कंपनियों के लिए बच्चे बड़े खरीदार | अरिंदम मजूमदार / December 08, 2015 | | | | |
लंबे समय से बच्चे मार्केटिंग करने वालों के लिए अहम रहे हैं। इसकी कई वजहें हैं, मसलन उनमें भी एक खरीदार की शक्ति तो है ही, साथ ही वे अपने अभिभावक की खरीदारी के रुझान को भी प्रभावित करते हैं और वे भी संभावित वयस्क उपभोक्ता हैं। जाहिर है देश में कारोबार कर रही कंपनियां और विज्ञापनदाता इस वर्ग को लुभाने के लिए हरसंभव तरकीब अपना रहे हैं। उपभोग के लिहाज से देखें तो बच्चे इस श्रेणी में शीर्ष स्तर पर हैं क्योंकि कंपनियां उन्हें उन वस्तुओं के प्रत्यक्ष उपभोग के लिहाज से लक्षित कर रही हैं जो उनके अभिभावक के लिए बनी हैं। आप ऑनलाइन या किसी दूसरे स्टोर को देखें तो वहां आपकी नजरों से 'किड्स ओनली' सनस्क्रीन लोशन, बॉडी मिस्ट, डियो, फेस और हैंडवॉश के साथ परफ्यूम सेक्शन ओझल हो ही नहीं सकता। मसलन लोटस हर्बल्स में किड्स ओनली सनस्क्रीन लोशंस है। इसके अलावा इसमें भीम और बार्बी का फेसवॉश और हैंडवॉश भी शामिल है जिसकी मार्केटिंग भी लाइसेंसधारी के जरिये की जाती है। कोलकाता की इमामी ने झंडु बाम जूनियर पेश किया है। अब न केवल बच्च्चे उन चीजों का इस्तेमाल कर रहे हैं जो पहले उनके अभिभावक करते थे बल्कि विभिन्न आयवर्ग के अभिभावक उन्हें ऐसा करने के लिए प्रोत्साहित कर रहे हैं। डाबर के प्रवक्ता ने कहा, 'भारत में बेबी केयर उत्पादों की मांग बढ़ रही है और इसके बावजूद बाजार में बेबी केयर उत्पादों की कमी है। कई विदेशी कंपनियां भारत में अपने अंतरराष्ट्रीय बेबी केयर उत्पादों की पेशकश कर रही हैं। उनकी दिक्कत यह है कि वहां परंपरागत जानकारी की कमी है और हम नई चीजों के साथ बेबी केयर बाजार में अपनी मौजूदगी के दायरे को बढ़ाने की योजना बना रहे हैं।'
नवजात और वयस्कों की श्रेणी को लेकर बाजार दो वजहों से उत्साहित है। पहली बात यह है कि मेट्रो शहरों के बच्चों के बीच ब्रांड के प्रति जागरूकता बढ़ रही है जिसकी वजह से उत्पाद श्रेणी में वयस्क और बच्चों की उत्पाद श्रेणी के बीच की सीमाएं कम हो रही हैं। इसके अलावा दूसरे और तीसरे दर्जे के शहरों के अभिभावकों खासतौर पर माताओं की महत्त्वाकांक्षा बढ़ रही है जिसकी वजह से ब्रांडेड उत्पादों को खरीदने की तरजीह देती हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि उनकी खरीदारी की सूची में एक बड़ा बच्चों का सेक्शन है।
अन्स्र्ट ऐंड यंग के पार्टनर और राष्ट्रीय प्रमुख पिनाकी रंजन मिश्रा का कहा है, 'एफएमसीजी क्षेत्र हमेशा से मौजूदा सेगमेंट में एक खास श्रेणी को तरजीह देता है। मेट्रो शहरों में बच्चे ही खरीदारी के वक्त फैसला करने में अहम भूमिका निभाते हैं। इसके अलावा लोगों की खरीद क्षमता भी बढ़ रही है। छोटे शहरों में भी लोग समान रूप से महत्त्वाकांक्षी हो रहे हैं जिससे यह सेगमेंट बढ़ रहा है।'
मिसाल के तौर पर सनस्क्रीन लोशन पर ही विचार करें। यह ऐसा उत्पाद है जिसे ज्यादातर वयस्क महिलाएं और अब पुरुष खरीदते हैं लेकिन कंपनियां बच्चों के लिए भी खासतौर पर ऐसे लोशन पेश कर रही हैं। उद्योग विशेषज्ञों का कहना है कि फिलहाल किड्स ओनली सनस्क्रीन लोशन और परफ्यूम का अपेक्षाकृत छोटा करीब 50 करोड़ रुपये का बाजार है लेकिन सालाना वृद्धि 15-20 फीसदी के बीच है। उन्हें यह उम्मीद है कि परंपरागत वयस्क उत्पादों की तर्ज पर बच्चों के लिए पेश किए जा रहे इन उत्पादों से भारत के चाइल्डकेयर बाजार में इसकी हिस्सेदारी 2,000 करोड़ रुपये तक होगी।
दूसरे उत्पाद श्रेणियों में भी इसी तरह की कहानी दोहराई जा रही थी। इमामी ने बच्चों के लिए खासतौर पर झंडु ब्रांड के अंतर्गत बाम की पेशकश की। इमामी के प्रवक्ता का कहना है, 'झंडु जेल बाम जूनियर के लिए हमें उपभोक्ताओं की तरफ से उत्साहजनक प्रतिक्रिया मिली है। इस सेगमेंट में वृद्धि के लिए काफी संभावनाएं हैं और हम इस पर काफी करीब से निगाह बनाए हुए हैं।' छोटे और मझोले शहरों में महानगरों की तरह ब्रांडेड उत्पादों पर काफी खर्च किया जा रहा है। बच्चों पर खर्च किए जाने की रफ्तार बढ़ रही है जिस तादाद में बेबी केयर, साबुन और तेल श्रेणियों में खर्च किए गए हैं। बाजार शोध कंपनी आईएमआरबी की हाल की एक रिपोर्ट के मुताबिक 2010 की तुलना में 2015 में सेक्शन ए शहरों के मुकाबले सेक्शन सी शहरों में बच्चों पर खर्च (73 फीसदी और 89 फीसदी) करने की रफ्तार में तेजी आई है। आईएमआरबी इंटरनैशनल की समूह कारोबारी निदेशक दीपा मैथ्यू का कहना है, 'इस रुझान पर गौर करना लाजिमी है कि शिक्षा में बढ़ोतरी के साथ ही महिलाएं परिवार में अपने फैसले कर रही हैं और वे सक्रिय अभिभावक की भूमिका निभा रही हैं।' उभरते बाजारों से जुड़ी एक कंसल्टिंग कंपनी एमएआरटी (मार्ट) के मुख्य कार्याधिकारी प्रदीप कश्यप दिलचस्प नजरिया पेश करते हैं। वह कहते हैं, 'शहरी क्षेत्रों के मुकाबले ग्रामीण क्षेत्र में लोग सोशल मीडिया पर ज्यादा नजर आते हैं जिससे ग्रामीण उपभोक्ताओं के नजरिये में बदलाव का अंदाजा होता है।' इससे भी यह संकेत मिलता है कि ज्यादातर कंपनियां अपने बेबी केयर उत्पादों के प्रचार-प्रसार के लिए डिजिटल मंच का इस्तेमाल क्यों कर रही हैं। मिसाल के तौर पर महिंद्रा ऐंड महिंद्रा को ही ले लें जिसने अपने मॉम ऐंड मी ब्रांड को अपने ऑनलाइन पोर्टल बेबीओये से जोड़ा है जिससे यह संकेत मिलता है कि बेबी केयर उत्पादों की मार्केटिंग ऑनलाइन करनी जरूरी है।
फस्र्टक्राई डॉट कॉम के संस्थापक सुपम माहेश्वरी का कहना है कि पोर्टल पर दूसरे और तीसरे दर्जे के शहरों से लोगों ने बेबी केयर उत्पादों के लिए ज्यादा दिलचस्पी दिखाई है। माहेश्वरी कहते हैं, 'किसी भी आमदनी वर्ग के अभिभावक अपने बच्चों के लिए अच्छा ही करना चाहते हैं। हम भारत में ऑनलाइन सेगमेंट में काफी बड़ी संभावनाएं देख रहे हैं।'
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