कांग्रेस ने वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) पर गतिरोध के लिए राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) सरकार के 'अडिय़ल' और 'हठी' रुख को जिम्मेदार ठहराते हुए आज कहा कि गेंद सरकार के पाले में है। साथ ही मुख्य विपक्षी दल ने अर्थव्यवस्था के प्रबंधन के तरीकों को लेकर सत्तारूढ़ गठबंधन की आलोचना की और दावा किया कि अर्थव्यवस्था 'दलदल में फंस गई' है। पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने कहा कि 2015 'निराशाजनक और नरमी' के साथ समाप्त हुआ। सरकार के कई वादे- ज्यादा रोजगार, अधिक निवेश तथा बुनियादी ढांचे में तेजी से विकास- हकीकत नहीं बन पाए। उन्होंने कहा, 'अर्थव्यवस्था दलदल में फंस गई है।'कांग्रेस दफ्तर में संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए वरिष्ठ कांग्रेसी नेता ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कांग्रेस अध्यक्ष तथा पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को बैठक के लिए बुलाया था। बैठक में कांग्रेसी नेताओं ने जीएसटी विधेयक में स्पष्ट रूप से तीन आपत्ति जताई। चिदंबरम ने कहा, 'प्रधानमंत्री ने क्या कहा, हम सरकार के भीतर इस बात पर चर्चा कर आपके साथ फिर बैठक करेंगे। करीब एक महीना होने को है। हमें सरकार की तरफ से लिखित में कोई जवाब नहीं मिला या तीन सैद्धांतिक आपत्तियों पर कोई संशोधित चीजें सामने नहीं आईं।' उन्होंने कहा कि गेंद अब पूरी तरह से सरकार के पाले में हैं और अब यह उन पर हैं कि वे हमें बताएं कि वे जीएसटी विधेयक पर हमारी आपत्ति को स्वीकार करते हैं, या वे कुछ संशोधित चीजें ला रहे हैं और या वे उपबंधों को संशोधित कर रहे हैं। पी चिदंबरम ने आगे कहा कि सरकार विपक्ष के विचारों को को शामिल करने तथा जीएसटी विधेयक पारित कराने का रास्ता निकालने में कामयाब नहीं रही। उन्होंने कहा, 'मुझे इस बात की चिंता है कि सरकार केवल खुद पर आरोप लगा रही है और उसका रूख अडिय़ल और हठी है।' उन्होंने यह भी कहा कि तीन आपत्तियों में से दो पर मुख्य आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रमण्यम ने भी एक तरह से अपनी मुहर लगा दी है। कांग्रेस चाहती है कि जीएसटी दर को लेकर संवैधानिक सीमा हो, वस्तुओं की एक राज्य से दूसरे राज्य में आवाजाही पर प्रस्तावित एक प्रतिशत कर को वापस लिया जाए तथा विवाद समाधान समिति की अध्यक्षता उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश करें।
