नई सिंगल विंडो व्यवस्था लाएगी बिहार सरकार | सत्यव्रत मिश्रा / पटना November 16, 2015 | | | | |
बिहार सरकार इस साल के अंत तक अपनी नई सिंगल विंडो व्यवस्था को पेश करने की तैयारी कर रही है। उद्योग विभाग ने इस नई व्यवस्था को इंटरनेट आधारित बनाने का फैसला लिया है, ताकि निवेशकों को सरकारी दफ्तरों के चक्कर न लगाने पड़ें। इसके लिए राज्य सरकार ब्रिटिश सरकार के डिपार्टमेंट फॉर इंटरनैशनल डेवलपमेंट (डीएफआईडी) की मदद ले रही है।
विभाग के मुताबिक इसके तहत अब उद्योग से जुड़े सभी विभागों को आईटी से जोड़ा जाएगा। सूत्रों ने बताया कि इस नई व्यवस्था के तहत एक नया आईटी नेटवर्क तैयार किया जाएगा, जो इंटरनेट से जुड़ा होगा। उन्होंने बताया, 'इसके तहत अब सभी आवेदन ऑनलाइन ही लिए जाएंगे। इसके बाद आवेदनों को तुरंत संबंधित विभागों के पास मंजूरी के लिए भेजा जाएगा। अगर एक निश्चित समय-सीमा के भीतर आवेदनों को मंजूर नहीं किया गया, तो इस बारे में तुरंत जिलाधिकारी, संबंधित विभाग के प्रधान सचिव और मंत्री के पास ईमेल जाएगा। साथ ही, अधिकारियों के कंप्यूटर पर इस बारे में सूचना भी लगातार दिखाई जाएगी। इसके अलावा, आवेदन के नामंजूर होने के स्थिति में अधिकारियों को इस बारे में कारणों का विस्तार से विवरण भी देना होगा।' अधिकारियों के मुताबिक इस नई व्यवस्था के आने के बाद आवेदनों का एक समय-सीमा में निपटारा होने के साथ-साथ उद्यमियों को सरकारी दफ्तरों से मुक्ति भी मिलेगी।
इस नई व्यवस्था के लिए राज्य सरकार ने अपने अधिकारियों के विभागीय ईमेल आईडी और डिजिटल सिग्नेचर बनाने का काम भी शुरू कर दिया है। साथ ही, राज्य सरकार का सूचना प्रौद्योगिकी विभाग इसके लिए एनआईसी की मदद से एक खास सर्वर भी स्थापित कर रहा है, ताकि डाटा को सुरक्षित रखा जा सके। अधिकारियों के लिए मुताबिक इस बारे में सारी कवायद अगले महीने के मध्य तक पूरी ली जाएगी, जिसके बाद इसे प्रयोग के तौर पर कुछ जिलों में शुरू किया जाएगा। इसके बाद अगले वित्त वर्ष से इसे पूरे राज्य में लागू कर दिया जाएगा। डीएफआईडी ने अगले पांच साल तक इस व्यवस्था को संचालित करने की जिम्मेदारी ली है।
राज्य के एक निवर्तमान मंत्री ने बताया, 'राज्य सरकार काफी वक्त से सिंगल विंडो व्यवस्था को मजबूत करने में लगी हुई है। हालांकि, अलग-अलग वजहों से यह व्यवस्था लागू नहीं हो पा रही थी। यह उद्यमियों और निवेशकों के लिए सुविधा होने के बजाय एक बड़ी दिक्कत का रूप लेती जा रही थी। इसीलिए हमने इस साल की शुरुआत में डीएफआईडी की मदद से इसमें सुधार करने का फैसला लिया था। इस साल सितंबर तक इस बारे में मोटे तौर पर सभी तैयारी पूरी हो चुकी थी। हालांकि, चुनाव के ऐलान के बाद सारे काम रुक गए, जिस वजह से हम जल्द इस व्यवस्था को लागू नहीं कर पाए। हालांकि, अब इस बारे में कोई दिक्कत नहीं है। इस बारे में काम तेज रफ्तार से चल रहा है। हमें उम्मीद है कि इस साल के अंत तक इसे पायलट प्रोजेक्ट के रूप में शुरू भी कर लिया जाएगा।'
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