संपत्ति जब्त करने की सबसे बड़ी कार्रवाई के तहत भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड ने सोमवार को पीएसीएल के खिलाफ जब्ती की प्रक्रिया शुरू की, जो 49,100 करोड़ रुपये की है। जब्ती का यह आदेश सहारा समूह के 24,000 करोड़ रुपये के मुकाबले दोगुने से भी ज्यादा है। बाजार नियामक ने 10 इकाईयों के सभी बैंक खातों, डीमैट खातों और 10 इकाई के म्युचुअल फंड खाते (कंपनी और निर्मल सिंह भंगू यानी पर्ल समूह के संस्थापकों के खाते समेत) एक आदेश के जरिए जब्त किए, जो पिछले साल अगस्त में जारी सेबी के आदेश का हिस्सा था। सेबी के जब्ती आदेश में कहा गया है, रिकवरी का नोटिस उपरोक्त डिफॉल्टरों को भी भेज दिया गया है। सभी बैंकों/वित्तीय संस्थानों/डिपॉजिटरियों या अन्य व्यक्ति, जिनके पास डिफॉल्टर की संपत्ति है, उनसे इसका हिस्सा नहीं बनने की सलाह दी गई है।सेबी ने पिछले साल कंपनी और इसके प्रवर्तकों, निदेशकों के साथ-साथ दस इकाइयों के खिलाफ आदेश पारित किया था, जिसमें उन्हें निवेशकों को 49,000 करोड़ रुपये वापस करने का निर्देश दिया गया था। बाजार नियामक ने आदेश में कहा था कि कंपनी ने ये फंड आम लोगों को अवैध मनी पूलिंग स्कीम के जरिए जुटाए थे। सेबी ने जब्ती की यह कार्यवाही आदेश पारित करने के तीन महीने के भीतर आदेश की अनुपालन करने में नाकाम रहने पर शुरू की है। महत्वपूर्ण यह है कि सेबी ने जब्ती का यह आदेश सोमवार को जारी किया क्योंकि प्रतिभूति अपीलीय पंचाट में कंपनी की अपील पर फैसला सेबी के हक में गया।सैट ने अगस्त में कंपनी को आदेश दिया था कि वह तीन महीने के भीतर निवेशकों का पैसा लौटाए। एक महीने के भीतर यह दूसरा मौका होगा जब पीएसीएल सेबी की कार्यवाही के दायरे में आई है। अक्टूबर में सेबी ने कंपनी के खिलाफ 7269 करोड़ रुपये के जुर्माने का आदेश पारित किया था। दिलचस्प यह है कि जुर्माने की यह रकम इस श्रेणी में अब तक की सबसे बड़ी रकम है। सेबी ने इस योजना की जांच शुरू की थी, जो कंपनी ने साल 1999 में चालू किया था। शुरुआती पत्र में कंपनी को सलाह दी गई थी कि वह सामूहिक निवेश योजना के नियमों का अनुपालन करे।17 साल की लंबी जांच के बाद ठोस कार्रवाई का रास्ता तैयार हुआ जब उच्चतम न्यायालय ने दो साल पहले सेबी की तरफ से कार्रवाई का अवरोध समाप्त किया। 14 जून 2013 को सेबी ने पीएसीएल, इसके संस्थापक निर्मल सिंह भंगू और पूर्व व वर्तमान निदेशकों को कारण बताओ नोटिस जारी किया। इसके बाद साल भर के भीतर सेबी ने जांच पूरी की और अगस्त 2014 में प्रतिबंधात्मक आदेश जारी किया।
