मंदी के कारण जहां दुनिया भर की इंजीनियरिंग और निर्माण कंपनियों के बहीखाते बिगड़ रहे हैं।
वहीं देश में इस क्षेत्र की दिग्गज कंपनी लार्सन ऐंड टुब्रो (एलऐंडटी) की विकास दर बरकरार है। कंपनी के पास मार्च 2009 तक करीब 66,000 करोड़ रुपये की कीमत के ऑर्डर पहले से ही हैं।
लेकिन कंपनी को उम्मीद है कि वह चालू वित्त वर्ष के अंत तक उसके पास लगभग 75,000 करोड़ रुपये के ऑर्डर होंगे।
अगले वित्त वर्ष में कंपनी की परियोजनाओं के बारे में कंपनी के प्रबंध निदेशक ए एम नाइक से बातचीत की नेविन जॉन ने। मुख्य अंश:
अंतरराष्ट्रीय बाजार में छाई मंदी का असर इन्फ्रास्ट्रक्चर कंपनियों पर भी पड़ा है। इसका आपकी कंपनी पर क्या असर पड़ा है?
हालांकि एलऐंडटी के पास पहले से ही 65,000 करोड़ रुपये के ऑर्डर हैं?
हमें उम्मीद है कि चालू वित्त वर्ष की समाप्ति तक हमारे पास लगभग 75,000 करोड़ रुपये कीमत के ऑर्डर होंगे।
इस वित्त वर्ष के लिए हमने 30 फीसदी की दर से विकास करने का लक्ष्य रखा था। जबकि हमारी विकास दर 50 फीसदी के आसपास रही है।
ऐसा इसीलिए संभव हो पाया है क्योंकि हमें कई नए क्षेत्रों से भी ऑर्डर मिले हैं। जैसे कि हमें रेलवे से ही 5,000 करोड़ रुपये का ठेका मिला है। अभी तक तो सब कु छ ठीक ही चल रहा है।
लेकिन अगले साल के लिए विकास दर का अनुमान लगाना काफी मुश्किल होगा क्योंकि धीरे धीरे मंदी का असर सभी क्षेत्रों पर पड़ रहा है। हमें देखना होगा कि आने वाले दिनों में हम कितनी इन्फ्रास्ट्रक्चर परियोजनाओं का काम शुरू कर पाते हैं।
मंदी के बाद से कई कंपनियां दिए गए ठेकों पर दोबारा मोल-भाव कर रहे हैं। क्या एलऐंडटी के किसी ग्राहक ने भी कुछ ऐसा किया है?
हमारे सभी करारों में हमने कच्चे माल की बढ़ती कीमत के बारे में चीजें पहले से ही तय कर रखी हैं। लेकिन अगर बाजार में कच्चे माल की कीमतें घटती हैं तो हम उसका फायदा अपनी ग्राहक कंपनियों को भी पहुंचाएंगे। हम उन्हीं परियोजनाओं के ठेके लेते हैं जिनमें वित्तीय बातें पहले से ही तय की होती हैं।
इससे हमारे लिए आने वाले साल में कंपनी की ऑर्डर बुक और विकास का सही अंदाजा लगाना काफी आसान हो जाता है। मौजूदा हालात में हम ऐसा कोई भी ऑर्डर नहीं लेंगे जो हमारे वित्तीय मानकों पर खरा नहीं उतरता हो।
सरकार और रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने बीमार होती अर्थव्यवस्था के इलाज के लिए कुछ राहत पैकेत घोषित किए हैं। क्या आपको लगता है कि इससे अर्थव्यवस्था की हालत सुधरेगी?
सरकार ने महंगाई दर के असर को कम करने के लिए खास तौर पर यह घोषित किया है।
इससे कुछ राहत तो जरूर मिलेगी। लेकिन अगर पूरी तरह से अर्थव्यवस्था को सुधारना है तो सिर्फ इन्फ्रास्ट्रक्चर क्षेत्र को ही इस साल 100 अरब डॉलर के निवेश की जरूरत होगी।
मंदी के कारण कई कंपनियां लागत कम करने के लिए अतिरिक्त कदम उठा रही हैं। इस बारे में एलऐंडटी क्या कदम उठा रही है?
हम सभी मुद्दों पर कुछ नया और अच्छा करने के बारे में सोच रहे हैं।
हमने लागत कम कर मुनाफा मार्जिन बढ़ाने के लिए कुछ कदम उठाए हैं। इसके अलावा हम उत्पादन बढ़ाने पर जोर दे रहे हैं।
क्या आपको लगता है कि पूंजी की स्थिति में जल्द ही सुधार आएगा?
सभी क्षेत्रों पर मंदी की मार पड़ रही है। ऐसे में आने वाले दो साल तक तो हालात में सुधार आने की कोई संभावना नहीं है।