रोजाना इस्तेमाल होने वाले वस्तुओं (एफएमसीजी) की प्रमुख निर्माता कंपनियों जैसे गोदरेज, मैरिको और डाबर ने प्रमुख आधुनिक रिटेल स्टोरों में से कुछ को माल की आपूर्ति करना रोक दिया है।
एफएमसीजी कंपनियों ने यह कदम भुगतान में होने वाले डिफॉल्ट के कारण उठाया है। गोदरेज समूह के चेयरमैन आदी गोदरेज ने इस बात की पुष्टि करते हुए कहा, 'हमने उन आधुनिक रिटेलरों को आपूर्ति करना बंद कर दिया है, जो करार की शर्तों के मुताबिक भुगतान नहीं कर रहे।'
हालांकि उन्होंने 'लंबे समय के रिश्तों' के चलते उन कंपनियों का नाम बताने से इनकार कर दिया जो डिफॉल्ट करने वालों की फेहरिस्त में शामिल हैं।
मैरिको के मुख्य कार्याधिकारी सौगत गुप्ता भी इस बात को मानते हैं कि इस तरह के रिटेलरों से कारोबार करने के वक्त सतर्क हो रही है। उनका कहना है, 'ये रिटेलर नकदी की समस्या को झेल रहे हैं और इनके साथ कारोबार करते वक्त हम सावधानी बरत रहे हैं।'
एफएमसीजी कंपनियां कड़े वित्तीय चक्र से निकलने के लिए काम कर रही हैं। वहीं दूसरी और आधुनिक स्टोर जैसे आदित्य बिड़ला समूह का मोर, आरपीजी का स्पेंसर, मुकेश अंबानी समूह का रिलायंस फ्रेश, सुभिक्षा, विशाल पिछले दो वर्षों से तेजी से विस्तार कर रहे हैं।
आर्थिक मंदी और नकद की कड़ी स्थिति के बारे में एंजल ब्रोकिंग के एफएमसीजी क्षेत्र के विशेषज्ञ आनंद शाह का कहना है, 'कुछ रिटेलर जमीन की कीमतों और किरायों और मांग में कमी के कारण कार्यशील पूंजी की दिक्कतों का सामना कर रहे हैं।'
सलाहदाता फर्म टेक्नोपैक के सलाहकार पूणर्दु कुमार का कहना है, 'अपने स्टोरों का विस्तार करने, माल खरीदने और परिसंपत्तियों की बुकिंग के चलते रिटेलरों के लिए कार्यशील पूंजी आमतौर पर एक या दो महीनों के लिए अटक गई है।'
नकदी संकट को मात देने के लिए और मुश्किल दौर में खुद को बनाए रखने के लिए आधुनिक रिटेलर एफएमसीजी कंपनियों के साथ मोल-भाव करने की अपनी ताकत को बढ़ाने के नए-नए तरीके खोज रहे हैं।
विशाल रिटेल के कॉर्पोरेट दफ्तर में मुख्य कार्याधिकारी मनमोहन अग्रवाल का कहना है, 'हम एफएमसीजी कंपनियों के साथ कर्ज के भुगतान की अवधि को एक महीने और अपैरल और अन्य आपूर्तिकर्ताओं के साथ ढाई महीने तक बढ़ाने के लिए बातचीत कर रहे हैं।'
एफएमसीजी कंपनियों को आधुनिक रिटेलरों के कुछ कारोबारी मॉडलों पर भी संदेह है। उदाहरण के लिए ज्यादातर रिटेलर जैसे सुभिक्षा, रिलायंस फ्रेश, स्पेंसर और मोर के स्टोर एक दूसरे के काफी नजदीक-नजदीक हैं।
एक प्रमुख एफएमसीजी कपंनी, जिसने कुछ चुनिंदा स्टोरों और रिटेल शृंखलाओं को आपूर्ति करना बंद कर दिया है, के अधिकारी का कहना है, 'संगठित रिटेलर भीड़-भाड़ वाले बाजार में एक सीमित संख्या के लोगों के लिए मुकाबला कर रहे हैं।
इसलिए उन्हें वस्तुओं की बिक्री में कमी देखने को मिल रही है और वे भुगतान के मामलों का सामना कर रहे हैं।'
मैकिन्जी की रिपोर्ट में बताया गया है कि भारत के अनुमानित 17,500 करोड़ रुपये के रिटेल बाजार में संगठित रिटेलिंग का योगदान 5 प्रतिशत है, जिसके 2015 तक बढ़कर 14 से 18 प्रतिशत होने की उम्मीद है।
अग्रवाल का कहना है, 'एफएमसीजी और रिटेल क्षेत्रों के बीच रस्साकशी देश में आधुनिक कारोबार के बढ़ने के साथ भी जारी रहेगी और हमने उनसे बेहतर नियम व शर्तों की बात कही है।'