014-15 में इसमें सिर्फ 3 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई।
निर्यातकों का मानना है कि चालू वित्त वर्ष में कुल निर्यात में थोड़ी-सी बढ़त हो सकती है। भारत से होने वाले निर्यात में न के बराबर इस वृद्धि के साथ अब तक का सबसे कम इजाफा रहने की संभावना है। मिर्च और हल्दी की कीमतें भी धीरे-धीरे बढ़ती जा रही हैं जिससे मांग पर असर पड़ा है और नतीजतन इसमें वृद्धि कम हुई है।
स्टर्लिंग एक्सपोर्ट इंक के प्रबंध निदेशक गिरीश ब्रह्मïभट्टï ने कहा, 'यह सच है कि मात्रा के मामले में भारत का निर्यात पिछले दो सालों में बढ़ा है, हालांकि अंतरराष्टï्रीय मांग में उतार-चढ़ाव के कारण इसका इजाफा काफी अच्छा नहीं रहा है।' ब्रह्मïभट्टï के मुताबिक जीरा, मिर्च और हल्दी के बीच बारी-बारी से अच्छी मांग रही है, इस वजह से किसी एक या दूसरे मसाले पर इसका असर पड़ता रहा है।
डीजीसीआईएस के आंकड़ों के अनुसार मसालों का निर्यात 2010-11 में 688,394 टन की तुलना में 2014-15 में 34 प्रतिशत बढ़कर 923,271 टन हो गया। आंकड़े बताते हैं कि इसके बाद इसमें साल दर साल लगातार कमी आती रही है। पिछले पांच सालों में सबसे ज्यादा इजाफा 2011-12 में दर्ज किया गया। इस दौरान देश से 858,200 टन मसालों का निर्यात हुआ और इसमें 25 प्रतिशत की वृद्धि हुई। हालांकि विशेषज्ञ परिमाण में लगातार बढ़ोतरी को लेकर आशावान हैं क्योंकि कई मसालों की घरेलू कीमतें अब तक मुनासिब स्तर पर चल रही हैं।
मसाला बोर्ड के उपाध्यक्ष और इंडियन स्पाइस ऐंड फूडस्टफ एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन (आईएसएफईए) के अध्यक्ष भास्कर शाह ने बताया कि घरेलू बाजार में मसालों के दाम मुनासिब स्तर पर चल रहे हैं जिससे अब तक भारत से निर्यात को बढ़ावा मिला है। भारत से निर्यात को बढ़ाने में मिर्च और हल्दी के निर्यात की खास भूमिका रही है। 2015-16 में देश का कुल मसाला निर्यात 950,000 टन पार कर सकता है। अप्रैल और अक्टूबर 2015 के दौरान भारत ने 490,847 टन मसालों का निर्यात किया है, जबकि पिछले साल इसी अवधि में यह 490,831 टन था।
मुंबई के केडिया कॉमोडिटी कॉमरेड प्रा.लि. के अजय कुमार केडिया ने बताया कि अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपये का अवमूल्यन उन कारणों में से एक हैं जिनसे इस साल के निर्यात के इजाफे पर असर दिखा। घरेलू कीमतों के नियंत्रण में होने से निर्यातकों को वैश्विक बाजार में ज्यादा पैठ बनाने का प्रोत्साहन मिल रहा है।
मसाला बोर्ड के आंकड़ों के अनुसार अक्टूबर 2015 में भारतीय मसालों की कीमतें इस प्रकार रहीं - न्यू यॉर्क के बाजार में भारतीय मिर्च 3.42 डॉलर प्रति किलोग्राम रही, जबकि पिछले साल इस अवधि में यह 2.57 डॉलर प्रति किग्रा थी। हल्दी की कीमत 3.31 डॉलर प्रति किलोग्राम रही, जबकि पिछले साल यह 3.53 डॉलर प्रति किग्रा थी।
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